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Success Story: भगवान को प्रसन्न करने के लिए लोग नए-नए तरीके अपनाते हैं. लेकिन, बालाघाट के दंपति ने जो किया, वो कलयुग में सतयुग जैसा काम है. जानें रोचक कहानी…
दंपति ने लगाए हजारों पेड़
राजीव सागर डैम के पास स्थित सिंचाई विभाग के अफसरों की एक कॉलोनी हुआ करती थी. शर्मा दंपति रीवा से यहां नौकरी करने आए थे. वह यहीं बस गए और पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं. करीब 30 साल से पेड़ लगा रहे हैं. उनकी देखभाल कर रहे हैं. उन्होंने आम, जामुन, अमरूद सहित कई बागवानी वाले और सुंदरता बढ़ाने वाले पौधे लगाए हैं. अब सिंचाई विभाग की कॉलोनी खाली हो चुकी है. लेकिन, वह आज भी वहीं रहकर पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं.
शर्मन शर्मा बताते हैं, उन्होंने ये काम रामायण से प्रभावित होकर शुरू किया. उन्होंने 1000 से ज्यादा पेड़ लगाए हैं. ऐसे में वह गुरु पूर्णिमा और पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण करते हैं. ऐसे में वह साल में अलग-अलग समय पर पेड़ लगाते हैं. बताया, रामायण में दो बार वाटिकाओं का प्रसंग आया है. एक रामजी जनक नंदनी से जनकपुर की पुष्प वाटिका में मिले थे. वहीं, दूसरी अशोक वाटिका का जिक्र आया है. उनका मानना है कि प्रभु के दर्शन भी वाटिका में होते हैं. अब वो भी उसी के इंतजार में हैं.
बाल्टी से पानी भरकर सींचा
शर्मन शर्मा की पत्नी विनीता बताती हैं कि पहले यहां सिंचाई की सुविधा नहीं थी, तब बाल्टी से पानी डालते थे. ऐसे ही मेहनत कर नन्हे पौधों को बड़ा किया है. हालांकि, जहां ये दंपति रहते हैं, वहां से पर्यटकों का मोहभंग भी होने लगा. इसके बाद से शासन प्रशासन से दंपति ने आग्रह किया कि सड़क सुविधा को दूरस्त करना चाहिए.