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Agricultural Tips: इस समय जिले में सोयाबीन की अर्ली वैरायटी की कटाई शुरू हो चुकी है, वहीं मध्यम और देर से पकने वाली किस्में भी पकने की अवस्था में हैं. वहीं, कपास की चुनाई शुरू हो गई है. कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह दे रहे हैं कि कटाई के समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, वरना मेहनत से उपजी फसल नुकसान में बदल सकती है.
खरगोन के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह बताते है कि सोयाबीन कटाई के दौरान किसानों की सबसे बड़ी गलती फलियों के रंग को नजर अंदाज करना है. कई बार किसान पत्तियों के हरेपन को देखकर कटाई टाल देते हैं, लेकिन इससे फलियां ज्यादा पककर दाने झड़ने लगते हैं और उत्पादन घट जाता है. इसलिए पत्तियों के बजाय बालियों पर ध्यान देना जरूरी है.
सोयाबीन की फलियां जब पूरी तरह पीली पड़ जाएं, तभी कटाई शुरू करनी चाहिए. अक्सर पत्ते हरे रहते हैं लेकिन फलियां पक जाती हैं. किसान अगर पत्तों के सूखने का इंतजार करते रहे तो समय निकल जाता है और दाने गिरने लगते हैं. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखे कि, कभी-कभी पत्ते सूख जाते हैं, लेकिन फलियां अधपकी रहती हैं. ऐसे में जल्दबाजी में कटाई करने से उपज की गुणवत्ता घट जाती है.
मौसम का भी रखे ध्यान
सही समय का अंदाजा पत्तियों से न लगाते हुए फलियों के पीले पड़ने से लगाना चाहिए. इसके अलावा मौसम पर भी नजर रखना जरूरी है. अगर बारिश का अंदेशा हो तो कटाई नहीं करनी चाहिए. क्योंकि, खड़ी फसल पर बारिश का असर कम होता है, लेकिन कटी हुई फसल भीगकर सड़ सकती है. इससे दाने खराब होंगे और मंडियों में दाम भी कम मिलेंगे. अगली फसल की तैयारी भी प्रभावित हो जाएगी.
इस अवस्था में नहीं करें कपास की चुनाई
वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने सोयाबीन के साथ ही कपास की फसल की स्थिति पर भी पर भी किसानों को सलाह दी है. उन्होंने कहा कि कई खेतों में झेंडे फूट चुके हैं और रुई बाहर आ चुकी है. किसान चुनाई शुरू कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि बारिश या नमी वाले मौसम में चुनाई न करें. इससे कपास की गुणवत्ता गिरती है और बाजार भाव भी प्रभावित होता है.