जब बल्ला बना बंदूक: यह फरहान की गलती नहीं, आतंक की फैक्ट्री के संस्कार बोले

जब बल्ला बना बंदूक: यह फरहान की गलती नहीं, आतंक की फैक्ट्री के संस्कार बोले


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india vs pakistan asia cup 2025: फरहान का बल्ला जब बंदूक बना, तो वह सिर्फ एक इशारा था- पाकिस्तान का असली चेहरा वही है, जो मासूमों के खून से रंगी घाटियों में नजर आता है. खेल से बड़ा कोई धर्म नहीं, और पाकिस्तान ने फिर साबित किया कि वह इस धर्म को कभी समझ ही नहीं पाया. उसके संस्‍कार ही खून से सने हैं.

पाक‍िस्‍तानी ख‍िलाड़ी साह‍िबजादा फरहान.
पाकिस्तान के क्रिकेटर फरहान ने जब अर्धशतक पूरा किया तो बल्ला हवा में लहराया, लेकिन अंदाज वही था जैसे कोई बंदूक से गोलियां दाग रहा हो. यह नजारा खेल नहीं, बल्कि खून-खराबे की याद दिलाता है. वही खूनखराबा, जो पहलगाम की घाटी में 26 मासूमों की जान लेने वाले आतंकियों ने किया था. बल्ले को बंदूक बनाकर फरहान ने अनजाने में ही सही, उन दरिंदों की याद ताजा कर दी, जिन्होंने इंसानियत को कलंकित किया था. यह उस सोच का आईना भी है जिसे पाकिस्तान दशकों से पालता आया है. वहां खेल से ज्‍यादा खून का जश्न मनाया जाता है और यही वजह है कि एक खिलाड़ी को भी जश्न मनाने का मौका मिला तो बंदूक निकल आई.

पाक‍िस्‍तान के लोग कहेंगे क‍ि भारतीय कप्‍तान सूर्यकुमार यादव ने भी पिछली जीत अपनी सेना को डेडि‍केट की थी. आप भी करते, जब जीत जाते. लेकिन बीच मैच, खचाखच भरे मैदान से आप ये क्‍या संदेश दे गए. दरअसल, फरहान की यह हरकत उनकी गलती नहीं बल्कि उस मुल्क की परवरिश का नतीजा है, जिसने आतंकवाद को अपनी जमीन से कभी खत्म होने नहीं दिया. पहलगाम में 26 निर्दोषों का कत्लेआम करने वाले आतंकी भी ऐसे ही संस्कारों की देन थे. पाकिस्तान आज भी अपने नौजवानों को खेल की बजाय नफरत और हिंसा का सबक पढ़ा रहा है.





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