एमपी में 57 सांसद–विधायकों का परिवार कनेक्शन: बीजेपी के 28 और कांग्रेस के 20 विधायक फैमिली से बढ़े, 270 नेताओं पर एडीआर की सर्वे रिपोर्ट – Madhya Pradesh News

एमपी में 57 सांसद–विधायकों का परिवार कनेक्शन:  बीजेपी के 28 और कांग्रेस के 20 विधायक फैमिली से बढ़े, 270 नेताओं पर एडीआर की सर्वे रिपोर्ट – Madhya Pradesh News


मप्र में परिवारवाद की बहस के बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने मप्र के सभी 270 जनप्रतिनिधियों की पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि का आकलन किया है। इसमें मप्र के 57 ऐसे विधायक और सांसद हैं, जो परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें

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रिपोर्ट के मुताबिक 230 विधायकों में से 48 विधायकों के परिवार राजनीति से जुड़े हैं। इसमें बीजेपी के 28, तो कांग्रेस के 20 विधायक शामिल हैं। वहीं सांसदों में महिलाएं सबसे ज्यादा वंशवाद की राजनीति कर रही हैं। पढ़िए रिपोर्ट…

5 लोकसभा सांसद वंशवाद की राजनीति को आगे बढ़ा रहे मप्र में लोकसभा की 29 सीटें हैं। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की है। इनमें से 5 सीटों के सांसद अपने परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें से चार तो महिला सांसद हैं। सांसदों में सबसे बड़ा नाम गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का है।

जिनके पिता माधवराव सिंधिया और दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी सांसद रहींं। वहीं बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में है। अब सिंधिया की चौथी पीढ़ी के तौर पर महानआर्यमन सिंधिया ने एमपीसीए अध्यक्ष के तौर पर कमान संभाली है। सिंधिया परिवार इसी रास्ते से राजनीति में दाखिल होता आया है।

इसके बाद बालाघाट की भारती पारधी, रतलाम सांसद अनिता नागर सिंह चौहान, सागर सांसद लता वानखेड़े और शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह भी परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रही हैं।

4 राज्यसभा सदस्य वंशवाद की राजनीति में मध्य प्रदेश में राज्य सभा की 11 सीटें हैं, इसमें 8 सदस्य भाजपा के हैं, जबकि 3 सदस्य कांग्रेस से हैं। राज्यसभा में भी 11 में 4 सदस्य अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम दिग्विजय सिंह का है। दिग्विजय के पिता बलभद्र सिंह राघोगढ़ के शासक रहे। वह 10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं।

बीते 4 दशकों से सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। राघोगढ़ सीट से दिग्विजय सिंह, फिर उनके भाई लक्ष्मण सिंह और अब जयवर्धन सिंह चुनाव जीतते आ रहे हैं। वहीं अशोक सिंह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं। उनके पिता राजेंद्र सिंह मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं और लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे।

सुमेर सिंह सोलंकी बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं। उनके चाचा माखन सिंह सोलंकी 1996 से 2004 तक खंडवा-बड़वानी से सांसद रहे। बीजेपी की राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार के पिता भेरूलाल पाटीदार चार बार विधायक रहे और 1993 से 1998 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर रहे।

बीजेपी के 28 विधायकों के परिवार राजनीति में रहे मध्यप्रदेश के 230 विधायकों में 48 विधायकों को राजनीति विरासत के तौर पर मिली है। भाजपा के 163 विधायक में से 28 विधायक अपने परिवार की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ा रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल हरसूद से विधायक हैं। इनके पिता विजय खंडेलवाल सांसद रह चुके हैं।

मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग के पिता कैलाश सारंग बीजेपी के संस्थापक सदस्य और राज्यसभा सांसद रहे। 8 महिला विधायकों ने भी वंशवाद के जरिए राजनीति में कदम रखा है। गोविंदपुरा सीट से बीजेपी विधायक कृष्णा गौर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू हैं। बाबूलाल गौर ने भोपाल की राजनीति पर दशकों तक दबदबा बनाए रखा और 2004 से 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।

सिद्धार्थ तिवारी के पिता सुंदरलाल तिवारी सांसद और दादा श्रीनिवास तिवारी मप्र विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। सुरेंद्र पटवा अपने चाचा पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। जावद से विधायक ओम प्रकाश सकलेचा को भी पिता पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा से विरासत में राजनीति मिली।

इसी तरह मालिनी गौड़, प्रतिभा बागरी, विक्रम सिंह, उमाकांत शर्मा जैसे कई विधायक भी पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।

कांग्रेस के 20 विधायक वंशवाद को आगे बढ़ा रहे मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 63 में से 20 विधायक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। राघोगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह तीसरी पीढ़ी हैं, जो परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सीधी के चुरहट से विधायक अजय सिंह कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। अजय सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के दिग्गज कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह के बेटे हैं।

अर्जुन सिंह 2 बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और 2 बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को राजनीति की विरासत चाची जमुना देवी से मिली, जो उपमुख्यमंत्री रह चुकी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के बेटे जयवर्धन इस समय मध्य प्रदेश के सबसे सक्रिय कांग्रेस नेताओं में से एक हैं। इनके चाचा लक्ष्मण सिंह भी विधायक और सांसद रहे।

पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया और हेमंत कटारे भी अपने पिता सत्यदेव कटारे की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी तरह सतना विधायक डब्बू सिद्धार्थ कुशवाह, बघेल सुरेंद्र सिंह हनी, झूमा सोलंकी जैसे विधायकों को भी राजनीति विरासत में मिली है।

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