दरअसल, सड़क परिवहन मंत्रालय ने फिटनेस टेस्ट की फीस में जबरदस्त बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है. अभी तक निजी गाड़ियों के लिए इतना ज्यादा खर्च नहीं था, लेकिन नए नियम लागू होने पर हर पुराने वाहन का फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य होगा और इसकी लागत पहले से कई गुना बढ़ जाएगी. इसका सीधा असर आम वाहन मालिकों की जेब पर पड़ेगा.
ट्रक और बस मालिकों पर सबसे ज्यादा असर
निजी गाड़ियों के मुकाबले कमर्शियल वाहनों पर असर कहीं ज्यादा होगा. प्रस्ताव के मुताबिक, 10, 13, 15 और 20 साल से पुराने कमर्शियल वाहनों के लिए अलग-अलग फीस तय की जाएगी. अभी तक 15 और 20 साल से पुराने वाहनों की फिटनेस फीस एक जैसी थी, लेकिन अब 20 साल से ज्यादा पुराने वाहनों की फीस दोगुनी कर दी जाएगी.
अब तक क्या हैं नियम?
कमर्शियल वाहन: आठ साल तक हर दो साल में फिटनेस टेस्ट, उसके बाद हर साल.
निजी वाहन: 15 साल बाद रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल के समय फिटनेस टेस्ट और फिर हर पांच साल में.