ऐसा भी होता है? MP के इस गांव में किन्नरों का जाना है मना, शादी हो या कोई भी शुभ कार्य, नहीं दिखेगा यह समाज

ऐसा भी होता है? MP के इस गांव में किन्नरों का जाना है मना, शादी हो या कोई भी शुभ कार्य, नहीं दिखेगा यह समाज


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Khargone News: मध्यप्रदेश के खरगोन जिले का चोली गांव अपनी अनोखी परंपरा के कारण चर्चा में है, जहां किन्नर समाज का प्रवेश वर्जित है. ग्रामीणों का मानना है कि बाबा काल भैरव के श्राप से यह नियम बना है.

खरगोन. मध्यप्रदेश का खरगोन जिला अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है. यहां का चोली गांव लोगों की आस्था और मान्यताओं के चलते रहस्यमयी माना जाता है. इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां किन्नर समाज का कोई भी व्यक्ति प्रवेश नहीं करता, जबकि देशभर में किन्नर समाज की दुआएं लेना शुभ मानी जाती हैं, लेकिन चोली गांव में ऐसा नहीं होता. इसके पीछे एक ऐसी किवदंती है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.

खरगोन जिले के चोली गांव अपनी अनोखी परंपराओं और मान्यताओं की वजह से चर्चाओं में रहता है. यहां किसी भी शुभ अवसर जैसे बच्चे का जन्म, शादी-ब्याह या गृह प्रवेश में किन्नर समाज का आना वर्जित है. गांव वालों का कहना है कि यह नियम कई वर्षों से चला आ रहा है और आज भी इसका पालन किया जाता है. यहां परमार कालीन काल भैरव मंदिर स्थित है, जिसकी मान्यता दूर-दूर तक फैली है. हर रविवार और खास दिनों में यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. बाबा को प्रसन्न करने के लिए भक्त बकरे की बलि चढ़ाते हैं और अपनी मन्नतें पूरी करते हैं.

इस वजह से किन्नरों का आना बंद
लोगों के मुताबिक यहां बाबा काल भैरव साक्षात् मौजूद है. मान्यता है कि एक समय एक किन्नर बाबा काल भैरव की शक्ति को आजमाने आया था. उसने बाबा से प्रार्थना की कि अगर वे सचमुच साक्षात देव हैं तो उसकी भी गोद भर दें. कहते है कि, काल भैरव के आशीर्वाद से वह किन्नर गर्भवती हो गया. इसी घटना के बाद चोली गांव में किन्नरों के प्रवेश न करने की परंपरा शुरु हो गई. ग्रामीण नारायणदास धनोरिया और गौरव सिंह ठाकुर बताते हैं कि तब से लेकर आज तक किसी किन्नर ने गांव में कदम नहीं रखा है.

मान्यता पर किन्नरों ने क्या कहां?
ग्रामीण तकन बाबा कहते है, लोगो को मानना है कि, अगर कोई इस परंपरा को तोड़ेगा तो गांव में किसी प्रकार की अनहोनी घट सकती है. इसी डर से न तो ग्रामीण किन्नरों को बुलाते हैं और न ही किन्नर समाज के लोग यहां आते हैं. हालांकि, जब इस विषय पर किन्नर समाज की सोनाली दीदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस घटना का कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है. उन्होंने माना कि चोली गांव में यह परंपरा बहुत पुरानी है और लोग इसे आज भी मानते हैं.

रिवाज बदल गए, किन्नरों को प्रवेश नहीं
उनका यह भी कहना है कि उन्हें बाबा के नाम से डराया जाता है, इसलिए वे गांव में नहीं जाते. सोनाली दीदी ने बताया कि पहले चोली गांव में न तो बारात बाहर से आती थी और न ही गांव की बेटियों की शादी बाहर होती थी. गांव के भीतर ही सभी रिश्ते तय हो जाते थे. इस वजह से किन्नरों का आना-जाना कभी परंपरा में शामिल नहीं रहा. आज के दौर में शादियां और रिश्ते गांव से बाहर होने लगी है, लेकिन किन्नरों का आना अब भी वर्जित है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

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ऐसा भी होता है? MP के इस गांव में किन्नरों का जाना है मना, शादी हो या शुभ काम



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