MP की सबसे पुरानी रामलीला,जब अंग्रेजों ने लगा दी थी रोक, चिमनी रोशनी से हुई…

MP की सबसे पुरानी रामलीला,जब अंग्रेजों ने लगा दी थी रोक, चिमनी रोशनी से हुई…


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मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीला संस्कारधानी जबलपुर की हैं. जो अंग्रेजों के शासन के दौरान 1865 से शुरू हुई थी. जहां चिमनी की रोशनी से समिति ने रामलीला का मंचन जबलपुर के छोटा फुहारा नजदीक मिलोनीगंज से शुरू किया था. जहां अब गोविंदगंज रामलीला समिति को 161 साल हो चुके हैं. जहां आज भी रामलीला देखने बड़ी संख्या में दूरदराज से लोग आते हैं. इतना ही नहीं

जबलपुर. मध्य प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीला संस्कारधानी जबलपुर की हैं. जो अंग्रेजों के शासन के दौरान 1865 से शुरू हुई थी. जहां चिमनी की रोशनी से समिति ने रामलीला का मंचन जबलपुर के छोटा फुहारा नजदीक मिलोनीगंज से शुरू किया था. जहां अब गोविंदगंज रामलीला समिति को 161 साल हो चुके हैं. जहां आज भी रामलीला देखने बड़ी संख्या में दूरदराज से लोग आते हैं. इतना ही नहीं दावा है रामलीला का मंचन सबसे बड़े भव्य मंच पर समिति द्वारा किया जाता जाता है.

वही आजादी के पहले से शुरू हुई रामलीला का मंचन आज भी उसी ढंग से होता है जो पहले हुआ करता था. मंचन के दौरान  पात्र पूरी तरह सात्विक रहते हैं. और घर का भी त्याग करते हैं. मुकुट पूजन करने के बाद ही इस रामलीला की शुरुआत की जाती है. जब जबलपुर में रामलीला की शुरुआत हुई थी, तब बिजली जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी. तभी आयोजन समिति मिट्टी तेल के भभके की रोशनी से मंचन किया करती थी. काफी सालों बाद 1932 में रामलीला का मंचन बिजली की मदद से बल्ब की रोशनी में किया गया.

रात 3 बजे तक होता हैं मंचन, उमड़ते हैं श्रद्धालु
गोविंदगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया नवरात्रि पर्व के एक सप्ताह पूर्व रामलीला मंचन शुरू हो जाता है, जो करीब 20 दिनों तक चलता है. बरसों पहले रामलीला का मंचन के दौरान पूरा शहर इकट्ठा होता था. जहां लोग अपने घरों से चटाई लेकर आते थे और बैठकर मंचन देखा करते थे. उस दौरान बैठने के लिए जगह तक नहीं मिलती थी. लेकिन टेलीविजन में रामायण के प्रसारण होने के बाद इसका क्रेज जरूर कम हुआ. लेकिन आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामलीला मंचन को देखते हैं. रामलीला मंचन रात 9 बजे से शुरू होता है और रात 3 बजे तक चलता रहता है.

दावा; देश के सबसे बड़े मंच में होती हैं रामलीला
समिति के संचालक का दावा है  रामलीला का मंचन देश के सबसे बड़े मंच में किया जाता है. जहां लकड़ी का मंच बनाया जाता है, यह मंच करीब 150 फीट लंबा होता है. इस मंच पर रामायण के पात्र मंचन करते हैं. हालांकि उसके पहले बरगद के पेड़ के नीचे बड़े चबूतरे पर रामलीला दिखाई जाती थी. इतना ही नहीं व्यापारियों को आज भी रामलीला शुरू होने का इंतजार रहता है, जहां रात 9 बजते ही सारे व्यापारी दुकानें बंद कर दिया करते हैं.

अंग्रेजों ने लगा दी थी रोक, 3 साल नहीं हुआ मंचन 
उन्होंने बताया रामलीला का मंचन दूसरे विश्व युद्ध के आसार होने के कारण सन 1939 में नहीं हुआ था क्योंकि अंग्रेजों ने किसी भी तरह के सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगा रखी थी. इसके अलावा 1964 और 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ गई थी, युद्ध में जबलपुर की फैक्ट्रियों की अहम भूमिका थी. जिसके कारण 2 साल तक रामलीला का मंचन नहीं हुआ था. इन तीन सालों को छोड़कर लगातार कई वर्षों से जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला मंचन का सिलसिला जारी हैं.

Amit Singh

7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह…और पढ़ें

7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह… और पढ़ें

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