रेफरी नहीं हटे, माफी से बचा चेहरा, अब नकवी पाक में कैसे बजा रहे जीत का ढोल?

रेफरी नहीं हटे, माफी से बचा चेहरा, अब नकवी पाक में कैसे बजा रहे जीत का ढोल?


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PCB ने एंडी पाइकॉफ्ट की माफी को पाकिस्तान की जीत बताया, लेकिन ICC ने रेफरी बदलने से इनकार किया. मोहसिन नकवी ने जांच की मांग की, असल में PCB ने सिर्फ घरेलू साख बचाई है.

पीसीबी चीफ नकवी की बड़ी-बड़ी बातें.
पाकिस्‍तान क्रिकेट बोर्ड की हठधर्मिता के चलते बुधवार को पाक-यूएई एशिया कप मैच एक घंटे की देरी से शुरू हुआ. पीसीबी ने दावा किया कि मैच रेफरी एंडी पाइकॉफ्ट ने पाकिस्‍तान के कप्‍तान सलमान आगा से माफी मांग ली है. जिसके बाद यह हैंडशेक विवाद अब ठंडा पड़ता दिख रहा है. इस पूरे विवाद में असल कहानी कुछ और है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) शुरू से ही इस मामले को तूल देकर मैच रेफरी एंडी पाइकॉफ्ट को हटाने की जिद पर अड़ा हुआ था. आईसीसी ने भी साफ कह दिया कि चाहे कुछ हो जाए मैच रेफरी तो नहीं बदला जाएगा. अब नकवी ने खुद माना कि पाईकॉफ्ट के माफी मांगने से पाकिस्‍तान का सम्‍मान बहाल हुआ है.

पाकिस्‍तान की इज्‍जत बचना बड़ी जीत
PCB चेयरमैन मोहसिन नकवी ने ICC से औपचारिक जांच की मांग कर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई थी. दरअसल, पाकिस्तान जानता था कि इतनी बड़ी मांग मान लेना ICC के लिए संभव नहीं है. ऐसे में पाइकॉफ्ट की औपचारिक माफी PCB को ‘मुंह बचाने’ का सुनहरा रास्ता दे गई. नकवी अब इसे पाकिस्तान की इज्जत बचाने की जीत बता रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर दावा कर रहे हैं कि सम्मान बहाल हो गया है. जबकि हकीकत यह है कि PCB की मूल मांग यानी रेफरी को हटाना पूरी तरह खारिज हो गई. लेकिन माफी को ही बड़ी उपलब्धि की तरह पेश कर PCB अब घरेलू दर्शकों और आलोचकों के सामने शेखी बघार रहा है.

आईसीसी ने नहीं मानी बात
पूर्व चेयरमैन रमीज राजा ने भी इसे “पाकिस्तान की जीत” कहकर PCB की लाइन को मजबूती दी. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ माफी पाकिस्तान की स्थिति मजबूत करती है या यह बस एक कूटनीतिक समायोजन है? असलियत यही है कि ICC किसी एक बोर्ड के दबाव में आकर अपने मैच रेफरी को हटाने का फैसला नहीं कर सकता था.

शोर-शराबे से पाकिस्‍तान को क्‍या मिला?
दरअसल, पाकिस्तान ने जिस तरह इस छोटे से प्रोटोकॉल विवाद को बड़ा मुद्दा बना दिया वह कहीं न कहीं उसकी अपनी असुरक्षा को भी दर्शाता है. भारत के खिलाफ हर छोटे घटनाक्रम को राजनीतिक रंग देने की कोशिश नई नहीं है. अब जबकि पाइकॉफ्ट ने माफी मांग ली है PCB इसे सम्मान की बहाली बताकर घरेलू मोर्चे पर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रहा है. कुल मिलाकर पाकिस्तान को जो चाहिए था वह नहीं मिला. लेकिन आधी-अधूरी जीत को शोर-शराबे के साथ पेश कर PCB ने अपने लिए एक चेहरा बचाने वाली कहानी गढ़ ली है. असली सवाल यह है कि क्या ऐसी रणनीतियां टीम के प्रदर्शन को सुधार पाएंगी या सिर्फ तात्कालिक राजनीति तक ही सीमित रहेंगी?

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें

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