भोपाल में भेल के रिटायर्ड सुपरवाइजर के साथ साइबर अपराधियों द्वारा दो महीने तक डिजिटल अरेस्ट कर 68 लाख 30 हजार रुपए की ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। आरोपियों ने खुद को टेलीकॉम विभाग और सीबीआई अधिकारी बताकर 71 वर्षीय बुजुर्ग को डराया और मानव तस्करी व
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अयोध्या नगर निवासी विनोद कुमार गुप्ता (71) भेल से सुपरवाइजर पद से रिटायर हुए हैं। उन्हें आरोपियों ने कॉल कर बताया कि उनके नाम से दिल्ली के चांदनी चौक में एक सिम कार्ड रजिस्टर्ड हैं, जिसका इस्तेमाल अपराधों में हो रहा है।
इसके अलावा उनकी आईसीआईसीआई बैंक पासबुक से 68 करोड़ रुपए के काले धन और ड्रग-मानव तस्करी के मामले जुड़ने की बात कहकर उन्हें धमकाया गया। विनोद गुप्ता की शिकायत पर भोपाल क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब उन बैंक खातों की डिटेल और साइबर ट्रेल खंगाल रही है, जिनमें रकम ट्रांसफर हुई।
जुलाई से सितंबर तक रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’
आरोपियों ने 4 जुलाई से 4 सितंबर 2025 तक विनोद गुप्ता को डिजिटल अरेस्ट में रखा। इस दौरान हर गतिविधि की अनुमति उन्हें ऑनलाइन देनी पड़ती थी, चाहे पूजा करनी हो या भोजन करना। आरोपी अनुमति देते समय मैसेज में “डीएम-592” कोड लिखते और अंत में “जय हिंद” लिखना अनिवार्य करते थे।
आगे बढ़ने से पहले जानिए, डिजिटल अरेस्ट क्या होता है
9 बैंकों में कराए 68.30 लाख रुपए ट्रांसफर ठगों ने अलग-अलग खातों में रकम ट्रांसफर कराई। इनमें सीएसबी बैंक, करुर व्यास बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, कोटक बैंक, बंधन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक के दो खाते शामिल हैं। विनोद गुप्ता ने रिश्तेदारों से उधार लेकर भी पैसा भेजा।
सरकारी दस्तावेज दिखाकर बनाया भरोसा पूरे प्रकरण के दौरान आरोपियों ने अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के फर्जी दस्तावेज और नोटिस दिखाकर रिटायर्ड सुपरवाइजर को मानसिक रूप से भयभीत कर दिया। धोखे का शिकार हुए विनोद गुप्ता अब न्याय की गुहार लगाते हुए पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
