छतरपुर जिला अस्पताल में चूहों की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है। प्रसूति वार्ड में माताएं अपने नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए रात-दिन जागकर पहरा दे रही हैं। इंदौर में चूहों द्वारा दो नवजातों की मौत की घटना के बाद यहां चिंता और बढ़ गई है।
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अस्पताल प्रशासन ने पिछले साल जनवरी में सतना की एक कंपनी को चूहों के नियंत्रण के लिए डेढ़ लाख रुपए का ठेका दिया था। लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। चूहों की संख्या कम होने के बजाय लगातार बढ़ रही है।
चूहों का प्रकोप केवल प्रसूति वार्ड तक सीमित नहीं है। बर्न वार्ड, मेडिकल वार्ड, ट्रॉमा वार्ड और बच्चा वार्ड में भी इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ये चूहे मरीजों के खाने-पीने का सामान, दवाइयां और कपड़े कुतर रहे हैं। कई मामलों में मरीजों को काटने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
चूहों से न केवल मरीजों को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि ये संक्रमण फैलाने का भी कारण बन रहे हैं। अस्पताल प्रशासन की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। ठेका समाप्त होने के बाद भी नई व्यवस्था नहीं की गई है।