MPPSC: सफलता का असली स्वाद तो गिरिराज ने चखा! कांस्टेबल से बने डिप्टी कलेक्टर, 8वीं रैंक भी लाए

MPPSC: सफलता का असली स्वाद तो गिरिराज ने चखा! कांस्टेबल से बने डिप्टी कलेक्टर, 8वीं रैंक भी लाए


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MPPSC Result 2024 Success Story: भोपाल के गिरिराज परिहार की कहानी हर उस युवा के लिए प्ररेणादायक है, जो नौकरी या किसी दूसरे कार्य के साथ परीक्षा की तैयारी कर रहा है. पढ़ें कहानी…

गिरिराज परिहार.
Bhopal News: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा-2024 में भोपाल के गिरिराज परिहार ने कमाल कर दिया. उन्होंने 8वीं रैंक हासिल की और डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया. लेकिन, सबसे खास बात ये कि गिरिराज डिप्टी कलेक्टर बनने से पहले एमपी पुलिस में ही आरक्षक के पद पर तैनाथ थे. एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले गिरिराज का करियर सफर प्रेरणादायक है.

जेल प्रहरी और पुलिस कॉन्स्टेबल की नौकरी करते हुए उन्होंने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है. नौ साल की सरकारी सेवा के दौरान उन्होंने कभी हार नहीं मानी और सेल्फ स्टडी से सफलता पाई. गिरिराज ने 2015 में जेल प्रहरी के रूप में करियर शुरू किया था. फिर MP पुलिस में सायबर सेल कॉन्स्टेबल बने. 2019 से MPPSC की तैयारी शुरू की. पिछले MPPSC-2022 में वे पास हुए और असिस्टेंट डायरेक्टर एजुकेशन (ADE) के पद पर चयनित हुए, लेकिन रैंक से संतुष्ट न होने के कारण दोबारा प्रयास किया.

एक चौथाई समय में तैयारी कर पाई सफलता
नौकरी के साथ पढ़ाई का संतुलन बनाते हुए उन्होंने कम समय में तैयारी की. न्यूज 18 से बातचीत में गिरिराज ने कहा, “मेरे लिए यह सफर आसान नहीं था, क्योंकि नौकरी के साथ तैयारी करनी पड़ती थी. लेकिन, पहले दिन से निर्धारित था कि MPPSC पास कर डिप्टी कलेक्टर बनना था. पिछली बार सिलेक्शन हुआ, लेकिन रैंक से संतुष्ट नहीं था, इसलिए लगातार प्रयास किया. सामान्य अभ्यर्थी पूरे समय पढ़ते हैं, लेकिन मैंने एक चौथाई समय में तैयारी की.”

ट्रेनिंग में जो बताएंगे, वैसा ही…
आगे बोले, “अभी प्रशासनिक कार्यों का अनुभव नहीं है, लेकिन ट्रेनिंग में जो सिखाया जाएगा, उसके आधार पर बेहतर प्रदर्शन करूंगा.” गिरिराज की सफलता युवाओं के लिए मिसाल है, खासकर वे जो नौकरी करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. MPPSC-2024 में डिप्टी कलेक्टर के 13 पदों पर 5 महिलाओं का चयन हुआ, लेकिन गिरिराज जैसे संघर्षशील उम्मीदवारों की कहानी प्रेरित करती है.

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MPPSC: सफलता का असली स्वाद तो गिरिराज ने चखा! कांस्टेबल से बने डिप्टी कलेक्टर



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