भोपाल में भी 1500 इमारतों की हालत खराब! हजारों जानों पर मंडरा रहा खतरा, जानें वो कौन से इलाके

भोपाल में भी 1500 इमारतों की हालत खराब! हजारों जानों पर मंडरा रहा खतरा, जानें वो कौन से इलाके


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Bhopal News: बरसात के पहले ही भोपाल प्रशासन ने 1500 इमारतों को जर्जर चिह्नित किया था. इनमें 700 की हालत तो बहुत ही खराब है. जानें सब…

सांकेतिक तस्वीर.
Bhopal News: इंदौर में हुए बिल्डिंग हादसे के बाद अब राजधानी भोपाल में भी खतरे की घंटी बज उठी है. शहर में हजारों लोग ऐसी जर्जर इमारतों में रह रहे हैं जो कभी भी भरभराकर गिर सकती हैं. प्रशासन ने बारिश के पहले करीब 1500 जर्जर भवनों को चिन्हित किया था, जिनमें से 700 इमारतें बेहद खराब हालत में हैं. इनमें से अधिकतर मकान पीर गेट, हमीदिया रोड, चौक बाजार, ऐशबाग और सेकेंड स्टॉप जैसे पुराने और भीड़भाड़ वाले इलाकों में स्थित हैं.

रहवासियों में दहशत
न्यूज 18 की टीम जब हकीकत जानने मौके पर पहुंची तो हैरान कर देने वाले नजारे सामने आए. कई मकान इतने जर्जर हैं कि उनकी दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. छज्जों से सरिया बाहर निकल आया है और कई जगह तो मकान की दीवारों के भीतर से पेड़ तक उग आए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां रहना बेहद खतरनाक है, लेकिन मजबूरी में घर छोड़ना संभव नहीं है. रहवासियों ने आरोप लगाया कि उनके चुने हुए जनप्रतिनिधि हालात का जायजा तक लेने नहीं आते.

विपक्ष ने साधा निशाना
इंदौर की घटना के बाद कांग्रेस ने भोपाल प्रशासन पर सवाल उठाए हैं. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, भोपाल में भी कई जर्जर इमारतें हैं, जिनमें हजारों लोग रह रहे हैं. इन्हें या तो जल्द दुरुस्त किया जाए या सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जाए. उन्होंने चेतावनी दी कि इंदौर जैसी त्रासदी भोपाल में न दोहराई जाए, इसके लिए प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी होगी.

निगम ने किया दावा
वहीं नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि बारिश से पहले ही जर्जर मकानों को चिन्हित कर रहवासियों को नोटिस जारी किए गए थे. जनता की सुरक्षा निगम की प्राथमिकता है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए निगम पूरी तरह अलर्ट है.

100 साल पुरानी इमारतें सबसे बड़ा खतरा
भोपाल की कई इमारतें 50 से 100 साल पुरानी हैं. भीड़भाड़ वाले बाजारों में खड़ी इन बिल्डिंगों के ढहने का खतरा और भी ज्यादा है. हालांकि, नोटिस जारी होते रहे हैं, लेकिन पुनर्वास या पुनर्निर्माण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए. न लोग अपने घर छोड़ने को तैयार हैं और न प्रशासन के पास कोई ठोस वैकल्पिक योजना है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या भोपाल प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?

Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें

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भोपाल: 1500 भवनों की हालत खराब! हजारों जानों पर मंडरा रहा खतरा, जानें कहां



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