पंचकूला स्थित हरियाणा ओलंपिक भवन। फाइल
हरियाणा में सरकारी नौकरी पाने के लिए कई लोग फर्जी खेल प्रमाण पत्र बनवा रहे थे। इस पर अब हरियाणा ओलिंपिक एसोसिएशन ने सख्ती दिखाते हुए कदम उठाया है।
.
संघ ने प्रदेश की सभी खेल एसोसिएशनों और जिला खेल अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि अब किसी भी खिलाड़ी को खेल प्रमाण पत्र जारी करते समय उसकी जन्मतिथि और आधार कार्ड नंबर दर्ज करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही खिलाड़ी के माता-पिता का नाम भी प्रमाण पत्र में लिखा जाएगा।
इतना ही नहीं, मैरिट में आने वाले खिलाड़ियों के प्रमाण पत्र की सही तरीके से जांच की जाएगी और तभी उनका वितरण किया जाएगा। इस पहल के बाद फर्जीवाड़ा करने वालों के रास्ते बंद हो जाएंगे और केवल असली खिलाड़ियों को ही इसका फायदा मिल सकेगा।
हरियाणा ओलिंपिक एसोसिएशन के द्वारा जारी पत्र।
क्यों लेना पड़ा ऐसा फैसला सरकारी नौकरियों में फर्जी खेल प्रमाण पत्र को लेकर सरकार के पास लगातार शिकायतें पहुंचीं। इसके बाद तत्कालीन खेल महानिदेशक संजीव वर्मा ने जांच कराई, तो पता चला कि 76 खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट संदिग्ध हैं।
खेल निदेशालय की ग्रेडेशन वैरिफिकेशन कमेटी ने इन सभी प्रमाण पत्रों को फर्जी मानते हुए रद्द करने की सिफारिश की है।
हैरानी की बात यह है कि जिन खेल उप निदेशकों को ग्रेड सी और ग्रेड डी के इन प्रमाण पत्रों को रद्द करने के आदेश दिए गए हैं, वही अधिकारी इन फर्जी सर्टिफिकेटों को जारी करने में शामिल पाए गए थे।
2018 से 2022 बीच हुए थे जारी इन खेल प्रमाण पत्रों के आधार पर खेल कोटे से सरकारी नौकरियां प्राप्त की जाती रही हैं। खेल उप निदेशक मंजीत सिंह की ओर से अंबाला, रोहतक, गुरुग्राम तथा हिसार के खेल उप निदेशकों को संदिग्ध सर्टिफिकेट वाले 76 खिलाड़ियों की सूची भेजते हुए कहा गया था कि उनके कार्यालयों की ओर से जारी ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की निदेशालय में गठित ग्रेडेशन वेरिफिकेशन कमेटी ने जांच की।
जांच में इन प्रमाण पत्रों को नियमों के विरुद्ध पाया गया है। यह सभी सर्टिफिकेट साल 2018 से 2022 के बीच जारी हुए हैं।

खेल कोटे से मिली सरकारी नौकरी हरियाणा सरकार ने खेल कोटे के तहत खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियां प्रदान करने की नीति बना रखी है। इस पॉलिसी में समय-समय पर राज्य सरकारें अपनी सुविधा अनुसार बदलाव करती रही हैं। विभिन्न प्रकार के खेलों में भागीदारी व मेडल हासिल करने के आधार पर खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार कई विभागों में खेल कोटे के तहत दी जाने वाली नौकरियों को बहाल कर चुकी है। खेल विभाग में सीधे डिप्टी डायरेक्टर नियुक्त करने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में हुई थी।
हुड्डा सरकार ने किए थे सीधे भर्ती पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ओलिंपिक, कॉमनवेल्थ व एशियाई खेलों के विजेताओं को पुलिस में सीधे डीएसपी, इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर लगाने की शुरुआत की थी। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में इस पॉलिसी में संशोधन कर पदक विजेता खिलाड़ियों को एचपीएस के अलावा एचसीएस लगाने का भी निर्णय लिया गया था।
मनोहर सरकार में हुए नए पद सृजित हरियाणा में मनोहर पार्ट-टू सरकार में पार्ट-वन सरकार के फैसले को बदल दिया गया था। तब खेल विभाग में ही डिप्टी डायरेक्टर के नए पद सृजित किए गए थे। अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कई विभागों में खेल कोटे की नौकरियां बहाल कर दी हैं। जिन खिलाड़ियों के प्रमाण पत्र रद्द होंगे, उन्हें अब हरियाणा की 25 मई 2018 को अधिसूचित संशोधित खेल नीति के अनुसार अपना प्रमाण पत्र बनवाना होगा।
27 खिलाड़ियों के पास ग्रेड-सी के फर्जी सर्टिफिकेट खेल उपनिदेशकों के अलावा खेल विभाग की ओर से 15 जिलों के जिला खेल अधिकारियों को भी इन संदिग्ध प्रमाण पत्रों वाले खिलाड़ियों की सूची भेजी गई है। इन जिलों में भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, नारनौल, पलवल, पानीपत, रोहतक व सोनीपत शामिल हैं।
जिन 76 खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट पर सवाल उठाए गए हैं, उनमें 27 खिलाड़ियों के पास ‘ग्रेड-सी’ के सर्टिफिकेट हैं और बाकी के पास ‘ग्रेड-डी’ के सर्टिफिकेट हैं।
