एमपी में 12 लाख मृतकों को मिल रहा था राशन: केंद्र के फॉर्मूले ने पकड़ी गड़बड़ी; 1.57 लाख ऐसे, जिनकी सालाना आय 6 लाख से ज्यादा – Madhya Pradesh News

एमपी में 12 लाख मृतकों को मिल रहा था राशन:  केंद्र के फॉर्मूले ने पकड़ी गड़बड़ी; 1.57 लाख ऐसे, जिनकी सालाना आय 6 लाख से ज्यादा – Madhya Pradesh News


मप्र में मुफ्त राशन योजना में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। ऐसे लोगों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा है जिनकी सालान आय 6 लाख से ज्यादा है। वहीं ऐसे लोग भी है जो किसी कंपनी में डायरेक्टर है और टैक्स जमा करते हैं। इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद अब राज्य

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दरअसल, ये गड़बड़ी केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य शासन ने पकड़ी है। केंद्र ने स्मार्ट पीडीएस फॉर्मूला लागू करते हुए हर राज्य के डेटा को अपने सर्वर में फीड किया और वहां जब इसका एनालिसिस किया तो पता चला कि मप्र में कुल 24 लाख हितग्राही डिफाल्टर हैं। इनमें 12 लाख तो ऐसे हैं जिनकी मौत हो चुकी है। केंद्र सरकार ने ऐसे 24 लाख लोगों के नाम लिस्ट से काट दिए हैं।

उनकी जगह 7 लाख नए नाम जोड़े गए हैं। पढ़िए मुफ्त राशन योजना में किस तरह से गड़बड़ी सामने आई और राज्य सरकार कैसे जांच कर रही है?

3 केस जिन्हें अपात्र पाए जाने के बाद थमाया नोटिस

1.फ्रेब्रीकेशन कंपनी का मालिक ले रहा था मुफ्त राशन: ये मामला भोपाल का है। यहां रहने वाले मुनव्वर खान मुफ्त खाद्यान्न योजना का फायदा उठा रहे थे, उनके दस्तावेजों की जांच की तो पाया कि उनकी फेब्रिकेशन कंपनी है। खाद्य विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा तो उन्होंने जवाब में लिखा कि उनका राशन कार्ड निरस्त कर दिया जाए।

2. लोन के लिए आय दिखाई 6 लाख सालाना: ये केस भी भोपाल का है। यहां रहने वाले अमित को खाद्य विभाग की तरफ से नोटिस भेजा गया। अमित कुमार ने इनकम टैक्स रिटर्न भरा था और सालाना आय 6 लाख रुपए से ज्यादा की बताई थी। अमित कुमार ने नोटिस का जवाब दिया कि बैंक से लोन लेना था उसके लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया था, बल्कि वो तो काफी गरीब है।

ऐसा ही मामला नीलबड़ क्षेत्र में रहने वाले अमन महबूब का है जिसने लोन के लिए 6 लाख से अधिक आय का सीए का सार्टिफिकेट लगाया । हालांकि, महबूब ने नोटिस के जवाब में कहा है कि उनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है। सिर्फ लोन लेने के लिए अपनी इनकम 6 लाख से अधिक बताई थी। दोनों मामलों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है।

3. एलआईसी एजेंट भी ले रहा था राशन: भोपाल के रहने वाले एलआईसी एजेंट पर्वत सिंह ने भी हितग्राहियों की सूची में अपना नाम दर्ज कराया था। पर्वत सिंह को भी खाद्य विभाग की तरफ से नोटिस दिया गया है, लेकिन पर्वत सिंह ने इसका जवाब नहीं दिया है। वहीं अंजली महोबिया अपने माता-पिता के साथ ही रहती थी। एक साल पहले अंजली की छत्तीसगढ़ में शादी हो गई। जब खाद्य विभाग ने नोटिस दिया तो जवाब दिया गया कि राशन कार्ड से नाम काट दिया जाए।

केंद्र सरकार के निर्देश पर चलाया ई केवाईसी अभियान खाद्य आयुक्त कर्मवीर शर्मा बताते हैं कि केंद्र सरकार ने कुछ विशेष श्रेणियों के हितग्राहियों के नाम जांच करने के बाद हटाने के निर्देश दिए थे। इसके लिए राशन दुकानों से जुड़े सभी पात्र हितग्राहियों की वास्तविक पहचान के लिए पूरे प्रदेश में राशन पात्रता पर्ची के लिए ई केवाईसी अभियान चलाया गया।

अब तक 90% से अधिक हितग्राहियों को केवाईसी पूरा हो चुका है। इस अधार पर 24 लाख अपात्र हितग्राहियों के नाम सामने आए हैं। जिन्हें जिला स्तर पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। डेटा के आधार पर अपात्र हितग्राहियों को हटाकर पात्रों जोड़ रहे हैं।

3 पॉइंटस में जानिए कैसी-कैसी गड़बड़ी स्मार्ट पीडीएस फॉर्मूला लागू करते हुए पूरे डेटा को केंद्र सरकार ने अपने सर्वर में लिया। इसके बाद ई केवाईसी करने के बाद राज्य सरकार को जांच करने के कहा। इस जांच के पांच प्वाइंट हैं। इन्हें चिह्नित कर खाद्य विभाग द्वारा नोटिस दिए जा रहे हैं। इन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया जा रहा है।

  • 6 लाख से अधिक आय वाले:जांच के दौरान पीडीएस की लिस्ट में अब तक 1.57 लाख से अधिक ऐसे हितग्राही मिले, जिनकी वार्षिक आय 6 लाख से अधिक है। इसमें से 14 हजार से अधिक नाम काटे जा चुके हैं। 1.42 लाख हितग्राहियों के सत्यापन का काम चल रहा है, उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं।
  • कंपनी में डायरेक्टर:जांच के दौरान पता चला कि 18 हजार से ज्यादा ऐसे हितग्राही है जो कॉर्पोरेट मंत्रालय में रजिस्टर्ड कंपनी में संचालक हैं। ऐसे सभी लोगों को नोटिस भेजा गया और 1 हजार से ज्यादा हितग्राहियों के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं। हालांकि, इसमें उन महिलाओं को छूट दी गई है जिन्होंने स्व-सहायता समूह का गठन किया है और कॉर्पोरेट मंत्रालय में खुद की कंपनी रजिस्टर्ड की है।
  • जीएसटी देने वाले हितग्राही:गरीबों का राशन लेने वाले ऐसे 1381 हितग्राहियों का पता चला है, जिनका टर्न ओवर 25 लाख रुपए से ज्यादा का है और वे जीएसटी( वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में आते हैं। ऐसे 103 लोगों के नाम लिस्ट से हटाए जा चुके हैं। 1278 हितग्राहियों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया चल रही है।

5 लाख से ज्यादा हितग्राही संदेह के दायरे में, ऐसी 7 कैटेगरी

  • 18 साल से कम उम्र के एक सदस्य परिवार: हैरानी की बात ये है कि प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा ऐसे हितग्राही है जिनकी उम्र 18 साल से कम है और उनका परिवार है। वो भी मुफ्त राशन योजना का लाभ उठा रहे थे। ऐसे सभी लोगों को चिह्नित कर नोटिस भेजा गया है। इनमें से 1700 से ज्यादा के नाम काट दिए गए है। बाकियों के नाम हटाने की कार्रवाई प्रोसेस में है।
  • 100 से ज्यादा उम्र के 3 हजार लोग: इस कैटेगरी में 700 से ज्यादा लोगों के नाम काट दिए है। वहीं 2900 लोगों के नाम हटाने की प्रक्रिया की जा रही है।
  • जिनके आधार कार्ड फर्जी होने का संदेह: ऐसे तीन लाख से ज्यादा हितग्राही पकड़े गए, जिन्होंने मुफ्त राशन योजना का लाभ लेने के लिए फर्जी आधार कार्ड तैयार किया था। हालांकि, ये कहां से तैयार हुआ और कैसे हुआ ये विभाग को नहीं पता। विभाग ने यूआईडीएआई( भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) से इनकी सत्यता की जांच कराई थी।
  • 6 महीने से राशन न लेने वाले: ऐसे हितग्राहियों की संख्या करीब 2.95 लाख है। इसमें से 2.18 लाख हितग्राहियों के नाम काट दिए गए हैं। 77 हजार से ज्यादा के नाम काटे जाने की प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि ये लोग फर्जी है।
  • 12 महीने से राशन न लेने वाले: ऐसे हितग्राहियों की संख्या भी 50 हजार से ज्यादा है। इनमें से 6 हजार का नाम काट दिया गया है और करीब 46 हजार का नाम हटाने की प्रोसेस की जा रही है।
  • डुप्लीकेट हितग्राही: इनकी संख्या करीब 99 हजार है। यानी ये ऐसे हितग्राही है जिनका नाम दो अलग-अलग राशन दुकानों पर जुड़ा है। इनमें से 14 हजार से ज्यादा के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं वहीं 85 हजार से ज्यादा का नाम हटाने की तैयारी है।
  • जिनकी मौत उन्हें भी मिल रहा राशन: जांच में यह भी सामने आया कि 12 लाख हितग्राहियों ऐसे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। लेकिन उनके नाम पर राशन लिया जा रहा था। इनके नाम को भी हटाया गया है।

पीडीएस लिस्ट में 65 लाख से ज्यादा किसान भी शामिल केंद्र सरकार ने मप्र को 75.35 लाख पीडीएस के हितग्राहियों की सूची भेजी है उसमें 65.82 लाख किसान हैं। इनके पास 1 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि है। इनमें केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राही किसान भी शामिल है। खाद्य विभाग के अफसरों का कहना है कि केंद्र सरकार ने 1 हेक्टयेर से ज्यादा जमीन वाले किसानों को सक्षम किसान माना है।

केंद्र ने राज्यों को इनके नाम हटाने के लिए किसी तरह के दिशा निर्देश नहीं दिए हैं, लेकिन राज्यों से कहा गया है कि वे अपने स्तर पर पॉलिसी बना सकते हैं। खाद्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक किस किसान के पास कितनी जमीन है? इसका पता लगाने के लिए राजस्व विभाग से डेटा मांगा गया है और हितग्राहियों के डेटा का मिलान किया जा रहा है।

फिलहाल 5 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले किसानों का डेटा तैयार किया जा रहा है। इसके आधार पर राज्य सरकार निर्णय लेगी कि किसे मुफ्त खाद्यान्न योजना का लाभ देना है और किसे नहीं ? सूत्रों का कहना है कि बड़े क्षेत्र वाले किसान पीडीएस की सूची से बाहर किए जा सकते हैं। मप्र में करीब 80 लाख किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का फायदा मिलता है।

मंत्री बोले- नए लोगों के नाम जोड़े जाएंगे इस मसले पर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि सरकारी राशन दुकानों से राशन लेने वाले हितग्राहियों की वास्तविक पहचान के लिए ई-केवाईसी अभियान शुरू किया था। ये अभियान कामयाब रहा है। इसके जरिए कई ऐसे लोगों के नाम सामने आए जिनका दो-दो जगह पर नाम जुड़ा था।

इनमें से कुछ लोग तो महीनों से राशन ही नहीं ले रहे थे और कुछ मर भी चुके थे। केंद्र ने इसके लिए 11 कैटेगरी तय की थी। इन कैटेगरी के आधार पर हम हितग्राहियों को आइडेंटिफाई कर रहे हैं। जैसे-जैसे पुराने नाम कटेंगे नए नाम जुड़ते जाएंगे।



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