सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर नशे की क्लासेस चल रही है। ऐसे कई चैनल हैं जहां दवाओं के बारे में जानकारी के साथ ये भी बताया जा रहा है कि इन दवाओं को कितनी मात्रा में लेने पर नशा हो सकता है। दरअसल, पिछले दिनों इंदौर में एक युवक की नशे के ओवरडोज की व
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पुलिस ने उसके मोबाइल की हिस्ट्री खंगाली, तो पता चला कि दवाओं का नशे के रूप में इस्तेमाल करने का तरीका उसने यूट्यूब चैनल से सीखा था। जिस दवा को वो नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहा था वह डॉक्टर के पर्चे के बगैर नहीं दी जा सकती थी। इस मामले के सामने आने के बाद भास्कर ने यूट्यूब सर्च किया तो ऐसे एक या दो नहीं सैकड़ों चैनल मिले हैं।
इन चैनल के वीडियोज में खुलेआम मेडिकल नशा करने के तरीके बताए जा रहे हैं। भास्कर ने इन यूट्यूब चैनल की पड़ताल के साथ-साथ मेडिकल स्टोर से बिना डॉक्टर के पर्चे के वो दवाएं भी खरीदीं जिन्हें नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही इसके कानूनी पहलू को लेकर साइबर क्राइम एक्सपर्ट से भी बात की। संडे स्टोरी में पढ़िए किस तरह से यूट्यूब पर चल रही है नशे की पाठशाला
अब जानिए डॉक्टरों को नशे के बारे में कैसे पता चला युवक का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर और असिस्टेंट प्रोफेसर जीतेंद्र तोमर बताते हैं कि पहली बार उसकी बॉडी को देखकर ये समझ नहीं आया कि उसकी मौत कैसे हुई है। हमने उसके शरीर के सारे बॉडी पार्ट्स की इंटरनल जांच की उसके बाद भी मौत की वजह पता नहीं चली। जब उसके शरीर की बारीकी से जांच की तो पाया कि जांघों के बीच में सुई के निशान है।
इंसान की जांघ के पास फिमोरल ऑर्टरी होती है। ये सीधे हार्ट से जुड़ी होती है। यहां से बहुत रेयर कंडिशन में ही ब्लड सैंपल लिया जाता है। ऐसा केवल विशेषज्ञ डॉक्टर ही कर सकते हैं। युवक के फिमोरल ऑर्टरी के पास सुई के इतने सारे निशान मिलने से हमें शक हुआ। हम लोगों सीन ऑफ क्राइम यानी जिस कमरे में युवक की लाश मिली थी वहां जाने का फैसला किया।

नेपाली युवक का कमरा जहां से पुलिस को चम्मच और पेन किलर का पत्ता मिला था।
युवक के मोबाइल ने खोला राज डॉ. तोमर कहते हैं कि कमरे में हमें गद्दे पर एक लाइटर और दो सूप वाली चम्मच मिलीं। इसके साथ ही एक पेन किलर का खाली पत्ता मिला। ये बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं दिया जा सकता। साथ ही गद्दे के नीचे देखा तो पेन किलर की एक और स्ट्रिप थी जिसमें केवल दो गोलियां बची थीं। इसका अधिक सेवन नशे की लत लगा सकता है।
कमरे में जब और छानबीन की तो हमें एक सिरिंज मिली, जिस पर सुई लगी थी और कैप से कवर थी। ध्यान से देखने पर उस पर जमा हुआ खून भी दिखा। साथ ही कमरे की दीवार और वॉशरूम की टाइल्स पर भी खून के छींटे थे, जो शायद इंजेक्शन लगाने के बाद सुई को खाली करने के प्रयास में लगे होंगे। हमने उसका मोबाइल खंगाला तो पता चला कि वह यूट्यूब से फीमोरल ऑर्टरी में इंजेक्शन लगाना सीख रहा था।
वह प्रैक्टिकल कर रहा था। ऐसी जगह नशा ले रहा था जिससे किसी को उसकी इस आदत का पता न चले। उसने ये सब नया-नया सीखा था।

अब जानिए किस तरह से यूट्यूब चैनल सीखा रहे नशा लेना
चैनल1: थंबनेल पर लिखा-नशेड़ियों का पसंदीदा कैप्सूल राम वर्मा का एक यूट्यूब चैनल है। इस चैनल को चलाने वाले राम वर्मा ने अपने ही नाम पर बनाया है। इसके बायो में लिखा है कि इस चैनल पर आपको दवाइयों से जुड़ी सारी जानकारी दी जाएगी। चैनल पर अबतक 700 से ज्यादा वीडियो अपलोड हैं। एक वीडियो है जिसके थंबनेल पर लिखा है कि नशेड़ियों का पसंदीदा कैप्सूल।
वीडियो में इस कैप्सूल की ए-टू-जेड जानकारी दी गई है। ये पेट दर्द दूर करने का कैप्सूल है, लेकिन जानकारी देते हुए राम वर्मा ये भी बता रहे हैं कि इसमें कौन से साल्ट हैं और इससे कैसा नशा होता है। हालांकि, वीडियो में वो इस नशे के नुकसान के बारे में भी बता रहे हैं। इस वीडियो को 1 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं।

चैनल 2: थंबनेल पर लिखा- नशे की गोली, सही तरीका इस चैनल का नाम है मेडिपिक। चैनल पर 76 वीडियो अपलोड हैं। सबसे ज्यादा पॉपुलर वीडियोज के टाइटल नशे से ही जुड़े हैं। एक वीडियो का टाइटल है- नशे की गोली, बेहोशी की दवा, नींद की गोली। दूसरा टाइटल है- नशे की गोली, सही तरीका और तीसरे वीडियो के थंबनेल पर लिखा है- बेहोशी की गोली, 5 मिनट में असर शुरू। इन सभी वीडियोज में नींद की गोली की बात की जा रही है।
जब आप इन वीडियोज को प्ले करते हैं तो इन गोलियों के बारे में जानकारी दी जाती है। इनकी कीमत के बारे में बताया जाता है। साथ ही ये भी बताया जा रहा है कि इन दवाओं का कितनी मात्रा में इस्तेमाल करने पर ये नशे का काम करने लगती है। हालांकि, वीडियो के बीच-बीच में आवाज आती है कि इन्हें ज्यादा न ले, मगर अप्रत्यक्ष तौर पर मकसद ये बताना है कि इनसे नशा होता है।

केस3: यूजर ने लिखा- गुड टिप्स फॉर नशेड़ी
ये चैनल डॉ. अनंत राठी का है। डॉक्टर राठी दवाओं के बारे में जानकारी देते हैं। एक वीडियो जानकारी दे रहे हैं कि कैसे पहचाने कि कोई मेडिकल दवाओं का नशा तो नहीं कर रहा। इस वीडियो में वो दवाओं के बारे में बताते हैं। ये भी बताते हैं कि कितनी मात्रा में लेने पर किस दवा का नशा होता है। उन्हें लगता है कि वो नशे के खिलाफ लोगों को अवेयर कर रहे हैं।
उनके बनाए वीडियो पर जो कमेंट्स हैं उन्हें पढ़कर समझ आता है कि यूजर इसे किस रूप में ले रहे हैं। एक यूजर कमेंट करता हैं कि जिसको पता नहीं था उनको भी बता दिया डॉक्टर ने तो। एक और यूजर ने लिखा- गुड टिप्स फॉर नशेडी। तीसरे यूजर ने लिखा कि इस गोली के नशे के चलते मैं अपने 9 दोस्तों को एक साल के भीतर खो चुका हूं।

इंस्टाग्राम और एक्स पर भी नशे की कम्युनिटी यूट्यूब के साथ इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी ग्रुप बनाकर नशा करने के गुर सिखाए जा रहे हैं। एक्स पर एक ग्रुप है DRUGXITTER यहां मेडिकल ड्रग का नशे के तौर पर इस्तेमाल करना बताया जाता है। नेपाली युवक इसी ग्रुप से जुड़ा था। यहीं पर उसने पेन किलर को नशे के तौर पर इस्तेमाल करना सीखा था।
एक्सपर्ट बोले- कानून में कड़े प्रावधान साइबर क्राइम एक्सपर्ट यशदीप बताते हैं कि कई बार यूट्यूबर और इन्फ्लुएंसर ड्रग के बारे में जानकारी देते हैं, उनकी मंशा यूजर को जागरूक करने की होती है। मगर, उनके कंटेंट को देखकर लगता है कि कोई भी व्यक्ति इसका गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकता है। आप नहीं जानते कि कौन व्यक्ति आपके कंटेंट को किस तरह से ले रहा है।
दवाइयों के बारे में जब कोई इंटरनेट पर सर्च करता है, तो ये वीडियो ऐसे लोगों के लिए गाइड का काम करते हैं। यशदीप कहते हैं कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज एक्ट- 1954 बना है। जिसमें जो लोग जादू या दवा के चमत्कार के जरिए इलाज का दावा करते हैं ये उनपर लागू होता है। इस कानून को साल 2020 में संशोधित किया गया।
इसमें ये लिखा गया कि यदि आपको ऐसे किसी ड्रग्स के बारे में जानकारी नहीं है और आप इसका प्रचार प्रसार करते हैं तो ये प्रतिबंधित है।

बिना पर्चे के बिक रही ये दवाएं इन यूट्यूब चैनल्स में जिन दवाओं के बारे में बताया जा रहा है वो सारे शेड्यूल– एच 1 ड्रग्स हैं, यानी ये दवाइयां बिना डॉक्टर के पर्चे के मेडिकल स्टोर नहीं दे सकते। इतने सख्त नियमों के बाद ये नशा कैसे युवाओं तक पहुंच रहा है, ये पता करने के लिए भास्कर ने मेडिकल स्टोर्स पहुंचकर बिना पर्चे के ये दवाएं खरीदीं।
भास्कर रिपोर्टर सबसे पहले भोपाल के प्रभात चौराहे के ओम अस्पताल में संचालित दवा की दुकान पर पहुंचा यहां दुकानदार से प्रतिबंधित दवा मांगी जो उसने मिनटों में दे दी।
- रिपोर्टर: अल्ट्रा## टैबलेट है क्या? (ये दवा शेड्यूल एच- 1 कैटेगरी के तहत आती है)
- मेडिकल संचालक: अल्ट्रा## नाम से आएगी। सेम साल्ट है, बस नाम अलग है।
- रिपोर्टर: दे दीजिए।
- मेडिकल संचालक: कितनी दूं?
- रिपोर्टर: एक गोली कितने की है?
- मेडिकल संचालक: 15 रुपए की है।
- रिपोर्टर: ठीक है, चार दे दो।
मेडिकल संचालक ने बिना डॉक्टर का पर्चा देखे या मांगें 4 टैबलेट दे दी। इन टेबलेट्स पर रेड स्ट्रीप बनी है जिस पर साफ लिखा था कि ये शेड्यूल एच 1 टाइप ड्रग है। जिसे बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के नहीं दे सकते।

मेडिकल संचालक ने बिना पर्चे के ही प्रतिबंधित दवा रिपोर्टर को दे दी।
इसके बाद भास्कर रिपोर्टर ने मेट्रोसिटी मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में चल रही दवा की दुकान से भी इसी टैबलेट की मांग की। दुकानदार बोला कि दो टैबलेट 35 रुपए की मिलेगी। यहां से भी बड़ी आसानी से टैबलेट मिल गई। मेडिकल संचालक ने न तो डॉक्टर का पर्चा मांगा और न ही पूछा कि किस वजह से ये चाहिए।
ये केवल दो मेडिकल स्टोर नहीं है बल्कि कमोबेश हर मेडिकल स्टोर पर बिना पर्चे के दवाएं दी जाती है, जो कि गैरकानूनी है।

एडिशनल डीसीपी बोले- ऐसे चैनल के बारे में रिपोर्ट करें भोपाल क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि समय-समय पर ऐसे मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई की जाती है जहां ऐसे ड्रग अवैध तरीके से बेचे जाते हैं जो एनडीपीएस एक्ट के दायरे में आते हैं। पिछले हफ्ते ही हमने एक मेडिकल स्टोर पर कार्यवाही की थी। जो व्यक्ति इसका संचालन कर रहा था, वो इसके लिए पात्र ही नहीं था। उसे किसी दूसरे ने लाइसेंस दिया था।
चौहान कहते हैं कि सोशल मीडिया का दायरा असीमित है। भोपाल में बैठा व्यक्ति दिल्ली- मुंबई में बने वीडियो देख रहा है। इसे रोकने का सिर्फ एक उपाय यह है कि जैसे ही ऐसे यूट्यूब चैनल का पता चले तुरंत रिपोर्ट करें। या फिर साइबर पुलिस को सूचित करें।
मेडिकल ड्रग्स का चलन क्यों बढ़ा रहा है? इस सवाल के जवाब में चौहान कहते हैं कि एक तो ये सस्ते होते हैं। दूसरा इनका इस्तेमाल करने से किसी तरह के कानूनी कार्रवाई से बचा जा सकता है। इसी वजह से प्रतिबंधित कफ सिरप को लोग नशे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे रोकने का उपाय यही है कि ये मेडिकल स्टोर संचालक बिना पर्चे के इन्हें लोगों को न दे।
