सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस के सिलसिले में असम से शुरू हुई गुरुग्रंथ साहिब की रथयात्रा गोंदिया होते हुए बालाघाट पहुंची। सिख धर्मावलंबियों ने पुष्पवर्षा से रथयात्रा का स्वागत किया।
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रथयात्रा कोसमी से शुरू हुई। यह सरेखा, हनुमान चौक, सर्किट हाउस रोड से होते हुए गुरुद्वारा पहुंची। गुरुद्वारे में पंजप्यारों का सरोपा पहनाकर स्वागत किया गया। इसके बाद शब्द कीर्तन और लंगर की सेवा हुई।
श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हीरा सिंह भाटिया ने जानकारी दी। शहीदी नगर कीर्तन में गोंदिया, बैहर और वारासिवनी से 200 से अधिक श्रद्धालु जुटे। भाटिया ने गुरु तेग बहादुर के बलिदान का इतिहास बताया।
गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए 24 नवम्बर 1675 को अपना बलिदान दिया। औरंगजेब कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार कर रहा था। गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म की रक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने औरंगजेब को संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि यदि वे धर्म परिवर्तन कर लें तो सारा हिंदू समाज धर्म परिवर्तन कर लेगा। औरंगजेब उनका धर्म परिवर्तन नहीं करा सका। इस संघर्ष में गुरु तेग बहादुर शहीद हो गए। इसी कारण उन्हें ‘हिंद की चादर’ के नाम से जाना जाता है।

