घर से बेटी को लेने गई मां के मिले टुकड़े: 2 दिन बाद नाले में मिली लाश, हाथ पर बने टैटू से पहचान – Madhya Pradesh News

घर से बेटी को लेने गई मां के मिले टुकड़े:  2 दिन बाद नाले में मिली लाश, हाथ पर बने टैटू से पहचान – Madhya Pradesh News


मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात चर्चित कविता रैना हत्याकांड की। एक महिला जो घर से बेटी को बस स्टॉप पर लेने के लिए निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। मोबाइल भी घर में ही छूट गया था। बाद में बंद बोरे में 6 टुकड़ों में महिला की लाश मिली। जिससे पूरे

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कविता रैना की मौत से इंदौर शहर में लोग आक्रोशित हो गए थे।

महिला को किसने मारा और क्यों? पुलिस कातिल तक कैसे पहुंची?

पढ़िए इस रिपोर्ट में-

मध्यप्रदेश का व्यस्ततम शहर इंदौर। यहां फार्मास्युटिकल व्यवसाय से जुड़े संजय रैना अपने परिवार के साथ रहते थे। परिवार छोटा, लेकिन खुशहाल माना जाता था। घर में पत्नी कविता रैना, दो बच्चे और बुजुर्ग मां थे। कविता अपने परिवार में स्नेह का केंद्र थी। पढ़ी-लिखी, घरेलू, लेकिन आत्मनिर्भर।

24 अगस्त की दोपहर थी। करीब 1 बजे का वक्त।

इस रोजमर्रा की यात्रा में उस दिन एक छोटी-सी चूक, एक अनजाना मोड़ पूरी कहानी को मौत की खाई में ले जाएगा ये किसी ने सोचा भी न था।

उस दिन कविता घर से निकलते वक्त अपना मोबाइल साथ नहीं ले गई। स्कूल बस वक्त पर आती है। बेटी उतरती है, लेकिन मां का चेहरा कहीं नजर नहीं आता। पास ही रहने वाली पड़ोसन जया ये देखती है कि बच्ची अकेली है। वह उसे साथ लेकर घर पहुंचाती है। घरवालों को झटका लगता है। बेटी तो घर आ गई, लेकिन मां कविता कहां रह गई?

पति संजय का रूटीन था कि वह रोज दोपहर को घर आकर खाना खाते थे। उस दिन भी वे घर लौटे। बेटी को तो पड़ोसन ने छोड़ दिया था, लेकिन पत्नी का अता-पता नहीं था।

पति ने फोन किया, लेकिन कविता का मोबाइल घर पर ही पड़ा मिला। संजय ने इधर-उधर तलाशा, जान-पहचान वालों से फोन पर पूछा, लेकिन कहीं कोई जवाब नहीं मिला। तीन-चार घंटे बीत गए।

कविता की गैरहाजिरी अब चिंता में बदल चुकी थी। शाम ढलने लगी।

इसी दौरान खबर आई कि देवास में एक महिला की जली हुई लाश मिली है। पुलिस ने संजय को बुलाया। वह हॉस्पिटल पहुंचे। जली हुई लाश को देखकर वे सन्न रह गए। पहचान कर पाना कठिन था, लेकिन हाथ पर एक टैटू था। कविता के हाथ पर भी टैटू था।

पहली नजर में उन्होंने कह दिया- हां, यह मेरी पत्नी है। घर में मातम छा गया, लेकिन अगले दिन जब संजय ने दोबारा शव देखा, तो चौंक गए।

टैटू का पैटर्न अलग था। अब उन्होंने कहा- यह कविता नहीं है।

घरवालों को अचानक राहत मिली। पर साथ ही सवाल और गहरे हो गए… ये कविता नहीं है तो फिर वो कहां है?

दो दिन बाद सनसनीखेज खुलासा

25 अगस्त भी गुजर गया। कविता का कोई सुराग नहीं। संजय ने बस और ऑटो पर पर्चे चिपकवाए। लिखा- “जो भी कविता की खबर देगा, उसे 25 हजार इनाम मिलेगा, लेकिन 26 अगस्त को इंदौर के तीन इमली चौराहे पर लोगों ने एक भयानक दृश्य देखा।

एक बोरे में धड़, गर्दन और एक हाथ। दूसरे में दूसरा हाथ, दोनों पैर और सिर था। पूरा शहर सन्न रह गया।

पत्नी के लापता होने के बाद से पति संजय की हालत बिगड़ी हुई थी। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। पुलिस कहती कि कुछ सुराग मिला है तो परिवार वालों को खुशी होती है लेकिन पुलिस ये कहे की आप मुर्दाघर आइए और लाश देखकर पहचान करिए की गुमशुदा पत्नी ये तो नहीं है। ऐसे समय में पति पर क्या बीती होगी। बड़ी मुश्किल घड़ी थी। पुलिस ने संजय को फिर बुलाया।

एमवाय हॉस्पिटल में लाश के टुकड़े जोड़कर दिखाए गए। संजय ने दाहिना हाथ देखा। कलाई पर लिखा था – “ऊं राम कविता।” चेहरा भी धुंधला ही सही, लेकिन पहचानने लायक था। उन्होंने फूटते हुए स्वर में कहा – “ये मेरी पत्नी है।” लेकिन इस बार राहत नहीं, सिर्फ मातम था।

बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। मंगलसूत्र, चूड़ी सहित अन्य जेवर जो कविता घर से पहनकर निकली थी। सब गायब थे।

सड़क पर अर्थी रख प्रदर्शन

इंदौर में खलबली मच गई। गायब होने के 2 दिन बाद जब कविता की लाश मिलती है तो शहर का गुस्सा उबल पड़ता है। धरना-प्रदर्शन शुरू हो गए।

वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और भरोसा दिलाया कि हत्यारा जल्द पकड़ा जाएगा। अंतिम संस्कार हो जाता है और पुलिस की जांच भी तेज हो जाती है। जांच आगे बढ़ती है। पुलिस ने सबसे पहले परिवार को शक के घेरे में लिया।

कहा गया – शायद सास-बहू में विवाद था, या पति ने ही पत्नी की हत्या की हो।

संजय और उसकी मां से पुलिस घंटों पूछताछ करती है, लेकिन कोई सबूत नहीं मिलता है। कातिल अभी भी पुलिस गिरफ्त से दूर था। आखिरकार, पुलिस उन्हें छोड़ देती है।

मगर संजय आहत हो गए। उन्होंने अपने बच्चों को लेकर डीआईजी ऑफिस के बाहर धरना दे दिया और पुलिस अफसरों से कहा – “हत्यारे को पकड़ो, हमें परेशान मत करो।” लोग सहानुभूति जताने लगे।

कविता की स्कूटी मिली

लोगों के गुस्से ने पुलिस को हिलाकर रख दिया। फैसला हुआ कि पूरे इंदौर पुलिस बल को इस केस पर लगा दिया जाए। चार टीम बनाई गई। कॉल डिटेल एनालिसिस टीम, फोरेंसिक टीम, केस रिक्रिएशन टीम और इन्फॉर्मेशन एनालिसिस टीम। हर एंगल से जांच शुरू हो गई।

30 अगस्त को नवलखा बस स्टैंड की पार्किंग से कविता की स्कूटी बरामद हुई। सीसीटीवी फुटेज निकाले गए, लेकिन क्वालिटी खराब थी। उन्हें पहली बार इंदौर से बाहर लैब भेजा गया।

इतना ही नहीं, 24 अगस्त के दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक उस इलाके में मौजूद सभी मोबाइल नंबर खंगाले गए। 5 लाख कॉल रिकॉर्ड निकले।

इतने कॉल डिटेल को खंगालना मुश्किल काम था। दिन-रात की मेहनत के बाद इन्हें घटाकर 1000 नंबरों तक लाया गया। अब 1-1 नंबर को बारीकी से खंगाला गया, लेकिन वहां भी सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस की कॉल डिटेल की जांच बेकार गई।

पुलिस ने पहली बार बनाया प्रेजेंटेशन

इतिहास में पहली बार पुलिस ने केस पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया। 11 पॉइंट पर विस्तार से घटना का रिक्रिएशन किया गया। यहां तक कि स्कूटी में कितना पेट्रोल था और आखिरी बार कहां डलवाया गया। कितनी दूरी नापी गई। हालांकि इससे भी कुछ हाथ नहीं लगा।

सिर्फ यही नहीं। पुलिस ने कविता के पिछले 10 सालों के रिश्तों का चार्ट बनाया। पड़ोसी, रिश्तेदार, दूधवाला, सब्जीवाला, किराने वाला, दोस्त- हर किसी से पूछताछ हुई। कुल 177 लोगों की सूची बनी, लेकिन इनमें से भी कोई सुराग नहीं निकला।

फिर आया ‘महेश बैरागी’ का नाम

सारे एंगल जांचे जा चुके थे। कॉल डिटेल्स खंगाली जा चुकी थीं। फोरेंसिक रिपोर्ट्स सामने थी, लेकिन कातिल अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर था। तभी सामने आया- महेश बैरागी। एक ऐसा नाम, जिसने जांच की दिशा ही बदल दी। महेश को उठाया गया और पूछताछ शुरू हुई।

लेकिन सवाल बड़ा था -महेश क्यों? वह कौन था? और आखिर पुलिस को उस पर क्यों शक हुआ?

क्राइम फाइल्स के पार्ट 2 में पढ़िए इन सवालों के जवाब…

1. पुलिस ने महेश को क्यों उठाया?

2. उससे लगातार 22 दिन तक क्यों पूछताछ हुई?

3. क्या महेश ही कविता रैना का कातिल था?

4. या फिर कोई और छुपा हुआ किरदार इस कहानी में शामिल था?

5. हत्या के पीछे क्या मकसद था?



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