जबड़ा पकड़ा, साड़ी उतारकर फंदा बनाया और मार डाला: सियार से 30 मिनट संघर्ष, लड़ते-लड़ते बेहोश हुई 65 साल की महिला; 6 घंटे बाद होश आया – Shivpuri News

जबड़ा पकड़ा, साड़ी उतारकर फंदा बनाया और मार डाला:  सियार से 30 मिनट संघर्ष, लड़ते-लड़ते बेहोश हुई 65 साल की महिला; 6 घंटे बाद होश आया – Shivpuri News


शिवपुरी में 65 साल की एक महिला 30 मिनट तक खूंखार सियार से लड़ती रही। लड़ते-लड़ते वह बेहोश तक हो गई। खुद की जान बचाने के लिए अपनी साड़ी तक निकाल दी। उसी से फंदा बनाया, फिर सियार का जबड़ा पकड़कर फंदे से उसका गला कस दिया। फंदे को तब तक खींचकर रखा, जब तक की उ

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दैनिक भास्कर की टीम 65 साल की सूरजिया बाई से बात करने अस्पताल पहुंची, यहां सियार से हुए संघर्ष के बारे में उसने बात की, पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

तीन तस्वीरों में देखिए सियार का हमला…

सियार के हमले में पुलिस के पास बेहोशी की हालत में पड़ी हुई महिला।

महिला ने सियार से संघर्ष किया और उसके गले में साड़ी का फंदा लगाकर मार डाला।

महिला ने सियार से संघर्ष किया और उसके गले में साड़ी का फंदा लगाकर मार डाला।

महिला को सियार ने 18 स्थानों पर काटा है, जिस कारण महिला भी बेहोश हो गई।

महिला को सियार ने 18 स्थानों पर काटा है, जिस कारण महिला भी बेहोश हो गई।

आंखों के सामने अंधेरा छा गया था

जिला अस्पताल में भर्ती 65 साल की सूरजिया बाई जाटव बताती हैं कि वे बदरवास थाना क्षेत्र के बरखाड़ी गांव की रहने वाली हैं। हमारा परिवार खेती करता है। घर पर मवेशी भी हैं, उन्हीं के लिए हर दिन घास लाना होता है।

सोमवार शाम को भी घास लेने खेत पर गई थी। करीब शाम के 5 बज रहे होंगे। मैं घास काट रही थी, इसी दौरान पुलिया की ओर से कुछ आवाज आई। मैं कुछ समझ पाती इसके पहले ही एक सियार सियार मुझ पर झपट गया।

एकाएक हुए हमले से मैं जमीन पर गिर गई। सियार ने मुझे काटना शुरू कर दिया। सबसे पहले उसने मेरे पैरों पर दांत गड़ाए। मैं दर्द के मारे चीख उठी, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया, क्योंकि खेत के आसपास तब कोई नहीं था।

मेरे चीखते ही सियार और ज्यादा हमलावर हो गया। वह हाथ पर काटने लगा। मौत आखों के सामने दिखने लगी। पहले तो कुछ समझ नहीं आया, सियार मुझे नोंच रहा था। कुछ ही देर में यह समझ आया कि मरना तो अब तय है, एक बार लडूं तो। मैंने हिम्मत जुटाई और दोनों हाथ से सियार के जबड़े को कसकर पकड़ लिया। वह थोड़ा कमजोर हुआ तो तेजी से पलटी मारकर उसके ऊपर बैठ गई।

जबड़े खींचने से खून आने लगा

सियार को संभालना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में मैंने उसके जबड़ों को अलग-अलग दिशा में खींचना शुरू कर दिया। लगातार जबड़े खींचने से खून आने लगा, वह घायल हुआ तो हमला करना कम किया। मैं उससे लड़ तो रही थी, लेकिन मैं भी अब थकने लगी थी। करीब 20 मिनट बीत गए थे। उसे मारूं कैसे, यह समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि उसे नहीं मारती तो वह मुझे मार देता।

लड़ते-लड़ते मेरे दिमाग में आया कि फंदे से इसका गला कस दूं। मैंने तत्काल अपनी साड़ी निकालना शुरू किया। एक हाथ से पकड़ कमजोर होने पर वह मुझ पर हावी होने लगा। वह फिर से हमला करता, इसके पहले ही उसके ऊपर बैठकर मैंने साड़ी निकाल दी। जैसे-तैसे फंदा बनाया और उसके गले पर डाल दिया।

मेरी पकड़ कमजोर हुई तो वह मेरी ओर झपटा, मैंने तेजी से फंदा खींच दिया। वह तड़पने लगा। काफी देर तक तड़पने के बाद वह शांत हो गया। मेरी हिम्मत भी जवाब दे गई थी। उससे लड़ते हुए करीब 30 मिनट हो गए थे। मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था। मुझे नहीं पता कि मेरे हाथ से साड़ी कब छूट गई, क्योंकि मैं बेहोश हो चुकी थी। करीब 6 घंटे बाद होश आया तो पता चला जिला अस्पताल में हूं। उसके हमले से शरीर पर कई जगह जख्म हो गए हैं।

सियार ने महिला के हाथ पर जगह-जगह काटा है।

सियार ने महिला के हाथ पर जगह-जगह काटा है।

नाती बोला- दादी को आधी रात में आया होश

सूरजियाबाई के नाती देवेंद्र जाटव का कहना है कि घटना की सूचना मिलते ही वे परिवार के साथ मौके पर पहुंचे। दादी बेहोश थीं, उनके हाथ-पैर खून से लथपथ थे और पास ही सियार मृत पड़ा था, जिसके गले में दादी की साड़ी का फंदा फंसा हुआ था।

तत्काल एंबुलेंस से सूरजिया बाई को बदरवास स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उन्हें गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। आधी रात में उन्हें होश आया, तब परिवार ने राहत की सांस ली। डॉक्टरों के अनुसार, सूरजिया बाई को कई गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज जारी है। हम उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

जीना चाहती थी, परिवार पर टूट चुके थे दुखों के पहाड़

सूरजिया बाई ने बताया कि वे पति और दो बेटों के साथ मजदूरी कर जीवनयापन करती थीं। उनके पास महज 4 बीघा जमीन है। पति घसीटा जाटव की मौत हो चुकी है। कुछ समय पहले बेटे पहलवान की बीमारी से मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद यह दूसरा बड़ा झटका था। अब परिवार की जिम्मेदारी उनके और छोटे बेटे बद्री पर आ गई थी।

सूरजिया बाई ने बताया कि 6 माह पहले उनके देवर लटूरा जाटव पर भी सियार ने हमला किया था। उस वक्त घर में बच्चे थे और देवर ने जान की बाजी लगाकर बच्चों को बचाया था। हालांकि सियार ने उन्हें कई जगह काटा था, देवर ने भी लड़ते हुए सियार को मार दिया था। लेकिन कुछ समय बाद वे पागलों जैसी हरकत करने लगे। मुंह से कुत्तों जैसी आवाजें निकालते और करीब 3 माह बाद उनकी मौत हो गई। अब सूरजिया को भी यही चिंता सता रही है।

65 साल की सूरजिया बाई का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।

65 साल की सूरजिया बाई का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।

डॉक्टर ने कहा-दो नंबर श्रेणी में रखा गया है

जिला अस्पताल के डॉक्टर आरपी सिंह के अनुसार, जंगली जानवर या कुत्ते के काटने पर मरीजों को घावों की गंभीरता के आधार पर तीन श्रेणियों में रखा जाता है: श्रेणी-1 (सामान्य), श्रेणी-2 (गंभीर) और श्रेणी-3 (सबसे खतरनाक)। सूरजिया बाई के शरीर पर 13 गहरे जख्म हैं, लेकिन हमला सिर, गले या पेट पर नहीं होने के कारण उन्हें श्रेणी-2 में रखा गया है। डॉक्टर सिंह ने बताया कि उन्हें एंटी-रेबीज इंजेक्शन दिए जाएंगे और 7-10 दिनों में घाव भरने की उम्मीद है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है और उम्मीद है कि तीन दिनों में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।

डीएफओ बोले-उपचार का पूरा खर्च उठाएंगे

डीएफओ सुधांशु यादव के अनुसार, वन विभाग को महिला के घायल होने की सूचना मिलते ही रेंजर को बदरवास स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया था। गाइडलाइन के मुताबिक, तत्काल एक हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी गई थी। उन्होंने बताया कि महिला का जब तक उपचार जारी रहेगा, उसका पूरा भुगतान वन विभाग द्वारा किया जाएगा।

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सियार का महिला पर हमला, मुंह-पैर, उंगलियों में चोट आई:बेटी ने शोर कर मां को बचाया

शिवपुरी में एक महिला पर सियार ने हमला कर दिया। महिला के मुंह, हाथ और पैरों में चोट आई हैं। उसके घावों से खून बहा। मामला बैराड़ थाना क्षेत्र के जाफरपुर गांव में मंगलवार शाम का है। महिला खेत में काम कर रही थी, तभी उस पर हमला हुआ। महिला की बेटी मौके पर पहुंच गई और शोर मचाकर मां की जान बचा ली। घायल महिला का नाम उर्मिला जाटव है। पूरी खबर पढ़ें



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