120 दिन में तैयार, बंपर उत्पादन, विदेशों में मशहूर बालाघााट की ये धान वैरायटी

120 दिन में तैयार, बंपर उत्पादन, विदेशों में मशहूर बालाघााट की ये धान वैरायटी


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Agri News: बालाघाट जिले को मध्य प्रदेश का धान का कटोरा कहा जाता है. यहां पर IR-64 की किस्म की डिमांड भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में बढ़ रही है. इसमें परबॉइल्ड राइस की डिमांड ज्यादा है, जो IR-64 किस्म से बनता है. ऐसे में इसकी डिमांड अफ्रीकी देशों से लेकर खाड़ी देशों में हो रही है. इसमें गुयाना, सोमालिया, बेनिन, टोगो देशों में है.

Agri News: मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला धान की खेती के लिए जाना जाता है. यहां पर धान की उत्पादकता और उत्पादन दोनों ही मामले मध्य प्रदेश में अव्वल है. बालाघाट जिले में एक ऐसी वैरायटी है, जिसकी डिमांड न सिर्फ भारत में है बल्कि आफ्रिका और गल्फ देशों में है. ऐसे में इस फसल का रकबा भी लगातार बढ़ रहा है. उस किस्म का आई आर 64 नाम है. ऐसे में हम आपको इस खास किस्म की विशेषताएं बता रहे है.

बालाघाट के धान की दुनिया में बढ़ रही डिमांड
बालाघाट जिले को मध्य प्रदेश का धान का कटोरा कहा जाता है. यहां पर IR-64 की किस्म की डिमांड भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में बढ़ रही है. इसमें परबॉइल्ड राइस की डिमांड ज्यादा है, जो IR-64 किस्म से बनता है. ऐसे में इसकी डिमांड अफ्रीकी देशों से लेकर खाड़ी देशों में हो रही है. इसमें गुयाना, सोमालिया, बेनिन, टोगो देशों में है.

क्या होता है परबॉइल्ड राइस
परबॉइल्ड राइस ऐसा चावल होता है, जो आंशिक रूप से चावल के भूसे के अंदर धान को उबाला जाता है. इसमें पहले चावल को धोया जाता है. दूसरा स्टीम किया जाता है. और आखिर में सुखाया जाता है.

अब जानिए IR64 की विशेषता
कृषि विश्वविद्यालय मुरझड़ के वैज्ञानिक डॉक्टर उत्तम बिसेन IR64 यानी इंटरनेशनल राइस 64 की खोज अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान मनीला, फिलीपींस में हुई है. इसे साल 1970 में खोजा गया है. इससे बना चावल चिपचिपा नहीं होता है और इसका दाना पूरी तरह पारदर्शी होता है. आकार में ये सिलेंडर नुमा होता है. ऐसे में लोग इसे काफी पसंद कर रहे है. ऐसे में धान की ये किस्म निर्यात के मामले में बासमती को टक्कर दे रहा है.

किसानों के लिए भी है फायदेमंद
कृषि विश्वविद्यालय मुरझड़ के वैज्ञानिक डॉक्टर उत्तम बिसेन ने बताया कि IR64 में रोग और कीट दूसरी किस्मों के मुकाबले कम लगते हैं. वहीं, इसकी पैदावार भी 20 क्विंटल प्रति एकड़ है. फसल की अच्छी देखभाल पर इसकी उपज 25 क्विंटल से भी ज्यादा हो सकती है. ये किस्म भी 120 से 125 दिन में तैयार हो जाती है.

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