Last Updated:
Torai Growing Tips: बारिश के मौसम में मार्केट में तरह-तरह की सब्जी आती है. ऐसी ही एक सब्जी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे उगाना बहुत ही आसान है. आइए जानते हैं इसके बारे में…
छतरपुर जिले में बारिश के मौसम में एक ऐसी भी सब्जी उगती है जिसे क्षेत्रीय भाषा में तरोई, तोरई, या मीठी फदकुलिया भी कहते हैं. इसे उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सतपुतिया या झींगी के नाम से भी पहचाना जाता है. बारिश के मौसम में इसे घर पर लगाना बहुत आसान होता है.

हालांकि, ज्यादातर लोग तो इस सब्जी की पहचान ही नहीं कर पाते हैं. इस सब्जी का स्वाद भी दूसरी सब्जियों से अलग होता है. इस सब्जी को बरसात और ठंड में खाया जाता है.

छतरपुर जिले के नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ वैज्ञानिक डॉ कमलेश अहिरवार बताते हैं कि गांव में तो इस सब्जी को गन्ने, मक्के के खेत में बो दी जाती है, कहीं खेतों की मेढ़ पर बो देते है और डंडे गाड़ कर रस्सी बांधकर चढ़ा देते है.

ये ऐसी सब्जी है जिसका अपना कोई खेत नहीं होता है. ये सह-फ़सल के रूप में अन्य सब्जी या फ़सल के साथ खेत के किनारे या छप्पर, टाटी पर लटक कर अपना जीवन व्यतीत कर लेती है. घर पर जैसे अन्य बेलदार सब्जी लगाते हैं वैसे ही इसे लगा सकते हैं.

गमले में या जमीन में 2 से 3 इंच की गहराई में बीज डाल दें. 4 से 6 इंच की दूरी पर बीज रोप दें. सुबह-सुबह पानी देते रहें. हालांकि, बारिश मौसम में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.

लगभग 3 दिनों बाद ही बीज अंकुरित हो जाता है और ये बढ़ने लगती है. लगभग 40 दिन में ही ये फूल देना शुरू कर देती है. शाम के समय इस पर छोटे-छोटे पीले फूलों की बहार आ जाती है जिस पर तितलियाँ, भौरे गुन-गुन गाते हुए आनंद लेते है.

लगभग 60 दिनों बाद इसमें फल आने शुरू हो जाते हैं. इस बेलदार पौधे में फल सात फल के गुच्छे में आते हैं. इसलिए इसका नाम सतपुतिया भी पड़ा है. ये सब्जी घर में 12 महीने उगा सकते हैं. इस सब्जी में कैल्शियम और आयरन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

वहीं छतरपुर की 80 वर्षीय शफरीन बताती हैं कि फदकुलिया सब्जी चार अंगुल से अधिक बड़ी नहीं होती है. बस जैसे ही तनिक हष्ट-पुष्ट दिखे तोड़ ली जाती है. सुबह-सुबह इसे नहला धुला कर, काट लीजिये. लोहे की कड़ाही में सरसों के तेल में,लहसुन,मिर्च का (तड़का )देकर इसे धीमी आंच पर बना लीजिए.