Success Story: किसान का बेटा, तीन बार फेल, फिर भी बिना कोचिंग बना DSP

Success Story: किसान का बेटा, तीन बार फेल, फिर भी बिना कोचिंग बना DSP


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MPPSC 2024, Success Story: मध्‍य प्रदेश के एक किसान का बेटा चौथी बार में DSP बन गया. उसे यह सफलता तीन बार की असफलता के बाद मिली. बिना किसी कोचिंग के इस युवा ने मध्‍य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा पास कर ली.

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MPPSC 2024: मध्य प्रदेश के सतना जिले के छोटे से गांव रिमारी से निकलकर विवेक सिंह ने वो कर दिखाया जो लाखों युवाओं का सपना होता है. एक किसान परिवार से आने वाले विवेक ने बिना किसी कोचिंग, सीमित संसाधनों और तीन बार असफलता के बाद MPPSC 2024 में DSP यानी पुलिस उपाधीक्षक का पद हासिल किया. उनकी कहानी मेहनत, लगन और कभी हार न मानने की जिद तमाम युवाओं के लिए मिसाल बन गई है.

MPPSC Topper vivek singh: गांव के लड़के ने देखा सपना 

विवेक के पिता देवलाल सिंह एक किसान हैं.परिवार का गुजारा सिर्फ चार एकड़ खेती से चलता है. मां राजकली गृहिणी हैं और छोटे भाई विकास ने एमबीए किया है.आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के बावजूद विवेक ने बड़ा सपना देखा. गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई उनकी पढ़ाई ने उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी और फिर जेएनयू तक पहुंचाया जहां उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन और मास्टर्स पूरा किया.

Success Story Of MPPSC Topper: तीन बार असफलता, फिर भी नहीं टूटा हौसला

विवेक का सफर आसान नहीं था.पहले प्रयास में वे MPPSC की प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाए.दूसरे और तीसरे प्रयास में प्री तो निकला लेकिन एमपीपीएससी मेन्स में असफलता हाथ लगी. मगर विवेक ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी कमजोरियों को पहचाना,खासकर अपनी धीमी राइटिंग स्पीड को.इसके लिए उन्होंने इंदौर में टेस्ट सीरीज जॉइन की और खूब प्रैक्टिस की. चौथे प्रयास में मेहनत रंग लाई और OBC कैटेगरी में 1685 में से 864 अंक लाकर उन्होंने डीएसपी का पद हासिल किया.

बिना कोचिंग, सेल्फ स्टडी का जादू

विवेक ने कभी कोचिंग का सहारा नहीं लिया.हर दिन 7-8 घंटे की सेल्फ स्टडी और सिलेबस को गहराई से समझने की रणनीति ने उन्हें कामयाबी दिलाई. इस सफर में उनके रिश्ते के भतीजे और असिस्टेंट प्रोफेसर सचिन सिंह ने उनका मार्गदर्शन किया.विवेक ने एक मीडिया से बातचीत में बताया कि सचिन भैया ने मुझे रास्ता दिखाया और उनकी सलाह ने मेरी मेहनत को दिशा दी.

दिल्ली के दो कमरों से DSP तक

दिल्ली में पढ़ाई के दौरान विवेक चार दोस्तों के साथ दो कमरों के छोटे से मकान में रहते थे.वहीं से उन्होंने UPSC और MPPSC की तैयारी की.सीमित संसाधनों में भी उन्होंने पुराने प्रश्न पत्रों का विश्लेषण किया.सिलेबस को बारीकी से समझा और अपनी रणनीति बनाई. मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी के लिए मॉक टेस्ट्स ने उनकी राह आसान की.

सिविल सेवा के लिए विवेक के टिप्स

विवेक ने सिविल सेवा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए कुछ खास सुझाव दिए.असफलता से डरें नहीं.अपनी गलतियों को समझें और उनसे सीखें.सिलेबस को समझें.सिलेबस के हिसाब से रणनीति बनाएं और पुराने प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करें.मॉक टेस्ट्स जरूरी हैं.खासकर मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी के लिए मॉक टेस्ट्स करें.लगातार मेहनत करें.रोजाना 7-8 घंटे पढ़ाई करें और धैर्य रखें.

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डीएसपी नहीं, IAS है मंजिल

विवेक के लिए डीएसपी बनना सिर्फ एक पड़ाव है.उनका असली सपना IAS बनना है.वे कहते हैं कि ये शुरुआत है, अभी तो बहुत आगे जाना है. उनकी मेहनत और जुनून इस बात का सबूत है कि वे इस लक्ष्य को भी जरूर हासिल करेंगे.विवेक की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में बड़ा सपना देखता है.उनके माता-पिता ने खेतों में मेहनत की ताकि बेटे का सपना पूरा हो सके.विवेक ने उस मेहनत को अपनी लगन से साकार किया.उनकी कहानी बताती है कि अगर इरादे पक्के हों, तो कोई भी मुश्किल मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती.

Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य…और पढ़ें

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