मध्य प्रदेश में 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को तैयार करने में जुट गई है। 19 और 20 सितंबर को खजुराहो में समाजवादी पार्टी के चुनिंदा 500 कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग होगी। इस ट्रेनिंग के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश या
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ये नेता एमपी के सपा कार्यकर्ताओं को देंगे ट्रेनिंग
- धर्मेंद्र यादव, सांसद आजमगढ़
- आरके चौधरी, सांसद मोहनलालगंज
- नारायणदास अहिरवार, सांसद जालौन
- अजेन्द्र लोधी, सांसद हमीरपुर
- बादशाह सिंह, पूर्व मंत्री
- चंद्रदेव राम यादव करेली, पूर्व मंत्री
- शशांक यादव, पूर्व विधान परिषद सदस्य
- डॉ लक्ष्मण यादव, दिल्ली- विचारक
- एसए राय, जेएमटी लखनऊ
- सुरेश यादव, पूर्व आईएफएस
खजुराहो को ट्रेनिंग के लिए इसलिए चुना गया उत्तरप्रदेश से सटे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में सपा का अच्छा प्रभाव रहा है। छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, रीवा, सतना, भिंड, सीधी और बालाघाट तक सपा का अच्छा प्रभाव रहा है। खजुराहो में एयरपोर्ट कनेक्टिविटी होने और यूपी-एमपी के बुंदेलखंड से नेताओं को आने जाने के लिए सुविधाजनक है। ऐसे में ट्रेनिंग के लिए खजुराहो को चुना गया है।
खजुराहो में समाजवादी पार्टी प्रांतीय कार्यालय भी बनाने जा रही है। इसके लिए सपा ने कार्यालय के लिए जमीन खरीदकर ऑफिस निर्माण शुरू भी कर दिया है।
खजुराहो में एयरपोर्ट के सामने सपा का प्रदेश कार्यालय भी बन रहा है। अक्टूबर 2024 में इसका भूमिपूजन हुआ था।
सपा प्रदेश अध्यक्ष बोले- हम सरकार बनाने की दिशा में काम कर रहे सपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ मनोज यादव ने कहा, खजुराहो में समाजवादी पार्टी दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित करने जा रही है। इस प्रशिक्षण में मप्र के समाजवादी पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्षों सहित प्रमुख 500 कार्यकर्ता शामिल होंगे।
मप्र में समाजवादी पार्टी का संगठन तेजी से बढ़ रहा है। हम जनता के मुद्दों को उठा रहे हैं। किसानों, महिलाओं के मुद्दे उठा रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजवादी पार्टी लगातार उठा रही है। ये केवल प्रशिक्षण शिविर ही नहीं बल्कि पार्टी की नीतियों को कार्यकर्ताओं के जरिए जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनेगी।
आने वाले समय में नगरीय निकाय के चुनाव में सपा का प्रदर्शन देखने को मिलेगा। 2028 में तीसरा विकल्प बनने के लिए नहीं अब हम लोग सरकार बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
1998 के विधानसभा चुनाव में 94 में से 4 उम्मीदवार जीते थे
छत्तीसगढ़ अलग होने से पहले का यह अविभाज्य मध्यप्रदेश का आखिरी चुनाव था। कुल 320 विधानसभा सीटों में से सपा ने 94 पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 4 को जीत मिली थी और 84 की जमानत जब्त हो गई थी। रौन, दतिया, चंदला और पवई में सपा के उम्मीदवार जीते थे। सपा को इस चुनाव में कुल 4.83 फीसदी वोट मिले थे।
दिग्विजय सत्ता से बाहर हुए उस वक्त सपा ने रिकॉर्ड 7 सीटें जीतीं थी।
2003 विधानसभा चुनाव- सपा का प्रदर्शन देख हैरान थे चुनावी पंडित
1993 से 2003 तक दिग्विजय सिंह की कांग्रेस की सरकार रही। 2003 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 230 में से 161 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे, जिनमें से 7 को जीत मिली थीं। छतरपुर, चंदला, मैहर, गोपदबनास, सिंगरौली, पिपरिया और मुल्ताई में सपा के उम्मीदवार विधायक चुने गए थे।
सपा को कुल 5.26 फीसदी वोट हासिल हुए थे। छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद मध्यप्रदेश में यह पहला विधानसभा चुनाव था और कांग्रेस के 10 साल के राज के बाद भाजपा 173 सीटों के साथ सत्ता में लौटी थी।