रामतलाई हनुमान मंदिर परिसर में शनिवार की रात रामलीला का मंचन हुआ। सीता स्वयंवर, धनुष यज्ञ और लक्ष्मण-परशुराम संवाद के दृश्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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राजा जनक ने सभी राजाओं और योद्धाओं को शिव धनुष उठाने का अवसर दिया। कोई भी धनुष को हिला तक नहीं सका। रावण भी इसमें असफल रहा। श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से धनुष को सहजता से उठाकर तोड़ दिया। मैदान जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और शहनाई बजी।
इसके बाद क्रोधित परशुराम मंच पर आए। उन्होंने शिव धनुष तोड़ने वाले को सामने आने की चुनौती दी। लक्ष्मण ने उनका सामना किया और दोनों के बीच तीखा संवाद हुआ। श्रीराम ने आगे बढ़कर विनम्रता से परशुराम को समझाया कि उन्होंने गुरु की आज्ञा से धनुष तोड़ा है।
राम की विनम्रता से प्रभावित होकर परशुराम शांत हो गए। वे राम को पहचानकर प्रणाम कर हिमालय की ओर चल दिए। दर्शकों ने देर रात तक चले इस मंचन में सभी कलाकारों का उत्साह बढ़ाया। यह मंचन मर्यादा, भक्ति और आस्था का संदेश बनकर श्रद्धालुओं की स्मृतियों में अंकित हो गया।

