युवक की हिरासत में मौत के मामले में शीर्ष-कोर्ट सख्त: कोर्ट ने कहा – अप्रैल से फरार पुलिसकर्मी कल सस्पेंड, आप उन्हें बचा रहे – Bhopal News

युवक की हिरासत में मौत के मामले में शीर्ष-कोर्ट सख्त:  कोर्ट ने कहा – अप्रैल से फरार पुलिसकर्मी कल सस्पेंड, आप उन्हें बचा रहे – Bhopal News



निलंबन में देरी पर मप्र सरकार और सीबीआई को फटकार…

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्यप्रदेश सरकार और सीबीआई को गुना निवासी देवा पारदी (24) की हिरासत में मौत के मामले में फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने चेतावनी दी कि आदेशों की अवहेलना को लेकर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मी अप्रैल से फरार हैं, लेकिन उनका निलंबन अब तक नहीं हुआ था। सीबीआई के वकील ने बताया कि दोनों अफसरों को बुधवार को निलंबित किया गया है। इस पर बेंच ने सख्त लहजे में कहा- “कल क्यों निलंबित किया? आप कह रहे हैं कि वे अप्रैल से फरार हैं।

इसका मतलब है कि आप उन्हें बचा रहे हैं। यह वास्तव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।’ कोर्ट ने सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट को असंतोषजनक बताया और राज्य सरकार के वकील व गृह सचिव को शुक्रवार को स्पष्टीकरण सहित उपस्थित होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पूछा कि आरोपियों की अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान सरकार ने क्या रुख अपनाया और क्यों गिरफ्तारी नहीं हुई।

गवाह की सुरक्षा पर चिंता : सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मृतक देवा पारदी के चाचा गंगाराम पारदी जो मामले के इकलौते चश्मदीद गवाह हैं और फिलहाल जेल में हैं, को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए।

मामला क्या है : बता दें कि 14 जुलाई 2024 को गुना जिले के ऊमरी चौकी क्षेत्र में चोरी के संदेह में पुलिस ने देवा उर्फ देवेंद्र पारदी को उसकी बारात से गिरफ्तार किया। चाचा गंगाराम पारदी भी पकड़े गए। आरोप है कि हिरासत में पिटाई के बाद देवा की मौत हो गई। इसके बाद अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर मंगलवार को शीर्ष कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी।

सीबीआई की दलीलें नहीं मानी, कहा- आपकी कोशिशें दिखावा

सीबीआई के वकील ने बताया कि दोनों पुलिस अफसरों को बुधवार को निलंबित किया गया है। वित्तीय लेन-देन की जांच की जा रही है। हाईवे टोल पर गाड़ियां ट्रैक कीं, अब तक कोई नतीजा नहीं मिला। सीबीआई ने दोनों अफसरों पर 2-2 लाख रु.का इनाम घोषित किया है।

कोर्ट ने कहा– आपकी कोशिशें केवल दिखावा हैं। अप्रैल से फरार अफसरों का निलंबन अब क्यों? यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुली अवमानना है।

राज्य सरकार से भी सख्त सवाल, आपके अफसर आरोपी हैं, आपकी भी जिम्मेदारी कोर्ट ने मप्र सरकार के वकील से कहा- ‘यह कहना कि केवल सीबीआई गिरफ्तारी करेगी, गलत है। अगर आपके अफसर आरोपी हैं तो जिम्मेदारी राज्य की भी है। इतने महीनों से ड्यूटी पर नहीं आए और आप चुप रहे।’



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