जंगल की जंग पहुंची अदालत!खरगोन में खुदाई के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई की तैयार

जंगल की जंग पहुंची अदालत!खरगोन में खुदाई के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई की तैयार


खरगोन : केंद्र सरकार ने फास्फोराइट की माइनिंग के लिए मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के एक गांव को चिन्हित किया है लेकिन इस माइनिंग के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर हो गई. कहां गया है कि अगर यहां खुदाई होती है तो सैकड़ों पेड़ कटेंगे, जिससे वन्य जीवों लिए खतरा खड़ा हो जाएगा. साथ ही, पर्यावरण का संतुलन बिगड़ेगा और भविष्य में उत्तराखंड जैसी आपदाएं होने की संभावना बन जाएगी.

दरअसल, केंद्र सरकार ने जिले की बड़वाह तहसील के मोदरी गांव में 700 हेक्टेयर क्षेत्र को फास्फोराइट की माइनिंग के लिए चिन्हित किया है. इसमें 133 हेक्टेयर में खुदाई होना है. जिसे रोकने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिक दायर हुई है. इस याजिका पर आज मंगलवार को सुनवाई होना है.

किसने लगाई याचिका?

इंदौर के पर्यावरण संरक्षक अजय रघुवंशी, महू की दुर्गाशक्तिपीठ के पंडित शरद कुमार मिश्र, राधाकांताचार्य महाराज, महंत सुखदेवानंद एवं विवेक दुबे ने यह याचिका दायक की है. कहा है कि यहां माइनिंग की जाती है तो नीम, पीपल, बिलपत्र, सागवान जैसे हजारों पेड़ काटे जाएंगे. इससे जंगल में रहने वाले वन्य जीव बेघर होंगे और फिर वह शहरों की और भागेंगे.

याचिका लगाने का कारण?

याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि, पेश किए टेंडर दस्तावजों के अनुसार, मोदरी गांव में फास्फोराइट मिलने की संभावना महज 0.4 से 0.5 प्रतिशत है. जबकि, आलीराजपुर, झाबुआ, मेघनगर जैसे क्षेत्रों में यह खनिज भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. इसलिए यहां माइनिंग पर रोक लगाने और भविष्य में किसी भी तरह की माइनिंग न होने संबंध में आदेश जारी किए जाए जाने की मांग की गई है.

यह भी कहा है कि, इस माइनिंग से न सिर्फ 700 हेक्टेयर का घना जंगल तबाह होगा. बल्कि, नर्मदा नदी का प्रवाह प्रभावित होगा, जैव संतुलन भी बिगड़ेगा. जिससे भविष्य में उत्तराखंड, कश्मीर जैसी प्राकृतिक आपदाएं आने की संभावना भी बढ़ेगी. चुंकि, इस क्षेत्र में सांपों और पक्षियों की कई प्रजातियां, लगभग 35 प्रकार की तितलियां निवास करती है. इसके अतिरिक्त, बाघ, तेंदुआ, हिरण, सियार, नीलगाय, भालू, लोमड़ी जैसे कई वन्य प्राणी भी रहते है.

क्या होता है फास्फोराइट?

आपको बता दे कि, फास्फोराइट एक फास्फेट युक्त तलछटी होती है, जिसका उपयोग उर्वरक का उत्पादन में किया जाता है. इसका उपयोग कृषि में वृद्धि होती है. साथ ही, पशु आहार पूरक, औद्योगिक रसायन, खाद्य परीक्षक, और फार्मास्यूटिक्स के निर्माण में होता में भी किया है.



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