प्रसाद की जगह देवी को चढ़ते चप्पल-सैंडल, अमेरिका-पेरिस-लंदन से आता सामान

प्रसाद की जगह देवी को चढ़ते चप्पल-सैंडल, अमेरिका-पेरिस-लंदन से आता सामान


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Bhopal News: मां जीजीबाई (Maa Jijibai Temple Bhopal) के भक्त विदेशों से भी उनके लिए जूते-चप्पल आदि सामान भेजते रहते हैं. मां के बाल स्वरूप के लिए पेरिस, सिंगापुर, जर्मनी और अमेरिका से भी चप्पलें आती हैं. फिलहाल इस बार नवरात्रि पर माता के लिए पेरिस से सैंडल और लंदन से घड़ी और खिलौने आए हैं.

भोपाल. 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि (Navratri 2025) की शुरुआत हो चुकी है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और उसके आसपास के प्रसिद्ध मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. शहर के प्रमुख बड़े मंदिरों की बात करें, तो इसमें कंकाली माता मंदिर, कर्फ्यू वाली माता मंदिर, मां काली मंदिर, मां कालका बिजासन देवी मंदिर और पहाड़ी वाली माता मंदिर शामिल है. वैसे तो अलग-अलग देवी-देवताओं को मान्यता के अनुसार, प्रसाद और फल-फूल चढ़ाए जाते हैं, मगर भोपाल में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां प्रसाद के रूप में भक्त अपने चप्पल-जूते चढ़ाते हैं. आपको सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है. भोपाल के कोलार क्षेत्र के ललिता नगर में देवी का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां माता सिद्धिदात्री विराजमान हैं.

इस मंदिर को जीजीबाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां देवी की पूजा बेटी के रूप में होती है और यहां आने वाले भक्त देवी मां को भेंट के रूप में नई चप्पलें और जूतें चढ़ाते हैं. देवी मां के भक्त विदेशों से भी नए जूते और सैंडल भेजते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए मंदिर के पुजारी सुभाष शर्मा ने बताया कि कोलार की पहाड़ी पर लगभग 300 सीढ़ी चढ़कर मां सिद्धिदात्री मंदिर पर पहुंचना पड़ता है. इस मंदिर की स्थापना ओमप्रकाश ने करीब 30 साल पहले की थी. मंदिर की स्थापना से पहले भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह कराया गया था. इस विवाह में उन्होंने पार्वती जी का कन्यादान खुद किया था, इसलिए ओम प्रकाश माता को बेटी मानकर पूजा करते हैं.

बाल रूप में विराजमान हैं मां
जीजीबाई माता मंदिर को लोग सिद्धिदात्री पहाड़ वाला मंदिर के अलावा पहाड़ा वाला मंदिर और जीजीबाई के मंदिर के नाम से भी जानते हैं. मां यहां बाल रूप में विराजमान हैं. बेटी की सेवा में कोई कमी न रह जाए, इसलिए बच्चों और बेटियों के उपयोग का सभी सामान मां को अर्पित किया जाता है. बेटियों की तरह उनके सारे नखरे और शौक भी पूरे किए जाते हैं. यहां मां-दुर्गा की देखभाल एक बेटी की तरह होती है. ओमप्रकाश को आभास होता है कि देवी खुश नहीं हैं, तो दिन में दो-तीन बार माता रानी के कपड़े बदल दिए जाते हैं. उनके मुताबिक, 25 सालों में अब तक माता रानी के 15 लाख से ज्यादा कपड़े, चप्पल और श्रृंगार बदले जा चुके हैं. मंदिर में जीजीबाई माता को हर रोज नई-नई पोशाक पहनाई जाती है. नवरात्रि में यहां दरबार में भक्तों की भारी भीड़ होती है.

चप्पल-जूतों का उपयोग
ओमप्रकाश बताते हैं कि भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले जूते-चप्पलों को गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को प्रसाद के रूप में दे दिया जाता है. चैत्र नवरात्रि को लेकर विशेष कार्यक्रम की बात की जाए, तो यहां पर महायज्ञ का आयोजन किया जाता है. साथ ही कई तरह के अनुष्ठान अगले 8 दिनों तक चलते रहेंगे.

मां के लिए विदेशों से आता सामान
पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि इस मंदिर में मां को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, गर्मियों के सीजन में कैप और घड़ी चढ़ाने से देवी प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. यही वजह है कि मां जीजीबाई के कई भक्त विदेशों से भी उनके लिए जूते-चप्पल भेजते रहते हैं. इसमें मां के बाल स्वरूप के लिए सिंगापुर, पेरिस, जर्मनी और अमेरिका से भी चप्पलें आती हैं. फिलहाल यहां पर माता के लिए पेरिस से सैंडल और लंदन से घड़ी और खिलौने नवरात्रि में आए हैं.

इकलौता करवाचौथ माता का मंदिर
पहाड़ी पर माता जीजीबाई मंदिर के अलावा मां दुर्गा के 9 स्वरूप देखने को मिलते हैं. वहीं यहां विश्व का इकलौता करवाचौथ माता का मंदिर भी स्थित है. साथ ही नवग्रह शनि मंदिर, हजारों भुजाओं वाली काली माता का मंदिर, श्रीराम दरबार और 12 ज्योतिर्लिंगों सहित भगवान की करीब 40 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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प्रसाद की जगह देवी को चढ़ते चप्पल-सैंडल, अमेरिका-पेरिस-लंदन से आता सामान

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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