बिना जरूरत के ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की दवाइयों का सेवन बहुत हद तक किडनी रोगों को बढ़ा रहा है। अपडेट रहना और सही जानकारी पाना बेहद जरूरी है। जब हम सभी डॉक्टर एकत्रित होते हैं तो अनुभव और ज्ञान साझा करते हैं। इससे न केवल डॉक्टरों को बल्कि रोगियों को
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अत्यधिक प्रोटीन और फैट युक्त भोजन और सप्लीमेंट्स किडनी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हमारे शरीर को केवल 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो बॉडी वेट की आवश्यकता होती है। इससे अधिक प्रोटीन किडनी को हानि पहुंचाता है।
यह बात गुजरात से आए डॉ. मोहन मनोहर राजापुरकर ने शुक्रवार को आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी, वेस्ट जोन चैप्टर (ISNWZ) एनुअल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस के पहले दिन कही। पहले दिन का मुख्य फोकस किडनी ट्रांसप्लांटेशन से जुड़ी इम्यूनोलॉजी और एथिकल पहलुओं पर रहा।
कॉन्फ्रेंस में शामिल एक्सपर्टस।
डॉ. आरए सिरसाट ने कहा- पहले दिन किडनी ट्रांसप्लांट पर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें ट्रांसप्लांट के बाद बरती जाने वाली सावधानियों और नई तकनीकों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। ज्ञान और विशेषज्ञता का यह आदान-प्रदान सभी को अपडेट कर रहा है।
एक मृत व्यक्ति छह लोगों को दे सकता है नया जीवन
मुंबई से आए डॉ. एलन अल्मेडा ने बताया कि आज भी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कई मरीज इंतजार कर रहे हैं। केवल 5% ट्रांसप्लांट कैडेबर (मृत व्यक्तियों) से हो रहे हैं, जबकि 95% लाइव डोनर्स से किए जा रहे हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करना होगा। एक मृत व्यक्ति छह लोगों को नया जीवन दे सकता है। यह हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि हम अंगदान को बढ़ावा दें।
बोरवेल का हार्ड व गंदा पानी भी किडनी रोगों को देता है जन्म
पुणे से आए डॉ. नारायण आचार्य ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट में किन-किन सावधानियों की जरूरत होती है, इस पर विस्तृत चर्चा हुई। अब समाज में जागरूकता बढ़ रही है और लोग किडनी दान के लिए आगे आ रहे हैं। सही खानपान के बावजूद दवाइयों के कारण किडनी की समस्याएं बढ़ रही हैं।
इसके अलावा पर्याप्त पानी न पीना, पथरी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियां और बोरवेल सहित अन्य स्रोतों का हार्ड व गंदा पानी भी किडनी रोगों को जन्म देता है। साथ ही, किडनी की बीमारियां कई बार आनुवंशिक भी होती हैं।
पर्याप्त पानी पिये, बेहतर जीवनशैली चुनें
नाडियाड से आए वेस्ट जोन के सेक्रेटरी डॉ. उमापति नरसिंहा हेगड़े ने कहा कि हम लोगों को शिक्षित करने के लिए एकत्र होते हैं और यह मंच अनुसंधान और नवाचार को प्रदर्शित करने का भी बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। विदेशी विशेषज्ञ भी ऑनलाइन जुड़कर मार्गदर्शन कर रहे हैं। हम लोगों से कहना चाहेंगे कि अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें, पर्याप्त पानी पिएं, बेहतर जीवनशैली चुनें और समय-समय पर जांच कराते रहें। समय पर निदान ही सबसे महत्वपूर्ण है।
ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. प्रदीप सालगिया ने कहा ‘आईएसएन डब्ल्यूजेड-2025 का पहला दिन बेहद उपयोगी और ज्ञानवर्धक रहा। वर्कशॉप और सेशंस ने डॉक्टरों को नई तकनीक और व्यावहारिक अनुभवों से अपडेट किया। सेक्रेटरी डॉ. राजेश भराणी ने कहा कि पहले दिन हुई चर्चाओं से यह स्पष्ट हुआ कि किडनी ट्रांसप्लांटेशन में इम्यूनोलॉजी और एथिकल पहलू कितने अहम हैं। आने वाले दो दिनों में और भी नई रिसर्च और उपचार तकनीकों पर चर्चा होगी।
दिन की शुरुआत इम्यूनोलॉजी वर्कशॉप से हुई। इसमें ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी की बेसिक समझ, क्रॉस मैचिंग, HLA टाइपिंग, HLA एंटीबॉडी और एप्लेट्स के उपयोग जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार मॉडर्न तकनीकों का उपयोग कर ट्रांसप्लांट को और सुरक्षित व प्रभावी बनाया जा सकता है।
शाम के सत्रों में ट्रांसप्लांट एथिक्स और डिसीज डोनर ट्रांसप्लांट पर विशेष फोकस किया गया। इसमें ट्रांसप्लांटेशन में एथिकल और लीगल इश्यूज, NOTTO नियमों में संशोधन, कार्डियक डेथ के बाद अंगदान, मशीन पर फ्यूजन और स्वैप ट्रांसप्लांट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।