आज हम आधुनिक जमाने में रहते हैं, जहाँ गर्भनिरोध के लिए आसानी से दवाइयाँ, इंजेक्शन, कंडोम और कई सुरक्षित साधन उपलब्ध हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब यह सारी सुविधाएँ नहीं थीं, तब लोग अवांछित गर्भधारण को रोकने के लिए क्या करते थे? वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्टिव डे के मौके पर वैद्य एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अनिल पटेल ने कुछ ऐसे पुराने और आश्चर्यजनक उपाय साझा किए, जिन्हें सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
क्या कहता है इतिहास
जानवरों के अंगों से बने गर्भनिरोधक खासकर भेड़ की आंतों का उपयोग कर प्राचीन काल में कंडोम तैयार किए जाते थे. यह तरीका भले ही असुविधाजनक रहे हो, लेकिन उस समय इसे प्रभावी उपाय माना जाता था. भारत की परंपरा में भी प्राकृतिक उपायों का प्रयोग किया जाता था. यहाँ जंगल में पाई जाने वाली “जंगली गाजर” (क्वीन एन्स लेस) के बीजों का तेल गर्भनिरोधक के रूप में प्रसिद्ध था. अमीर घरानों की महिलाएँ इसे पेसरी के रूप में इस्तेमाल करती थीं. यानी यह तेल शरीर के अंदर लगाया जाता था ताकि शुक्राणु गर्भाशय तक पहुँच ही न सके. हालांकि गरीब तबके की महिलाएँ इन उपायों तक पहुँच नहीं बना पाती थीं.
बीसवीं सदी में जब विज्ञान ने तेजी से प्रगति की, तब आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों की शुरुआत हुई. सन् 1960 में अमेरिका में पहली बार गर्भनिरोधक गोली बनाई गई. यह क्रांतिकारी कदम था, जिसने महिलाओं को अपने प्रजनन पर नियंत्रण का नया अधिकार दिया. शुरुआती दौर में चालीस साल से कम उम्र की लगभग चार में से एक महिला इस गोली का उपयोग करती थी. धीरे-धीरे यह तकनीक पूरे विश्व में फैल गई.
डॉ. अनिल पटेल बताते हैं कि पुराने जमाने के उपायों का असर कभी-कभी सकारात्मक होता था, लेकिन इनसे स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुँच सकता था. प्राकृतिक तेल या जड़ी-बूटियाँ हर किसी के शरीर पर एक जैसे असर नहीं डालती थीं. कई बार एलर्जी या अन्य गंभीर समस्याएँ भी हो सकती थीं. यही कारण है कि आज के दौर में डॉक्टर और वैद्य यही सलाह देते हैं कि आधुनिक और सुरक्षित साधनों का ही उपयोग किया जाए.
आज गर्भनिरोध के क्षेत्र में असंख्य विकल्प उपलब्ध हैं कंडोम, गोलियाँ, इंजेक्शन, कॉपर-टी और हार्मोनल उपचार. इन सभी पर वैज्ञानिक शोध हुए हैं और इनके प्रभाव और सुरक्षा को परखा गया है. प्राचीन उपाय भले ही रोचक लगते हों, लेकिन उनकी तुलना में आधुनिक चिकित्सा कहीं अधिक भरोसेमंद है.
वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्टिव डे का उद्देश्य भी यही है कि लोग गर्भनिरोध के बारे में जागरूक हों, सुरक्षित विकल्प चुनें और स्वास्थ्य संबंधी गलतफहमियों से बचें. परंपरागत कहानियाँ हमें यह बताती हैं कि इंसान ने हमेशा से प्रजनन को नियंत्रित करने के उपाय खोजे, लेकिन विज्ञान की देन ने इस क्षेत्र को सुरक्षित और सरल बना दिया.
डॉ. पटेल अंत में यही सलाह देते हैं कि आज जब सुरक्षित दवाइयाँ और साधन आसानी से उपलब्ध हैं, तो हमें इन्हीं का उपयोग करना चाहिए. पुरानी विधियों की जानकारी इतिहास के लिए रोचक हो सकती है, लेकिन व्यवहार में आधुनिक साधन ही सबसे बेहतर हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.