Rewa News: रीवा भाजपा की नई जिला कार्यकारिणी घोषित, ब्राह्मण नेताओं का दबदबा, पांच महिलाओं को भी जगह

Rewa News: रीवा भाजपा की नई जिला कार्यकारिणी घोषित, ब्राह्मण नेताओं का दबदबा, पांच महिलाओं को भी जगह


Rewa News: मध्य प्रदेश में भाजपा ने रीवा जिले के लिए बुधवार को नई जिला स्तरीय नेतृत्व टीम की घोषणा कर दी. इसमें ब्राह्मण समुदाय के नेताओं को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है. यह कदम आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और संगठनात्मक चुनौतियों के मद्देनजर उठाया गया है, ताकि जमीनी स्तर पर पार्टी की पैठ और गहराई से मजबूत हो सके.

प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मंजूरी से गठित इस टीम की औपचारिक घोषणा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने की. उन्होंने कहा, यह संयोजन अनुभवी दिग्गजों और ऊर्जावान युवाओं का बेहतरीन मेल है, जो रीवा की सियासी जमीन को और उपजाऊ बनाएगा. टीम में सात उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, सात सचिव के अलावा वित्त विभाग के दो पदाधिकारी शामिल हैं.

उपाध्यक्ष पद पर इनको जगह
उपाध्यक्ष पद पर प्रबोध व्यास, मनीषा पाठक, अशोक सिंह गहरवार, शरद साहू, राजेश प्रताप सिंह, मनीष चंद्र शुक्ला और संध्या कोल (गौटिया) को स्थान दिया गया. इनमें कई ब्राह्मण चेहरे प्रमुख हैं, जो पार्टी की जातिगत संतुलन रणनीति को दर्शाते हैं.

महासचिव पद पर इनको जगह
महासचिव के रूप में उमाशंकर पटेल, विवेक गौतम और जीवनलाल साकेत को चुना गया, जबकि सचिव पद पर कल्पना पटेल, रविराज विश्वकर्मा, प्रणेश ओझा, गीता मांझी, बृजेंद्र गौतम, सुमन शुक्ला व बाबूलाल यादव को जिम्मेदारी सौंपी गई. वित्त विभाग में वासुदेव थारवानी को जिला कोषाध्यक्ष व अलकनरायन केशरवानी को सहायक कोषाध्यक्ष बनाया गया.

इन महिलाओं को जगह
खास बात ये कि कार्यकारिणी में पांच महिला नेताओं मनीषा पाठक, संध्या कोल, कल्पना पटेल, गीता मांझी और सुमन शुक्ला को महत्वपूर्ण भूमिकाएं दी गईं, जो भाजपा की महिला सशक्तिकरण नीति का प्रमाण है.

भाजपा का अभेद्य किला बनाएंगे
जिला अध्यक्ष गुप्ता ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, “यह टीम पार्टी के सिद्धांतों को मजबूती से लागू करेगी. अनुशासन और सक्रियता से हम रीवा में भाजपा को अभेद्य किला बनाएंगे.” वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्राह्मणों को प्राथमिकता देकर पार्टी स्थानीय जाति समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश कर रही है. मध्य प्रदेश में भाजपा की यह रणनीति अन्य जिलों में भी देखने को मिल रही है, जहां सामान्य वर्ग को 30 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है.



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