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एशिया कप 2025 में अब तक जो कुछ घटा है वो इस टूर्नामेंट की गरिमा को ठेस पहुंचाता ही नजर आया फिर वो चाहे हैंडशेक मुद्दा हो, पाकिस्तान का मैदान पर 1 घंटे से देरी से पहुंचना हो और चाहे मैच रेफरी को बदलने की मांग हो. इन तमाम घटनाओ के बीच दुनीथ वेल्लालगे उम्मीद और खेल के असली मकसद के प्रति एक तरह के आशावाद के प्रतीक बनकर सामने आए हैं. इस युवा खिलाड़ी ने अपने पिता, 54 वर्षीय सुरंगा वेल्लालगे को अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ खेलते समय दिल का दौरा पड़ने से खो दिया.
दुनीथ सिर्फ़ 22 साल के हैं फिर भी, उन्होंने राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के लिए दुबई वापस जाने का साहस जुटाया ठीक वैसे ही जैसे सचिन तेंदुलकर ने 1999 में अपने पिता के निधन के बाद केन्या के खिलाफ विश्व कप मैच में किया था विराट कोहली भी अपने पिता के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद रणजी ट्रॉफी मैच खेलने गए थे. ये उदाहरण बताते हैं कि खेल कितना शक्तिशाली है और पुरुष और महिलाएं खेल खेलते हुए क्या-क्या कर सकते हैं. ये जीवन के ऐसे सबक हैं जो खेल को बहुत अलग बनाते हैं और हमें यह उम्मीद देते हैं कि सब कुछ अहंकार या किसी से आगे निकलने की होड़ में नहीं है.
एशिया कप 2025 में अब तक जो कुछ घटा है वो इस टूर्नामेंट की गरिमा को ठेस पहुंचाता ही नजर आया फिर वो चाहे हैंडशेक मुद्दा हो, पाकिस्तान का मैदान पर 1 घंटे से देरी से पहुंचना हो और चाहे मैच रेफरी को बदलने की मांग हो. भारत पाकिस्तान के बीच खेले गए पहले मैच में भारतीय टीम और कप्तान ने पाकिस्तान से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया इस बात को पाकिस्तान ने मुद्दा बना दिया और टूर्नामेंट को बॉयकाट की धमकी भी दी गई. भारत पाकिस्तान के दूसेर मैच में तो पाकिस्तान ने सारी हदें पार कर दी.पहले बल्लेबाजी में साहिबजादा फरमान ने गन सेलिब्रेशन किया और फिर गेंदबाजी के दौरान हारिस रउफ ने वो इशारे किए जो हर किसी को नागवार गुजरे. इन घटनाओं के बीच में वेल्लालगे के पिता जी का देहांत हो गया. कुलमिलाकर इस टूर्नामेंट में अभी तक अच्छी यादें कम और विवाद ज्यादा सामने आए है.
दुनीथ को वैसे दुनिया कम जानती है, फिर भी बस इतना कहा जा सकता है कि उनके लिए सबके मन में सम्मान दस गुना बढ़ गया है. ऐसी ही स्थिति से गुज़रने के बाद, मैं कह सकता हूँ कि उन्होंने जो किया है वह दुनिया के सबसे कठिन कामों में से एक है. वह अपने पिता को फिर कभी नहीं देख पाएँगे और अपनी माँ को घर पर छोड़कर दुबई वापस जाने के लिए बहुत साहस और दृढ़ता की ज़रूरत है. और परिवार द्वारा इस सदमे को सहन करना तथा बेटे को वापस टीम में शामिल होने के लिए कहना भी सराहनीय है. सकारात्मकता की कमी से जूझ रहे एशिया कप में, दुनीत सकारात्मकता की किरण बनकर उभरे हैं. खेल प्रेरणा और मिसाल कायम करते रहते हैं और आज रात जब श्रीलंका मैदान पर उतरेगा, तो हमारी प्रार्थनाएँ और संवेदनाएँ इस युवा खिलाड़ी के साथ होंगी.