मंदिर के फूल बने आमदनी का जरिया, एमपी की तीर्थ नगरी में महिलाओं का कमाल

मंदिर के फूल बने आमदनी का जरिया, एमपी की तीर्थ नगरी में महिलाओं का कमाल


Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित पवित्र ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर न केवल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि अब यह एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी भी बन चुका है. यहां का मंदिर ट्रस्ट ने एक अभिनव पहल की शुरुआत की है, जिससे न केवल धार्मिक आस्था को नया आयाम मिला है, बल्कि स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं.

हाल ही में ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट ने फूल-पत्तियों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का कदम उठाया. इन अगरबत्तियों को तैयार करने में कोई भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता. केवल भगवान शिव पर अर्पित किए जाने वाले ताजे और पवित्र फूल-पत्तियों का उपयोग कर इन्हें बनाया जाता है. इसका उद्देश्य न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना है, बल्कि धार्मिक तरीके से निर्मित उत्पादों को तीर्थयात्रियों तक पहुंचाना भी है.

इस पहल के पीछे की सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि इन अगरबत्तियों और धूपबत्तियों को बनाने का जिम्मा स्थानीय महिलाओं को दिया गया. करीब पंद्रह महिलाएं शुद्धता और गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हुए हर दिन मेहनत से ये उत्पाद तैयार करती हैं. इन महिलाओं ने अपने छोटे-छोटे घरों से निकलकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह पहला कदम रखा है.

तीर्थ नगरी में महिलाओं का कमाल

इन महिलाओं की कहानी प्रेरणादायक है. पहले जहां कई महिलाएं घरेलू परिस्थितियों के कारण रोजगार के अवसर नहीं पा रही थीं, वहीं अब उन्होंने मिलकर यह छोटा सा स्टार्टअप खड़ा कर लिया है. सबकी मेहनत, लगन और भगवान में विश्वास ने इन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. महिलाएं फूल-पत्तियों को संजोती हैं, उन्हें सही मात्रा में मिलाकर अगरबत्ती और धूपबत्ती का रूप देती हैं. यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारंपरिक और स्वच्छ तरीके से होती है, जिससे ना तो पर्यावरण पर कोई बुरा असर पड़ता है और ना ही उत्पादों में कोई रासायनिक मिलावट होती है.

खंडवा कलेक्टर श्री ऋषभ गुप्ता और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शिवम प्रजापति ने इस योजना को पूरी जिम्मेदारी से आगे बढ़ाया. उन्होंने न केवल महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया, बल्कि इस पहल को तीर्थयात्रियों तक भी पहुंचाने का रास्ता बनाया. आज बड़ी संख्या में तीर्थयात्री मंदिर परिसर में बने काउंटर से स्वच्छ और सस्ते भाव में अगरबत्ती और धूपबत्ती खरीदते हैं.

इसके साथ ही, अब श्रद्धालु घर बैठे भी ‘शिव अर्पण’ के नाम से ऑनलाइन इन उत्पादों को मंगवा सकते हैं. यह सुविधा विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए उपयोगी है, जो दूर-दूर से ओंकारेश्वर भगवान के दर्शन करने नहीं आ पाते.

आत्मनिर्भरता की नई मिसाल

महिलाओं के लिए यह पहल आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन गई है. छोटे-छोटे परिवारों की महिलाएं आज अपने हाथों से भगवान के लिए अगरबत्ती बना रही हैं और उसका विक्रय करके अपने घर का खर्च चलाने में सक्षम हो रही हैं. इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है, बल्कि उन्हें समाज में भी एक नई पहचान मिली है.

यह सफल स्टोरी एक उदाहरण बन चुकी है कि अगर सही दिशा में प्रयास किया जाए तो छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं. न केवल पर्यावरण की सुरक्षा हो रही है, बल्कि महिलाओं को भी खुद पर गर्व महसूस हो रहा है.

इस नई पहल से जुड़े महिलाएं कहती हैं, भगवान के फूल-पत्तियों से अगरबत्ती बनाकर हम खुद को बहुत धन्य महसूस करते हैं. यह काम न केवल हमें रोजगार देता है, बल्कि हमारी धार्मिक आस्था को भी मजबूत करता है.

खंडवा का यह स्टार्टअप अब धीरे-धीरे आसपास के जिलों और प्रदेशों में भी अपनी पहचान बना रहा है. आने वाले समय में इसे और विकसित करने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस रोजगार से जोड़ा जा सके.

यहां की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि स्वच्छता, परंपरा और महिलाओं की मेहनत से कैसे एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है. ओंकारेश्वर की यह प्रेरणादायक कहानी हर किसी के लिए सीख देने वाली बन गई है.



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