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Ujjain RamGhat: उज्जैन के रामघाट (Ramghat) पर तर्पण का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि स्कंद पुराण के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण इस नगर से जब गुजरे तो उन्होंने पिता दशरथ के लिए यहां…और पढ़ें
मोक्षदायिनी और उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के तट पर श्राद्ध पक्ष ही नहीं, बल्कि आम दिनों में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु तर्पण और कर्मकांड के लिए आते हैं. पंडित आनंद भारद्वाज ने लोकल 18 को बताया कि शिप्रा नदी को भगवान महाकाल की गंगा के रूप में जाना जाता है. साथ ही ऐसी मान्यता है कि यह भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली से प्रकट हुई है. स्कंद पुराण के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण इस नगर से जब गुजरे तो उन्होंने पिता दशरथ के लिए यहां पर तर्पण-श्राद्ध किया था, इसलिए इस घाट का महत्व बढ़ जाता है.
वट वृक्ष के महत्व का उज्जैन में विशेष महत्व
भारत में चार वट वृक्ष महत्वपूर्ण माने गए हैं, प्रयाग का अक्षयवट, वृंदावन का वंशीवट, गया का बौद्धवट और उज्जैन का सिद्धवट. पुजारी जी ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार, शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी इस वट के नीचे सेनापति नियुक्त हुए और तारकासुर का वध किया. यहां तीन प्रकार की सिद्धि संतति, संपत्ति और सद्गति की प्राप्ति होती है. तीनों की प्राप्ति के लिए लोग सिद्धवट पर दूध चढ़ाने आते हैं. यहां संद्रति अर्थात पितरों के लिए पिंडदान-तर्पण, संपत्ति अर्थात लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रक्षासूत्र बांधने और संतति अर्थात पुत्र प्राप्ति के लिए उल्टा सातिया (स्वास्तिक) बनाने का विधान है.
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें
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