Last Updated:
MP Ajab Gajab News: मध्य प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है, क्योंकि यहां से निकलने वाली नदियां पूरे भारत की प्यास बुझाती हैं. नर्मदा, चंबल, सोन, ताप्ती, माही और बेतवा जैसी नदियां न सिर्फ जल देती हैं बल्कि आस्था और संस्कृति को भी संजोए हुए हैं. यही वजह है कि मध्य प्रदेश देश के लिए जीवन दायिनी माना जाता है. आइए जानते है प्रमुख नदियों के बारे में.
नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है. इसका उद्गम अनूपपुर जिले के अमरकंटक से होता है. कुल 1312 किलोमीटर लंबी इस नदी में से 1077 किलोमीटर का हिस्सा सिर्फ मध्य प्रदेश में बहता है. नर्मदा नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के करोड़ों लोगों को जल उपलब्ध कराती है और अंत में खंभात की खाड़ी में जाकर मिलती है.

चंबल नदी का उद्गम इंदौर जिले के महू स्थित जानापाव पहाड़ियों से होता है. 1024 किलोमीटर लंबी यह नदी इटावा के पास जाकर यमुना में मिलती है. मध्य प्रदेश में इसका सफर 325 किलोमीटर लंबा है. प्राचीन ग्रंथों में इसे चर्मणवती कहा गया है और महाभारत काल में इसका उल्लेख मिलता है. आज भी यह नदी प्रदेश की खेती और पेयजल का बड़ा आधार है.

सोन नदी का उद्गम भी अमरकंटक की पहाड़ियों से होता है. इसकी कुल लंबाई 780 किलोमीटर है, जिसमें से 509 किलोमीटर का सफर मध्य प्रदेश में है. यह नदी बिहार में जाकर गंगा में मिल जाती है. वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख ‘सुभागधी’ नाम से मिलता है. सोन नदी पर बना बाणसागर बांध प्रदेश की सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बेहद अहम है.

ताप्ती नदी बैतूल जिले के मुलताई कस्बे से निकलती है. इसकी कुल लंबाई 724 किलोमीटर है, जिसमें से 279 किलोमीटर का सफर मध्य प्रदेश में तय होता है. यह नदी सूरत के पास खंभात की खाड़ी में मिलती है. ताप्ती को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच प्राकृतिक सीमा भी माना जाता है और यह गुजरात तक जाकर करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती है.

माही नदी का उद्गम धार जिले के मिन्डा गांव से होता है। इसकी कुल लंबाई लगभग 576 किलोमीटर है. यह नदी धार, झाबुआ और रतलाम जिलों से बहते हुए राजस्थान और गुजरात में पहुंचती है और अंत में खंभात की खाड़ी में गिरती है. खास बात यह है कि माही नदी भारत की एकमात्र ऐसी नदी है, जो दो बार कर्क रेखा को पार करती है, जो इसे विशिष्ट बनाती है.

बेतवा नदी का उद्गम रायसेन जिले के कुमरा गांव से होता है. इसकी लंबाई 480 किलोमीटर है, जिसमें 380 किलोमीटर का हिस्सा मध्य प्रदेश में बहता है. यह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना नदी से मिलती है. इसके किनारे विदिशा, सांची, ओरछा और गुना जैसे ऐतिहासिक शहर बसे हैं. बेतवा को ‘मध्य प्रदेश की गंगा’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.

इन नदियों ने मध्य प्रदेश को जल, ऊर्जा और उपजाऊ धरती का वरदान दिया है. कृषि के लिए सिंचाई, उद्योगों के लिए पानी और शहरों के लिए पेयजल इन्हीं पर निर्भर है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश की नदियां न केवल प्राकृतिक धरोहर हैं, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था और आजीविका की रीढ़ भी हैं.

मध्य प्रदेश से कुल 207 नदियां निकलती हैं, जो आसपास के कई राज्यों को भी जीवन देती हैं. यही कारण है कि इसे ‘नदियों का मायका’ कहा जाता है. यहां से बहने वाली नदियां सिर्फ जल ही नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपराओं की धारा भी बहाती हैं. यह प्रदेश को एक अनोखी पहचान देती हैं, जो पूरे भारत में इसे खास बनाती है.