खजुराहो के पास रनगुवां बांध के तीन गेट खोले गए हैं। वहीं भोपाल में शाम में तेज बारिश हुई।
मध्यप्रदेश में साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात) और टर्फ एक्टिव है, लेकिन इनका ज्यादा असर नहीं है। इस वजह से प्रदेश में अब हल्की बारिश का दौर चल रहा है। शुक्रवार को 10 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई। शनिवार को प्रदेश में कहीं भी भारी बारिश का अलर्ट नहीं
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मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर-दक्षिण टर्फ एमपी से गुजर रही है। वहीं, उत्तरी-दक्षिणी हिस्से में दो चक्रवात भी एक्टिव है, लेकिन यह स्ट्रॉन्ग नहीं है। इस वजह से अगले चार दिन तक भारी बारिश का दौर नहीं रहेगा। मौसम विभाग ने भी यह चेतावनी नहीं दी है। हालांकि, लोकल सिस्टम के सक्रिय होने से कहीं-कहीं तेज बारिश भी हो सकती है।
बैतूल-बड़वानी में तेज बारिश प्रदेश में शुक्रवार को छतरपुर के खजुराहो और बड़वानी के सेंधवा में तेज बारिश का दौर रहा। एबी रोड स्थित बिजासन घाट क्षेत्र में डेढ़ घंटा मूसलाधार पानी गिरा। वहीं, खजुराहो के रनगुवां बांध के तीन गेट खोल दिए गए।
भोपाल के भदभदा डैम का एक गेट फिर से खोला गया। इस सीजन में चार बार गेट खुल चुके हैं। बैतूल में सवा इंच और रतलाम-छिंदवाड़ा में 1-1 इंच पानी गिर गया। नर्मदापुरम के पचमढ़ी, शिवपुरी, जबलपुर, छतरपुर के नौगांव, सीधी, बड़वानी में भी हल्की बारिश हुई। भोपाल में शाम में तेज बारिश हुई।
शिवपुरी में बिजली गिरने से मां-बेटे की मौत शिवपुरी जिले के मायापुर थाना क्षेत्र के रूपेपुर गांव में शुक्रवार शाम आकाशीय बिजली गिर गई। हादसे में खेत पर मवेशियों के लिए चारा काट रहे परिवार पर बिजली गिरने से श्यामकुमारी लोधी (45) और उनके बेटे राहुल लोधी (19) की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं बेटी बेना लोधी (18) झुलस गई। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज जारी है।
देखिए बारिश की तस्वीरें…

मुंबई-आगरा नेशनल हाईवे (NH-52) पर पहाड़ से फूटा झरना।

बिजासन घाट क्षेत्र में करीब डेढ़ घंटे तक मूसलाधार बारिश हुई।

मंदसौर में चंबल नदी पर बने पुल पर एक पिकअप लटक गई। दो लोग इसमें बह गए।

भोपाल में शाम में तेज बारिश हुई।
अब तक 117 प्रतिशत बारिश हो चुकी प्रदेश में इस मानसूनी सीजन में औसत 43.5 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य बारिश से 7.5 इंच ज्यादा है। गुना में सबसे ज्यादा 65 इंच, जबकि खरगोन में सबसे कम 26.2 इंच बारिश हुई है। इधर, कई जिलों में तेज बारिश का दौर जारी है।
मौसम विभाग के अनुसार, अब तक सामान्य बारिश से 17 प्रतिशत पानी ज्यादा गिर चुका है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आखिरी सप्ताह में पूरे प्रदेश में तेज बारिश का एक और दौर शुरू हो सकता है।
राजस्थान, गुजरात-पंजाब से लौट रहा मानसून मौसम विभाग के अनुसार, अब मानसून की वापसी भी होने लगी है। आधे राजस्थान से मानसून लौट चुका है। वहीं, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के कई जिलों से भी मानसून लौटा है। गुरुवार को भी कई जिलों से मानसून लौट गया। यदि वापसी ही यही रफ्तार रही तो एमपी के भी कई जिलों में ऐसी स्थिति बन सकती है।
अब तक इतनी बारिश…



एमपी में 16 जून को पहुंचा था मानसून बता दें, प्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 43.5 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 36 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 7.5 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। यह कोटा पिछले सप्ताह ही पूरा हो गया है।
इंदौर-उज्जैन संभाग की तस्वीर बेहतर नहीं इस मानसूनी सीजन में इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति ठीक नहीं है। यहां सबसे कम पानी गिरा है। सबसे कम बारिश वाले टॉप-5 जिलों में बुरहानपुर, बड़वानी, खंडवा खरगोन और शाजापुर शामिल हैं।
ग्वालियर, चंबल-सागर सबसे बेहतर एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी, जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। यहां बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहे। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई।
ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। यहां के सभी 8 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं। 34 में से भोपाल संभाग के चार, जबलपुर संभाग के 5, इंदौर संभाग के 3, ग्वालियर-चंबल के 8, सागर संभाग के 5, उज्जैन संभाग के 4, रीवा संभाग के 3, शहडोल-नर्मदापुरम संभाग के एक-एक जिला शामिल हैं।
गुना में सबसे ज्यादा 65.2 इंच पानी गिर चुका है। मंडला में 59.9 इंच, श्योपुर में 56.5 इंच, अशोकनगर में 55.4 इंच और शिवपुरी में 54.6 इंच बारिश हो चुकी है। वहीं, सबसे कम 26.2 इंच बारिश खरगोन में हुई। शाजापुर में 28 इंच, खंडवा में 28.3 इंच, बड़वानी में 28.6 इंच और धार में 30 इंच पानी गिर चुका है।
अगले 2 दिन ऐसा रहेगा मौसम…


अब जानिए, एमपी के 5 बड़े शहरों में बारिश का रिकॉर्ड…
भोपाल में 4 साल से कोटे से ज्यादा बारिश भोपाल में सितंबर महीने की औसत बारिश 7 इंच है, लेकिन पिछले 4 साल से कोटे से ज्यादा पानी बरस रहा है। ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1961 में पूरे सितंबर माह में 30 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक 9.2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 2 सितंबर 1947 को बना था।
इस महीने औसत 8 से 10 दिन बारिश होती है। वहीं, दिन में तापमान 31.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

इंदौर में सितंबर में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश इंदौर में सितंबर महीने में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश हो चुकी है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है, जो साल 1954 में बना था। वहीं, 20 सितंबर 1987 को 24 घंटे में पौने 7 इंच पानी गिर चुका है। इस महीने इंदौर में औसत 8 दिन बारिश होती है, लेकिन इस बार 15 या इससे अधिक दिनों तक बारिश हो सकती है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी होने लगेगी।

ग्वालियर में वर्ष 1990 में गिरा था 25 इंच पानी ग्वालियर में सितंबर 1990 में 647 मिमी यानी, साढ़े 25 इंच बारिश हुई थी। यह सितंबर में मासिक बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 24 घंटे में 7 सितंबर 1988 को साढ़े 12 इंच बारिश हुई थी। सितंबर में ग्वालियर की औसत बारिश करीब 6 इंच है, लेकिन पिछले तीन साल से इससे अधिक बारिश हो रही है। ग्वालियर में इस बार अगस्त में ही बारिश का कोटा पूरा हो गया। ऐसे में सितंबर में जितनी भी बारिश होगी, वह बोनस की तरह ही रहेगी।

जबलपुर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड सितंबर महीने में जबलपुर में भी मानसून जमकर बरसता है। 20 सितंबर 1926 को जबलपुर में 24 घंटे के अंदर साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं, पूरे महीने में 32 इंच बारिश साल 1926 को हो चुकी है। यहां महीने में औसत 10 दिन बारिश होती है। वहीं, सामान्य बारिश साढ़े 8 इंच है। पिछले 3 साल से सामान्य से ज्यादा पानी गिर रहा है।

उज्जैन में 1981 में पूरे मानसून का कोटा हो गया था फुल उज्जैन की सामान्य बारिश 34.81 इंच है, लेकिन वर्ष 1961 में सितंबर की बारिश ने ही पूरे सीजन की बारिश का कोटा फुल कर दिया था। इस महीने 1089 मिमी यानी, करीब 43 इंच पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक साढ़े 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 सितंबर 1961 में ही बना था।
सितंबर महीने में उज्जैन की सामान्य बारिश पौने 7 इंच है, लेकिन पिछले दो साल से 12 इंच से ज्यादा बारिश हो रही है। इस महीने औसत 7 दिन बारिश होती है।
