सितंबर-अक्टूबर में पशुओं में थनैला का कहर, बचाव के आसान देसी उपाय

सितंबर-अक्टूबर में पशुओं में थनैला का कहर, बचाव के आसान देसी उपाय


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Satna News: डॉ भारती ने लोकल 18 से कहा कि बरसात के मौसम में डेयरी और शेड की साफ-सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए. दूध दुहते समय हाथों को अच्छी तरह से धोएं और बर्तनों को साफ रखें. पशुओं को स्वच्छ वातावरण देना बेहद जरूरी है.

सतना. बरसात का मौसम जहां फसलों के लिए फायदेमंद साबित होता है, वहीं यह पशुओं के लिए कई बीमारियों का कारण भी बनता है. इन्हीं में से एक है थनैला रोग, जिसे चिकित्सा भाषा में मैस्टाइटिस कहा जाता है. यह रोग गाय, भैंस, बकरी और भेड़ जैसे दूध देने वाले पशुओं में तेजी से फैलता है और सीधे दूध उत्पादन पर असर डालता है. अक्सर सितंबर-अक्टूबर के दौरान इसका खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है. मध्य प्रदेश के सतना निवासी पशु चिकित्सक डॉ बृहस्पति भारती ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि थनैला रोग मुख्यतः पशुओं के मेमरी ग्लैंड्स और अड़र को प्रभावित करता है. इस दौरान पशु के थन सूज जाते हैं, कठोर हो जाते हैं और कई मामलों में खून निकलने जैसी स्थिति भी बन जाती है. अगर समय रहते इलाज न हो, तो यह समस्या फाइब्रोसिस में बदल सकती है, जिसमें थनों पर गांठें पड़ जाती हैं. यह रोग गंदे माहौल और दूध दुहने की गलत आदतों के कारण तेजी से फैलता है.

उन्होंने कहा कि अगर तुरंत डॉक्टर तक पहुंच संभव न हो, तो पशुपालक घर पर भी अपने पशु का इलाज शुरू कर सकते हैं. इसके लिए एलोवेरा का गूदा, हल्दी और एक चुटकी चूना मिलाकर एक लेप तैयार करें और इसे पशु के थनों पर नियमित रूप से लगाएं. इस मिश्रण में मौजूद हल्दी एंटीसेप्टिक की तरह काम करती है और घाव भरने में मदद करती है. वहीं एलोवेरा सूजन को कम करने में कारगर साबित होता है.

स्वच्छता ही सबसे बड़ा बचाव
डॉ भारती ने आगे कहा कि बारिश के मौसम में डेयरी और शेड की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. दूध दुहते समय हाथों को अच्छी तरह धोना, बर्तनों को स्वच्छ रखना और पशुओं को साफ वातावरण देना बेहद जरूरी है. खासकर वे गायें जो ज्यादा दूध देती हैं, उनमें इस रोग का खतरा ज्यादा होता है.

समय पर पहचान से नहीं होगा नुकसान
एलोपैथी में इस रोग के कई इलाज मौजूद हैं लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि सबसे जरूरी है, समय पर पहचान और शुरुआती स्तर पर उपचार करना. अगर लापरवाही की गई, तो दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि बरसात के दिनों में पशुओं की नियमित जांच करें और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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सितंबर-अक्टूबर में पशुओं में थनैला का कहर, बचाव के आसान देसी उपाय

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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