दरअसल, केंद्र सरकार ने जिले की बड़वाह तहसील के मोदरी गांव में 700 हेक्टेयर क्षेत्र को फास्फोराइट की माइनिंग के लिए चिन्हित किया है. इसमें 133 हेक्टेयर में खुदाई होना है. जिसे रोकने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिक दायर हुई है. इस याजिका पर आज मंगलवार को सुनवाई होना है.
इंदौर के पर्यावरण संरक्षक अजय रघुवंशी, महू की दुर्गाशक्तिपीठ के पंडित शरद कुमार मिश्र, राधाकांताचार्य महाराज, महंत सुखदेवानंद एवं विवेक दुबे ने यह याचिका दायक की है. कहा है कि यहां माइनिंग की जाती है तो नीम, पीपल, बिलपत्र, सागवान जैसे हजारों पेड़ काटे जाएंगे. इससे जंगल में रहने वाले वन्य जीव बेघर होंगे और फिर वह शहरों की और भागेंगे.
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि, पेश किए टेंडर दस्तावजों के अनुसार, मोदरी गांव में फास्फोराइट मिलने की संभावना महज 0.4 से 0.5 प्रतिशत है. जबकि, आलीराजपुर, झाबुआ, मेघनगर जैसे क्षेत्रों में यह खनिज भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. इसलिए यहां माइनिंग पर रोक लगाने और भविष्य में किसी भी तरह की माइनिंग न होने संबंध में आदेश जारी किए जाए जाने की मांग की गई है.
क्या होता है फास्फोराइट?
आपको बता दे कि, फास्फोराइट एक फास्फेट युक्त तलछटी होती है, जिसका उपयोग उर्वरक का उत्पादन में किया जाता है. इसका उपयोग कृषि में वृद्धि होती है. साथ ही, पशु आहार पूरक, औद्योगिक रसायन, खाद्य परीक्षक, और फार्मास्यूटिक्स के निर्माण में होता में भी किया है.