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Gardening Tips: निमाड़ क्षेत्र में गेंदे की फसल अल्टरनेरिया नामक फफूंद रोग से प्रभावित हो रही है. पत्तियों पर भूरे धब्बे बनते हैं जो सूखकर पौधों को बर्बाद कर देते हैं.
निमाड़ क्षेत्र में गेंदा फूलों की खेती किसानों की आय का बड़ा स्रोत है. खासकर त्यौहारों और शादियों के मौसम में इसकी मांग तेजी से बढ़ जाती है, लेकिन इन दिनों कई खेतों में गेंदे की पत्तियां पीली होकर सूखने लगी हैं. किसानों का कहना है कि फसल का रंग और ताजगी दोनों प्रभावित हो रहे हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, इस समस्या की वजह अल्टरनेरिया रोग है. यह एक फफूंद रोग है, जो सबसे पहले पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देता है. धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़कर पूरी पत्ती को मुरझा देते हैं और पौधे की ग्रोथ रुकने लगती है.

खरगोन कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह रोग खासतौर पर नमी वाले मौसम में तेजी से फैलता है. खेतों में लगातार नमी बने रहने या जलभराव की स्थिति होने पर रोग की चपेट में पूरी फसल आ सकती है. समय पर उपचार नहीं करने पर किसान को 30 से 40 प्रतिशत तक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

इस रोग से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने किसानों को मेंकोजेब दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है. 200 ग्राम मेंकोजेब को 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ खेत में छिड़काव किया जाए. यह उपाय रोग को शुरुआती अवस्था में ही रोक सकता है और पत्तियों की हरियाली बनाए रखता है.

छिड़काव हमेशा साफ मौसम में करना चाहिए. इस दौरान यह ध्यान रहे कि दवा का घोल पौधों की पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों तरफ समान रूप से लगे. अगर मौसम बरसात का हो तो छिड़काव से बचें और धूप निकलते ही दोबारा प्रक्रिया करें.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नियमित रूप से फसल की निगरानी करने की सलाह दी है. पत्तियों पर धब्बे या सूखने के लक्षण दिखते ही तुरंत उपाय करें. देर होने पर यह रोग दूसरे पौधों तक भी फैल जाता है और फिर इसे रोकना मुश्किल हो जाता है.

विशेषज्ञों ने कहा कि, खेत में नमी को नियंत्रित रखना और जलभराव से बचाना भी बहुत जरूरी है. इसके अलावा पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखने से हवा का संचार ठीक रहता है, जिससे रोग फैलने की संभावना कम हो जाती है. समय-समय पर खरपतवार निकालना भी जरूरी है.