कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर नया विवाद खड़ा
.
प्रदेश के 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस (पीएमसीओई) और 12 स्वशासी कॉलेजों में प्राचार्य की नियुक्तियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों को निर्देश जारी कर कहा है कि चयनित प्राचार्य के अधीन कॉलेज में कार्यरत वरिष्ठ प्राध्यापकों से सहमति या असहमति का पत्र लिखवाकर भेजें।
इसके लिए विभाग ने बाकायदा एक प्रोफार्मा भी जारी किया है, जिसमें कॉलेज का नाम, चयनित प्राचार्य का नाम और विषय, उनके अधीन काम करने वाले वरिष्ठ प्राध्यापकों का नाम और सहमति/असहमति दर्ज करानी है। विभाग की इस कार्रवाई से प्राध्यापक नाराज हो गए हैं। उनका कहना है कि शासन का कर्मचारी शासन के अधीन काम करता है, न कि किसी व्यक्ति विशेष के अधीन। विभाग की यह पहल शिक्षकों को अपमानित करने वाली और उनके बीच वैमनस्य फैलाने वाली है।
प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ ने इस पर कड़ा एतराज जताया है। अपर मुख्य सचिव व आयुक्त उच्च शिक्षा को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है। अब मामला सिर्फ नियुक्तियों का नहीं, बल्कि प्रोफेसर्स के आत्मसम्मान व विभाग की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। सितंबर-2024 में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इन कॉलेजों में प्राचार्यों व शिक्षकों की पोस्टिंग के लिए अपनाई गई चयन प्रक्रिया शुरुआत से ही विवादित है। कोर्ट ने भी गंभीर टिप्पणियां की हैं।
शिक्षकों पर दबाव बना रहा विभाग…
संघ ने कहा है कि विभाग अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षकों पर दबाव बना रहा है। इससे सीनियर और जूनियर प्राध्यापकों के बीच टकराव बढ़ेगा। साथ ही, संघ ने यह भी सवाल उठाया कि जब विभाग के पास अंतिम वरिष्ठता सूची ही उपलब्ध नहीं है, तो पारस्परिक वरिष्ठता का निर्धारण कैसे होगा।
फैसला शासन स्तर से हो… विभाग की कार्रवाई के चलते संघ ने एक मांग उठा दी है कि चयनित प्राचार्यों की वरिष्ठता और मेरिट का फैसला शासन स्तर से ही किया जाए और क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों को मनमानी का अधिकार न दिया जाए। साथ ही, प्रभारी प्राचार्य और क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक के पद पर केवल वरिष्ठतम प्राध्यापक को ही नियुक्त करने की व्यवस्था लागू की जाए।
इस आदेश से वैमनस्यता बढ़ सकती है ^यह आदेश शिक्षकों के लिए अपमानजनक है। इससे कॉलेजों में प्राचार्य और शिक्षकों के बीच वैमनस्यता बढ़ सकती है। विभाग न्यायालय में हार के डर से प्राध्यापकों को डराने का प्रयास कर रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि शिक्षक अपनी वरिष्ठता का क्लेम न करें व विभाग द्वारा की गई गलतियों को सही मान लें। डॉ. आनंद शर्मा, प्रांताध्यक्ष, प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ