सोयाबीन की फसल का पूरा लाभ नहीं मिल पाने के चलते किसानों को घाटे से बचाने के लिए राज्य सरकार ने सोयाबीन भावान्तर योजना लागू करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि किसानों का कल्याण प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसानो
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को सोयाबीन का उचित मूल्य दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोयाबीन के लिए एमएसपी प्रति क्विंटल 5328 रुपए घोषित की है। किसान संघों के सुझाव पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष सोयाबीन के किसानों को भावान्तर का लाभ दिया जाएगा।
योजना में पंजीयन होगा आवश्यक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसान पहले की भांति मंडियों में सोयाबीन बेचेंगे। अगर एमएसपी से कम कीमत पर सोयाबीन बिकता है तो किसानों के घाटे की भरपाई भावान्तर योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा की जाएगी। फसल के बेचने के दाम और न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP के अन्तर की राशि सीधे सरकार देगी। उन्होंने कहा कि भावांतर योजना में किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जा रही है।
ऐसे होगा नुकसान का आकलन
यदि मंडी में औसत गुणवत्ता की कृषि उपज बेचने का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो लेकिन राज्य सरकार द्वारा घोषित औसत मॉडल भाव से अधिक हो तो किसान को केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य और वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर की नुकसान वाली राशि दी जाएगी। यदि मंडी में कृषि उपज बेचने का मूल्य राज्य सरकार द्वारा घोषित औसत मॉडल भाव से भी कम हो तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य और घोषित औसत मॉडल भाव के अंतर की क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
फसल नुकसान का सर्वे कराकर मुआवजा भी देंगे
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज सागर जिले के जैसीनगर में एक कार्यक्रम में कहा कि मध्यप्रदेश में जहां भी सोयाबीन की फसल अतिवृष्टि अथवा रोग के कारण खराब हुई है, ऐसे सभी क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल क्षति का सर्वे कराया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि सर्वे के बाद किसानों को सोयाबीन की फसल की क्षति का समुचित मुआवजा दिया जा रहा है। किसानों को भावांतर भुगतान योजना से उनके खाते में बोनस का पैसा दिया जाएगा।
किसानों के साथ सदैव खड़ी राज्य सरकार
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पूर्व में भी फसलों की क्षति पर किसानों को राहत राशि प्रदान की गई है। किसान हितैषी निर्णय पहले भी लिए गए हैं। बाढ़ से प्रभावित किसानों को भी सहायता दी गई। संकट की घड़ी में किसानों के साथ सरकार सदैव खड़ी है। पीले मोजेक से हुए नुकसान के लिए भी सर्वे कराया जा रहा है। किसानों को प्रभावित फसलों के लिये आवश्यक राहत प्रदान की जाएगी।