सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला पीएम बनीं: BHU से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स, नेपाल की पहली फीमेल चीफ जस्टिस रहीं; जानें कंप्लीट प्रोफाइल

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला पीएम बनीं:  BHU से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स, नेपाल की पहली फीमेल चीफ जस्टिस रहीं; जानें कंप्लीट प्रोफाइल


12 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार, 12 सितंबर की देर रात राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में उन्‍हें पद की शपथ दिलाई। अगले छह महीनों के भीतर संसद का नया चुनाव कराया जाएगा।

सुशीला ने केपी शर्मा ओली की जगह ली है। ओली ने भ्रष्टाचार के आरोपों और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं के भारी विरोध के बीच मंगलवार, 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था।

मास्टर्स के बाद कार्की ने नेपाव के धरान स्थित महेंद्र मल्टीपल कैंपस में कुछ समय तक टीचिंग की। इसके बाद उन्होंने विराटनगर लोअर कोर्ट में वकालत शुरू की।

30 सालों से ज्यादा समय तक वकालत की

लीगल प्रैक्टिस के दौरान कार्की लगातार आगे बढ़ती गईं। उन्होंने बिराटनगर और धरान में 30 सालों से ज्यादा समय तक वकालत की। इस दौरान उन्होंने कोशी जोनल बार विराटनगर अपीलीय बार की अध्यक्षता की। फिर दिसंबर 2004 में सीनियर एडवोकेट के रूप में मान्यता मिली। इसके बाद उन्होंने डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट में एंट्री ली।

चीफ जस्टिस के रूप में 11 महीने के कार्यकाल रहा

जनवरी 2009 में सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त की गईं। फिर अगले ही साल परमानेंट जज बनीं। इसके बाद 2016 में कुछ समय के लिए वे एक्टिंग चीफ जस्टिस बनीं। आखिरकार 11 जुलाई, 2016 से 6 जून, 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला।

मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग 11 महीने के कार्यकाल के दौरान कार्की को महाभियोग का सामना करना पड़ा और निलंबित होना पड़ा।

मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग 11 महीने के कार्यकाल के दौरान कार्की को महाभियोग का सामना करना पड़ा और निलंबित होना पड़ा।

अप्रैल 2017 नेपाली कांग्रेस और माओवादी सेंटर के सांसदों ने भ्रष्टाचार से संबंधित एक फैसले में पक्षपात का हवाला देते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दायर किया था। लेकिन जनता के विरोध और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद प्रस्ताव वापस ले लिया गया। उसी साल जून में रिटायर्ड होने से पहले वे कुछ समय के लिए पद पर लौटीं।

पति ने किया था प्लेन हाइजैक

साल 1973 में नेपाल में लोकतंत्र की वापसी की जद्दोजहद हो रही थी। जीपी कोइराला इसके लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहे थे। उनको हथियार खरीदने के लिए पैसों की जरूरत थी।

इस बीच सूचना आती है कि नेपाल एयरलाइंस का एक विमान हाईजैक हो गया। ये विमान विराटनगर से काठमांडू सेंट्रल बैंक के लिए 40 लाख रुपए लेकर जा रहा था। उस प्लेन को बिहार के फारबिसगंज में लैंड करने को मजबूर किया गया। हालांकि उसमें 32 लाख रुपए ही मौजूद थे, जिसे इस ऑपरेशन के मास्टरमाइंड जीपी कोइराला को सौंप दिया गया। आगे चलकर जब लोकतंत्र की वापसी हुई, तो कोइराला चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने।

इस हाईजैक के पीछे नेपाली कांग्रेस से जुड़े चार लोगों का नाम सामने आया। इन्हीं में से एक थे, दुर्गा सुबेदी। सुबेदी ने नागेंद्र धुंगेल और बसंत भट्टाराई के साथ मिलकर प्लेन हाईजैक किया था।

वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पढ़ाई के दौरान सुशीला की मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई। वहीं से दोनों का रिश्ता शुरू हुआ था और शादी तक पहुंचा।

सुशीला और उनके पति दुर्गा सुबेदी कई आंदोलन से जुड़े रहे हैं।

सुशीला और उनके पति दुर्गा सुबेदी कई आंदोलन से जुड़े रहे हैं।

सेरोगेसी मामलों में फैसले से लोकप्रिय हुईं

चीफ जस्टिस बनने से पहले भी वो अपने फैसलों से जनता के बीच लोकप्रिय हो चुकी थीं। उन्होंने नेपाल में सेरोगेसी को बिजनेस बनने से रोका था।

साल 2015 में नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी (किराए की कोख) पर अहम फैसला दिया था। जस्टिस सुशीला कार्की की बेंच ने जजमेंट में कहा था कि सरोगेसी को बिजनेस नहीं बनने दिया जा सकता, इससे गरीब महिलाओं का शोषण हो रहा है।

अदालत ने तुरंत प्रभाव से सरोगेसी पर रोक लगा दी। यह कदम इसलिए अहम था, क्योंकि भारत में बैन के बाद विदेशी कपल नेपाल आकर सरोगेसी करा रहे थे।

———————————

ये खबर भी पढ़ें…

ADR को-फाउंडर प्रो. छोकर का निधन: लुइजियाना यूनिवर्सिटी से PhD; EVM में NOTA लाए, इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म कराया; जानें कंप्लीट प्रोफाइल

‘प्रजा ही प्रभु है। Citizens are the masters in a democracy.’

ये इलेक्शन रिफॉर्म के लिए काम करने वाले ऑर्गेनाइजेशन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR की वेबसाइट की पहली लाइन है।

शुक्रवार, 12 सितंबर को ADR के फाउंडिंग सदस्यों में से एक प्रो. जगदीप सिंह छोकर का निधन हो गया। उन्हें चुनाव सुधारों का प्रबल समर्थक माना जाता था। पढ़ें पूरी खबर…

खबरें और भी हैं…



Source link