एसडीएम कार्यालय में पहुंचा रद्दी कारोबारीञ
ग्वालियर में एक रद्दी कारोबारी को 23 साल बाद पता चला कि उसका जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। शहर के गोल पहाड़िया निवासी मुकेश कुशवाह को यह जानकारी तब मिली, जब वह अपने 13 वर्षीय बेटे का जाति प्रमाण पत्र बनवाने लश्कर एसडीएम कार्यालय पहुंचे।
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कार्यालय में अधिकारियों ने बताया कि उनके पास उसके जाति प्रमाण पत्र का कोई रिकॉर्ड नहीं है। मुकेश ने 2002 में पुराने गोरखी स्थित कलेक्ट्रेट से एक वकील के माध्यम से यह प्रमाण पत्र बनवाया था। अब एसडीएम कार्यालय उनसे 1984 का रिकॉर्ड मांग रहा है।
मुकेश ने इसी प्रमाण पत्र के आधार पर स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के दौरान छात्रवृत्ति प्राप्त की थी। अब अधिकारी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की धमकी दे रहे हैं। रद्दी का व्यवसाय कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले मुकेश ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से न्याय की गुहार लगाई है।
मुकेश का कहना है कि जो लोग फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में शामिल हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उनका मानना है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से गरीब लोगों का जीवन बर्बाद हो जाता है। वह अपने बेटे को पढ़ा-लिखाकर अपना अधूरा सपना पूरा करना चाहते हैं, लेकिन अब यह मुश्किल लग रहा है।
ADM सीबी प्रसाद का कहना है
शासन के पास सभी पुराने जाति प्रमाण पत्र के रिकॉर्ड है। मुकेश का जाति प्रमाणपत्र से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं है। पता चलता है कि उसका सर्टिफिकेट फर्जी हैं। ऐसे में उसे फिर से जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए नियमों के तहत जानकारी देनी होगी। तब ही उसका जाति और उसके आधार पर ही बेटे का जाति प्रमाण पत्र बन सकेगा।