नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजा: परिवार बोला-आयोग वाले हमें डराते थे, कार्रवाई का डर दिखाते थे, आयोग में भाजपा से जुड़े लोग – Madhya Pradesh News

नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजा:  परिवार बोला-आयोग वाले हमें डराते थे, कार्रवाई का डर दिखाते थे, आयोग में भाजपा से जुड़े लोग – Madhya Pradesh News


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ये कहना है उस भाई का जिसकी नाबालिग बहन को पन्ना बाल कल्याण समिति ने रेप आरोपी के परिवार के पास ही वापस भेज दिया।

3 अगस्त को जुझारनगर थाने की पुलिस ने नाबालिग लड़की के रेप के मामले में आरोपी परिवार के पास ही नाबालिग को भेजने के मामले में पन्ना बाल कल्याण समिति, वन स्टॉप सेंटर और महिला बाल विकास अधिकारी सहित 11 लोगों को आरोपी बनाया है।

पन्ना बाल कल्याण समिति के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

मदद की बजाय बाल कल्याण समिति ने 15 साल की नाबालिग लड़की को उस आरोपी के घर ही कैसे भेज दिया जिस पर उसने रेप के आरोप लगाए थे? पहली बार जब आरोपी ने उसका रेप किया तब परिवार के लोगों ने किससे मदद मांगी? अब पुलिस और प्रशासन इस मामले को लेकर क्या कर रहा है?

धमकाया- तुम हमारा कुछ नहीं कर पाओगे पीड़ित के भाई का कहना है कि इस साल 16 जनवरी को मेरी बहन स्कूल गई। वहां से वापस नहीं आई। हमने उसकी तलाश की। जब वो हमें कहीं नहीं मिली तब हमने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखवाई। एक महीने बाद 17 फरवरी को पुलिस को बहन हरियाणा में मिल गई। छतरपुर का रामप्रसाद कुशवाहा उसे ले गया था। उसको पुलिस ने जेल में डाल दिया। हमारी बहन को वन स्टॉप सेंटर में भेज दिया, लेकिन बहन का मेडिकल नहीं कराया।

जब हमारी बहन को फरवरी में पुलिस लेकर आ गई थी और रामप्रसाद कुशवाहा को जेल में डाल दिया था, तब कुछ दिन बाद उसके बड़े भाई का हमारे पास फोन आया। हमसे कह रहा था कि दो लाख ले लो और इस मामले को यहीं खत्म करो।

उसने हमें धमकी देते हुए भी कहा था कि वैसे भी तुम लोग हमारा कुछ नहीं कर पाओगे। हम पैसा भर देंगे और अपना भाई भी छुड़ा लेंगे। इसके बाद तुम्हारी बहन को भी ले जाएंगे, इसलिए राजीनामा कर लो। केस आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं पैसे से हम केस भी जीत ही जाएंगे।

लड़की के परिवार के लोगों ने कई अफसरों को चिट्‌ठी लिखी, तब जाकर कार्रवाई हुई।

लड़की के परिवार के लोगों ने कई अफसरों को चिट्‌ठी लिखी, तब जाकर कार्रवाई हुई।

हमारी बहन आरोपी के घर भेज दी एक माह बीते फिर बाल कल्याण समिति वालों ने हमारी बहन आरोपी के घर ही भेज दी। उन्होंने हमें कोई जानकारी नहीं दी। लगभग 10 दिनों के बाद हम बहन से मिलने वन स्टॉप सेंटर पहुंचे, तब जाकर हमें ये बात पता चली कि उसको आरोपी के ही घर भेज दिया है।

लड़की के चचेरे भाई ने बताया जब हम लोगों ने बाल कल्याण समिति वालों से जाकर पूछा कि हमारी बहन कहा है तो उन लोगों ने कहा कि तुम्हारी बहन अच्छी जगह है। जब जोर देकर हमने पूछा तो हमसे कहा कि उसकी बहन के पास उसको भेज दिया है।

हमने पूछा कि कौन सी बहन? भाई तो हम लोग हैं। इतने दिनों से यहां का चक्कर काट रहे। हमसे तो न जाने आपने क्या-क्या डॉक्यूमेंट मांगे। आधार कार्ड, पंचायत का कागज सब।

फिर हमें पता चला कि उसी आरोपी के पास हमारी बहन को भेज दिया है। हम कई बार बहन को लेने समिति के पास गए। वहां अंजली मैडम ने हमसे कहा कि जो करना हो कर लो। हमें जो करना था कर दिया है।

पहले हमें समिति वाले धमकी देते थे कि अगर तुम लड़की ले जाओगे तो तुम लोगों पर कार्रवाई करवाएंगे। तुम लोगों को जेल में डाल देंगे। जब हम महीनों तक परेशान हो गए, हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई, तब हम लोग एसपी से मिलने जनसुनवाई में गए। भोपाल तक इसकी शिकायत की। तब जाकर कार्रवाई हुई।

पन्ना बाल कल्याण समिति के इन्हीं सदस्यों पर गंभीर आरोप लगे हैं।

पन्ना बाल कल्याण समिति के इन्हीं सदस्यों पर गंभीर आरोप लगे हैं।

बचपन में माता-पिता चल बसे, चाचा-चाची ने पाला लड़की की भाभी ने बताया कि पीड़िता के माता-पिता का उसके बचपन में ही चल बसे थे। उनके चाचा-चाची ने भाई-बहन को पाला। अभी भाई दिल्ली में दिहाड़ी का काम करते हैं। पीड़िता को जब रामप्रसाद बहला कर ले गया था। तब वो 10 वीं की पढ़ाई कर रही थी। उसकी पढ़ाई भी छूट गई। अभी वो अपने भाई के साथ है। उसने हमें बताया कि उसके साथ गलत हुआ है। रामप्रसाद उसे धमकी देता था कि अब उसकी शादी भी नहीं होगी और उसे कहीं जाने भी नहीं देगा। इसलिए वो वहीं रहने लगी थी।

जो रामप्रसाद हमारी बहन को बहला कर ले गया था। उसका बड़ा भाई तीन साल पहले हमारी एक बहन को भी भगा कर ले गया था। दोनों ने शादी कर ली थी, लेकिन उनका हमारे परिवार में आना-जाना नहीं था। हमारे चाचा लोगों ने नाराज होकर उससे सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे। तीन साल से उनसे हमारी कोई बातचीत नहीं थी। समिति वालों ने उसी को हमारी बहन दे दी। ये भी नहीं पता किया कि उसी के देवर ने हमारी बहन के साथ गलत किया।

पुलिस ने मामले में बाल कल्याण समिति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

पुलिस ने मामले में बाल कल्याण समिति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

मेरी पत्नी लड़की को लेकर आई, अब उस पर ही केस आरोपी रामप्रसाद के भाई राम जनक का कहना है कि वो लड़की अपनी मर्जी से मेरे छोटे भाई के साथ गई थी। जब पहली बार पुलिस उन्हें लेकर आई, तब हमें ये मामला पता चला। पहली बार में रेप का केस नहीं लगा था। भाई को इसलिए जमानत भी मिल गई थी। वैसे भी वो लड़की बालिग है। डॉक्यूमेंट में उसकी गलत डेट ऑफ बर्थ लिखी हुई है।

मेरी पत्नी उसकी चाचा की लड़की है। उसके पास ही वन स्टॉप से कॉल आया था। तब वो अपनी बहन को यहां लेकर आ गई थी। अब उसी को फंसा दिया गया है। हम पहले ही अपने भाई पर लगे केस से परेशान थे, अब मेरी पत्नी पर भी केस लग गया है। उसकी तो कोई गलती भी नहीं है।

काउंसलिंग में पता चला कि बच्ची के साथ कई बार रेप पहली बार फरवरी में बच्ची को बरामद करने के बाद बाल कल्याण समिति ने उसे आश्रय के लिए वन स्टॉप सेंटर पन्ना भेज दिया। इसके बाद उसे कटनी जिले के चाइल्ड केयर होम में भेज दिया गया था। इसी बीच बाल कल्याण समिति ने 29 मार्च 2025 को नियम विरुद्ध तरीके से नाबालिग बलात्कार पीड़िता को आरोपी के घर भेज दिया।

नाबालिग के परिजनों ने बेटी को सुपुर्द करने केक लिए कलेक्ट्रेट जाकर जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई। कलेक्टर ने शिकायत को संज्ञान में लेकर बाल कल्याण समिति को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए। नाबालिग को 29 अप्रैल 2025 को दोबारा वन स्टॉप सेंटर भेज दिया। वहां वन स्टॉप सेंटर की काउंसलिंग में खुलासा हुआ कि उसके साथ कई बार बलात्कार हुआ।

11 के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धाराओं में केस दर्ज पुलिस ने अब तक इस मामले में 11 लोगों को आरोपी बनाया है। जिसमें 5 लोग सीडब्ल्यूसी, 3 लोग वन स्टॉप, महिला बाल विकास अधिकारी, अंजली कुशवाहा और रामप्रसाद कुशवाहा शामिल है।

मुख्य आरोपी रामप्रसाद कुशवाहा के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत रेप सहित अन्य धाराएं लगाई गई है। वहीं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप जड़िया, सदस्य अंजली भदौरिया, आशीष बॉस, सुदीप श्रीवास्तव और प्रमोद कुमार के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 17 के तहत कायमी की गई है। वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक कविता पाण्डेय, काउंसलर प्रियंका सिंह, केस वर्कर शिवानी शर्मा के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत अपराध कायम किया गया है। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अवधेश सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21, एससीएसटी एक्ट की धारा 4, बीएनएस की धारा 199, 239 सहित एक अन्य महिला अंजली कुशवाहा के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 82 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

समिति में चयन योग्यता से नहीं हो रहा मध्यप्रदेश बाल आयोग चयन समिति के पूर्व सदस्य मनीष राजपूत कहते हैं कि मैंने पन्ना बाल कल्याण समिति की खबर देखी। ये बहुत ही गंभीर मामला है। बच्चों की बेहतरी के लिए जिस आयोग का निर्माण हुआ था। उसने आरोपी के घर ही पीड़ित बच्ची को भेज दिया। दरअसल, इस पूरे मामले को हमे बहुत ही गंभीरता से देखना चाहिए।

मनीष कहते हैं कि योग्य उम्मीदवार पीछे छूट जाते हैं। जब मैं बाल आयोग की चयन समिति में था तो मैंने ज्यादातर ऐसे लोगों को जिले की समिति में वरीयता दी थी जिनका फील्ड अनुभव अच्छा हो और उनमें बच्चों के लिए काम करने का जज्बा हो। अभी आप देखेंगे तो आपको एक पार्टी से जुड़े हुए लोग आयोग में हर जगह दिखाई देंगे।

बच्ची को बायोलॉजिकल गार्जियन के पास भेजा जाता है पन्ना जिले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल कल्याण समिति की पूर्व सदस्य डॉ. दुर्गा त्रिपाठी कहती हैं कि कानून के हिसाब से सबसे पहले यही देखा जाना चाहिए कि बच्ची का हित सबसे ज्यादा कहां है। उसके लिए सर्वाधिक सुरक्षित जगह कौन सी है। इस स्थिति में देखें तो बालिका गृह ही बच्ची के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होता। बच्ची को सुरक्षित स्थान ही भेजा जाना था, या बायोलॉजिकल गार्जियन के पास भेजा जाता है।

कोई भी बच्चा जब समिति के पास आता है तो सबसे पहले उसको कंफर्टेबल स्पेस दिया जाना चाहिए। चाहे आयोग हो या वन स्टॉप सेंटर, वहां चाइल्ड फ्रेंडली स्पेस क्रिएट होना चाहिए। जब वो अच्छा फील करे तब उसकी काउंसलिंग का इंतजाम होता है। वन स्टॉप सेंटर और बाल कल्याण समिति दोनों जगह पर काउंसलर होते हैं। ऐसे मामलों में काउंसलिंग सबसे जरूरी और सेंसेटिव होती है।

ऐसा माना जाता है कि महिलाएं ज्यादा चाइल्ड फ्रेंडली होती है, इसलिए महिलाओं को रखा जाता है। इस मामले में भी काउंसलिंग में ही ये आया कि बच्ची के साथ कई बार रेप हुआ। काउंसलिंग की रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी को दी जाती है। जब रेप की बात सामने आई थी तो समिति को इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए थी।

मैंने पुनर्विचार के लिए समिति को कहा पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार कहते हैं कि महिला बाल विकास से मुझे एक नोटशीट आई थी कि बच्ची को उसी के रेप के मामले में आरोपी को ही सौंपने का आदेश बाल कल्याण समिति ने दे दिया है। जो मेरे अधिकार क्षेत्र में आता है। उसी दिन मैंने इस फैसले पर पुनर्विचार और संशोधन के लिए समिति को आदेश दिया था।

समिति ने मानते हुए बच्ची को वापस भी बुला लिया था। फिर मेरे पास दोबारा एक पत्र आया था, जिसमें बच्ची को कटनी के चाइल्ड केयर होम में भेजने की बात थी। मैंने उन्हें पत्र में कहा कि सभी को सुनिए और जो कानून सम्मत हो वो कीजिए। इस केस में मेरा यही रोल था।

अब तक दो की गिरफ्तारी, बाकी की तलाश जारी छतरपुर एएसपी विदिता डागर कहती हैं कि एक बालिका के साथ रेप हुआ था। जुलाई में पन्ना से हमारे पास जीरो पर कायमी होकर ये केस आया था। संपूर्ण तफ्तीश और विवेचना के आधार पर इसमें मुख्य आरोपी के साथ 11 लोगों आरोपी बनाया गया है।

समिति गठन की प्रक्रिया किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुसार जिला स्तर पर बाल कल्याण समिति का गठन होता है। जिसमें 01 अध्यक्ष और 04 सदस्य होते हैं। इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। दो बार तक ये पद पर रह सकते हैं। प्रत्येक बैठक पर 2 हजार रुपए का मानदेय मिलता है। यह महीने में करीब 30 से 40 हजार रुपए तक होता है।

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जिसने रेप किया, पीड़िता को उसके घर फिर भेजा…दोबारा रेप

पन्ना में बाल कल्याण समिति ने नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेज दिया, जहां उससे दोबारा रेप किया गया। छतरपुर पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, पांच सदस्य, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक, काउंसलर, केस वर्कर और एक अन्य महिला समेत कुल 10 लोगों पर विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज की है।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर…



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