Pitru Paksha 2025: उज्जैन के रामघाट और सिद्धवट पर क्यों सबसे खास है पिंडदान? तर्पण करने वालों की भीड़ उमड़ी

Pitru Paksha 2025: उज्जैन के रामघाट और सिद्धवट पर क्यों सबसे खास है पिंडदान? तर्पण करने वालों की भीड़ उमड़ी


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Ujjain RamGhat: उज्जैन के रामघाट (Ramghat) पर तर्पण का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि स्कंद पुराण के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण इस नगर से जब गुजरे तो उन्होंने पिता दशरथ के लिए यहां…और पढ़ें

Ujjain News: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ हो चूका है और यह आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर खत्म हो जाएगा. पितृ पक्ष में पितरों को याद कर सम्मान प्रदान किया जाता है. पितृपक्ष में 15 दिन के दौरान पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. पितृ पक्ष के दौरान उज्जैन के रामघाट पर हज़ारों की संख्या मे श्रद्धालु पिंडदान और पूर्वजों का तर्पण करने आते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस घाट की मान्यता भगवान राम से जुड़ी है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि यहां पिंडदान का क्यों विशेष महत्व है.

मोक्षदायिनी और उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के तट पर श्राद्ध पक्ष ही नहीं, बल्कि आम दिनों में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु तर्पण और कर्मकांड के लिए आते हैं. पंडित आनंद भारद्वाज ने लोकल 18 को बताया कि शिप्रा नदी को भगवान महाकाल की गंगा के रूप में जाना जाता है. साथ ही ऐसी मान्यता है कि यह भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली से प्रकट हुई है. स्कंद पुराण के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण इस नगर से जब गुजरे तो उन्होंने पिता दशरथ के लिए यहां पर तर्पण-श्राद्ध किया था, इसलिए इस घाट का महत्व बढ़ जाता है.

वट वृक्ष  के महत्व का उज्जैन में विशेष महत्व
भारत में चार वट वृक्ष महत्वपूर्ण माने गए हैं, प्रयाग का अक्षयवट, वृंदावन का वंशीवट, गया का बौद्धवट और उज्जैन का सिद्धवट. पुजारी जी ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार, शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी इस वट के नीचे सेनापति नियुक्त हुए और तारकासुर का वध किया. यहां तीन प्रकार की सिद्धि संतति, संपत्ति और सद्गति की प्राप्ति होती है. तीनों की प्राप्ति के लिए लोग सिद्धवट पर दूध चढ़ाने आते हैं. यहां संद्रति अर्थात पितरों के लिए पिंडदान-तर्पण, संपत्ति अर्थात लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रक्षासूत्र बांधने और संतति अर्थात पुत्र प्राप्ति के लिए उल्टा सातिया (स्वास्तिक) बनाने का विधान है.

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

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Pitru Paksha 2025: उज्जैन के रामघाट और सिद्धवट पर क्यों सबसे खास है पिंडदान?



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