बार-बार दिल्ली दरबार क्यों जा रहे CM मोहन यादव? भोपाल से लेकर इंदौर तक बढ़ी हलचल, ‘पुरनिए’ भी सक्रिय

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MP Politics: मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों सीएम मोहन यादव का दिल्ली दौरा केंद्र में है. सिर्फ विपक्ष ही नहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता भी इस मुद्दे पर…और पढ़ें

सीएम मोहन यादव

Bhopal News: मध्य प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के लगातार दिल्ली दौरे और भोपाल से इंदौर तक नेताओं की मुलाकातों ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. सीएम ने भोपाल में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की, वहीं दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व, विशेष रूप से गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी बार-बार भेंट सियासी अटकलों को हवा दे रही है.

सूत्रों के अनुसार, ये मुलाकातें सामान्य नहीं हैं, बल्कि निगम-मंडल और आयोगों में नियुक्तियों को अंतिम रूप देने की कवायद का हिस्सा हैं. 22 सितंबर से शुरू हुए तीन दिवसीय दिल्ली दौरे में सीएम मोहन ने केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी से जल जीवन मिशन पर चर्चा की, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर बात की. इससे साफ है कि दिल्ली की हरी झंडी के बिना राज्य स्तर पर बड़े फैसले नहीं हो सकते.

मध्य प्रदेश भाजपा के पुरनिए परेशान!
वहीं, प्रदेश भाजपा में पुराने दिग्गजों की सक्रियता बढ़ गई है. एक समय तूती बोलने वाले नेता जैसे नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, उमा शंकर गुप्ता, कमल पटेल और गौरी शंकर बिशेन हाशिए पर पहुंच चुके हैं. अब वे निगम-मंडलों की नियुक्तियों के जरिए मुख्यधारा में लौटने की उम्मीद बांधे हैं. प्रदेश भाजपा मुख्यालय में इनकी उपस्थिति और मंत्रियों के चक्कर लगाना इसी की तस्दीक करता है. लोकसभा चुनाव के बाद भंग हुए निगम-मंडलों में नई नियुक्तियां लंबित हैं, जो पार्टी के वोट-बैंक को मजबूत करने का जरिया बन सकती हैं. सागर जैसे क्षेत्रों में फेरबदल की चर्चा है, जहां गोविंद सिंह राजपूत एकमात्र मंत्री हैं. बुंदेलखंड के लिए नई रणनीति के तहत संगठन और सत्ता दोनों में मौके मिलने की संभावना है.

विजय शाह पर भी सबकी नजरें!
कैबिनेट में सबसे बड़ा सवाल भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव का है. पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने सक्रियता दिखाई है, जबकि वरिष्ठतम गोपाल भार्गव ने भी दांव चल दिया. दोनों के बीच संतुलन बनाना भाजपा के लिए चुनौती है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट की फटकार झेल चुके विजय शाह पर सबकी नजरें हैं. कोर्ट ने उन्हें निजी टिप्पणियों पर लताड़ा था, लेकिन वे मंचों पर सक्रिय हैं. फेरबदल में उनका स्थान बदलना तय माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी सिरदर्द से बचना चाहती है.

Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें

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