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Satna News: मध्य प्रदेश के सतना जिले के इटौरा गांव के आशीष पांडेय ने कठिनाइयों को मात देकर एमपीपीएससी परीक्षा (MPPSC Result 2024) में सफलता हासिल की है. पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर चुके हैं. ऐसे में आर्थिक हालात आसान नहीं थे, फिर भी आशीष ने हार नहीं मानी. उनकी मेहनत, अनुशासन और धैर्य ने उन्हें वित्त विभाग में असिस्टेंट ट्रेजरी अफसर के पद तक पहुंचाया.
सतना जिले के रैगांव क्षेत्र के इटौरा गांव के 26 वर्षीय आशीष पांडेय ने मेहनत और संघर्ष के दम पर बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2024 में सफलता पाई और वित्त विभाग में असिस्टेंट ट्रेजरी अफसर बने.

आशीष बेहद साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता उमेश कुमार पांडेय एक कंपनी से रिटायरमेंट के बाद गुजरात में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर चुके हैं. वहीं माता मुन्नी पांडे गृहिणी हैं. साधारण परिवार से आने के बावजूद आशीष ने सफलता की इबारत लिखी.

आशीष की शिक्षा सतना से ही हुई है. पहले प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल इटौरा से पूरी की, फिर मिडिल और हाईस्कूल की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय रहिकवारा से की और हायर सेकेंडरी की शिक्षा व्यंकट क्रमांक-1 से और स्नातक की पढ़ाई डिग्री कॉलेज सतना से की.

लोकल 18 से बातचीत में आशीष ने बताया कि स्कूल के दिनों में नागोद महोत्सव में डिबेट प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतना उनके लिए प्रेरणादायक साबित हुआ. उस समय कलेक्टर से मिला अवॉर्ड उनके दिल में यह संकल्प जगा गया कि वह आगे चलकर सिविल सर्विसेज में ही जाएंगे.

MPPSC की परीक्षा में यह आशीष का तीसरा प्रयास था. इससे पहले 2023 की परीक्षा में वह इंटरव्यू तक पहुंचे है, जिसका रिजल्ट अभी जारी नहीं हुआ है. इसमें उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद मिलने की उम्मीद है. लगातार संघर्ष और हार न मानने का जज्बा ही उनकी सफलता का कारण बना.

आशीष ने ज्यादातर तैयारी सेल्फ स्टडी से की. केवल 6 महीने के लिए इंदौर में कोचिंग ली. बाकी समय यूट्यूब और इंटरनेट से नोट्स बनाकर पढ़ाई की. दिन के 10 घंटे लगातार मेहनत करके उन्होंने अपनी रणनीति बनाई और सफलता हासिल की.

आशीष अपनी सफलता का श्रेय शिक्षकों को भी देते हैं. उन्होंने बताया कि गाइडेंस और इंटरनेट की मदद से उन्होंने बार-बार नोट्स तैयार किए. उनकी मेहनत, लगन और सही दिशा में प्रयास ने उन्हें असिस्टेंट ट्रेजरी ऑफिसर के पद तक पहुंचाया.

आशीष की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे सतना जिले के लिए गर्व की बात है. साधारण से परिवार का बेटा धैर्य और मेहनत से अफसर बना. उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है कि जिद और लगन से हर सपना पूरा हो सकता है.