ठगी करने वाले मास्टर माइंड मनीष गुप्ता ब्लैक शर्ट व उसका साथी दीपक कुमार पीली टी-शर्ट में।
ग्वालियर साइबर पुलिस ने इंटर स्टेट ठगों के बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। मास्टरमाइंड मनीष गुप्ता ने खुलासा किया कि बिहार के छपरा में बाकायदा ठगी सिखाने का ‘इंस्टीट्यूट’ चलता है, जहां से उसने यह तरीका सीखा। इसके बाद उसने बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा
.
चौंकाने वाली बात यह है कि मनीष और उसका साथी दीपक सिर्फ 12वीं पास हैं, लेकिन उन्होंने अपने जाल में इंजीनियरों और कंपनी अफसरों जैसे पढ़े-लिखे लोगों को फंसा लिया।
राज्य साइबर सेल जोन ग्वालियर थाना
छपरा से सीखी ठगी, 5 राज्यों में फैलाया नेटवर्क
गिरोह का सरगना मनीष गुप्ता निवासी छपरा, बिहार ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने ठगी के गुर वहीं के एक इंस्टीट्यूट से सीखे। इसके बाद उसने बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के 25 से ज्यादा शहरों में अपना नेटवर्क फैला लिया।
वह बेरोजगार युवाओं को 15-15 हजार रुपए वेतन पर हायर करता था और उनके बैंक अकाउंट व दस्तावेज अपने पास रखकर कॉल सेंटर में नौकरी देता था।
15 हजार सैलरी पर रखे ग्रेजुएट, कराए ट्रांजैक्शन
ठग युवाओं को कॉल सेंटर में 15 हजार मासिक वेतन पर काम पर रखते थे। उनकी शर्त होती थी कि नौकरी के लिए बैंक अकाउंट की पूरी डिटेल और डॉक्यूमेंट जमा करना होगा। इन अकाउंट्स से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कराया जाता था और आधार कार्ड से फर्जी मोबाइल नंबर लिंक कराए जाते थे। इस तरह युवाओं का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जाता था।
गूगल पर बनाते थे फर्जी नंबर और रिक्वेस्ट फॉर्म
गिरोह की चालबाजी इतनी गहरी थी कि यह बड़ी-बड़ी कंपनियों के नाम से गूगल पर फर्जी नंबर अपलोड कर देते थे। जब भी कोई फ्रेंचाइजी या कस्टमर सर्विस सर्च करता, तो उनका फर्जी रिक्वेस्ट फॉर्म खुलता। इसमें भरने पर डेटा सीधे ठगों तक पहुंच जाता। इसके बाद ये खुद को कंपनी का अधिकारी बताकर लोगों को कॉल करते और मोटी रकम ठग लेते।
चॉकलेट कंपनी की फ्रेंचाइजी के नाम पर लाखों की ठगी
ग्वालियर के व्यापारी प्रदीप सेन से कैडबरी कंपनी की फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर 5.70 लाख रुपए ठगे गए। दिल्ली में भी एक कारोबारी को इसी तरह 20 लाख रुपए का चूना लगाया गया। पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरोह ने चॉकलेट कंपनियों की फ्रेंचाइजी के नाम पर सबसे ज्यादा लोगों को निशाना बनाया।
फर्जी डाक्यूमेंट्स और एजेंट्स का जाल
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पहचान छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज और सिम कार्ड तैयार कर रखे थे। अलग-अलग राज्यों में एजेंट बैठा रखे थे जो एटीएम से कैश निकालते थे। जैसे ही ठगी होती, 20 मिनट के भीतर पूरा पैसा एजेंट निकाल लेते थे।
सिर्फ 12वीं पास, पर इंजीनियर-अफसर बने शिकार
पुलिस के मुताबिक सरगना मनीष गुप्ता (31) और उसका साथी दीपक कुमार (24) दोनों ही सिर्फ 12वीं पास हैं। बावजूद इसके उन्होंने इंजीनियरों और बड़ी कंपनियों के अधिकारियों जैसे शिक्षित लोगों को भी आसानी से अपने झांसे में ले लिया। कॉल सेंटर में काम करने वाले युवक-युवतियां ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट थे, लेकिन वे भी ठगों की चाल समझ नहीं पाए।
ग्वालियर साइबर पुलिस ने दिल्ली से दबोचा
ग्वालियर साइबर पुलिस की टीम उप पुलिस अधीक्षक संजीव नयन शर्मा के निर्देशन में लंबे समय से इस गिरोह पर नजर रखे थी। लगभग एक साल तक अलग-अलग आईपी एड्रेस और लोकेशन की ट्रैकिंग के बाद पुलिस ने आखिरकार दिल्ली से मनीष गुप्ता और दीपक कुमार को गिरफ्तार कर लिया। टीम में निरीक्षक मुकेश नारोलिया, उपनिरीक्षक हिमानी पाठक, एसआई शैलेंद्र राठौर, प्रधान आरक्षक पवन शर्मा और आरक्षक पुष्पेंद्र यादव शामिल थे।
डीएसपी संजीव नयन शर्मा ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में कई बड़े राज सामने आए हैं। बिहार से लेकर हरियाणा तक फैले इस गिरोह से जुड़ी और जानकारियां सामने आने की संभावना है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही और नाम और नेटवर्क उजागर होंगे।