श्राद्ध पक्ष में उज्जैन के सिद्धवट घाट और श्रीकृष्ण विहार कॉलोनी में लोगों की भीड़ हो रही है। जहां लोग तर्पण के लिए सिद्धवट घाट पर पहुंच रहे हैं, वहीं पितरों तक भोग पहुंचाने के लिए कौओं की खोज में कॉलोनी आ रहे हैं। दरअसल, इस कॉलोनी में हजारों कौए हैं।
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कॉलोनी के रहवासी अशोक दुबे ने बताया कि कॉलोनी में इतने कौए हैं कि एक माह में ढाई क्विंटल चावल खा जाते हैं। उन्होंने बताया कि मैं कॉलोनी में साल 2017 से रह रहा हूं। रोज शाम को चिड़ियों को दाना डालने लगा, इसके बाद कुछ कौए दाना खाने आने लगे और फिर संख्या बढ़ती गई। दुबे को देखकर पास ही रहने वाला हार्दिक जांगड़े कौओं के लिए पानी भरकर रखने लगा। इस कारण कौए और बढ़ गए।
श्रीकृष्ण विहार कॉलोनी में दाना चुगते हुए कौए।
सुबह 6 बजे से शुरू हो जाती है दावत
कौओं की दावत इन दिनों सुबह 6 बजे शुरू हो जाती है। लोग बाहर से आकर कॉलोनी में कौओं को खाना खिला रहे हैं। दरअसल, शहरी क्षेत्रों में कौए न मिलने से लोग परेशान होते हैं।
श्राद्ध में कौओं का विशेष महत्व
श्राद्ध पक्ष में कौओं को भोजन कराने और पानी पिलाने का धार्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में कौओं को पितरों का दूत माना जाता है। जब कौआ भोजन करता है, तो उसे पितरों के भाेजन स्वीकार करने का संकेत माना जाता है। जिससे उनकी आत्मा तृप्त होती है। ऐसा भी माना जाता है कि कौओं को भोजन कराने से पितृ दोष दूर होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कॉलोनी में एक मकान की छत पर बैठे कौए।
श्राद्ध की तिथियां-
- 14 सितंबर (रविवार) – अष्टमी का श्राद्ध
- 15 सितंबर (सोमवार) – नवमी का श्राद्ध
- 16 सितंबर (मंगलवार) – दशमी का श्राद्ध
- 17 सितंबर (बुधवार) – एकादशी का श्राद्ध
- 18 सितंबर (गुरुवार) – द्वादशी का श्राद्ध (यह संन्यासियों का श्राद्ध भी माना जाता है)
- 19 सितंबर (शुक्रवार) – त्रयोदशी का श्राद्ध (प्रदोष तिथि, मघा श्राद्ध)
- 20 सितंबर (शनिवार) – चतुर्दशी का श्राद्ध (यह श्राद्ध अपघात या अकाल मृत्यु से मृत व्यक्तियों के लिए किया जाता है)
- 21 सितंबर (रविवार) – सर्वपितृ अमावस्या – पितृपक्ष का अंतिम दिन रहेगा