एक पौधा, 15 गांठें, कई शाखाएं… ऐसी हरी घास गाय-भैंस को खिलाई तो थन से बहेगा दूध! स्वाद भी बढ़ जाएगा

एक पौधा, 15 गांठें, कई शाखाएं… ऐसी हरी घास गाय-भैंस को खिलाई तो थन से बहेगा दूध! स्वाद भी बढ़ जाएगा


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Animal Farming: अगर आप भी गाय-भैंस के कम दूध देने से परेशान हैं तो ये घास कहीं से भी ढूंढ लें. ये घास बेहद कारगर है. इसको खाने से पशु खूब दूध देंगे…

Sagar News: इन दिनों गाय-भैंस के दूध उत्पादन में कमी देखने को मिल रही है. लोग मजबूरी में पैकेट का दूध खरीदने को विवश हैं, जिसमें मिलावट की आशंका हमेशा बनी रहती है. इसी बीच बुंदेलखंड क्षेत्र में पशुपालकों के बीच एक पारंपरिक देसी तरीका आज भी बेहद कारगर साबित हो रहा है. यहां मवेशियों को हरा चारा खिलाकर दूध की मात्रा बढ़ाई जाती है.

दूध की मात्रा, गुणवत्ता दोनों बढ़ जाती है…
खासकर गर्रु नामक घास इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह तीन से चार फीट लंबी गठानों वाली पौष्टिक घास होती है, जिसके एक पौधे में 10 से 15 गांठें और कई शाखाएं निकलती हैं. यह घास अधिकतर उन्हीं स्थानों पर मिलती है, जहां पानी का भराव रहता है, जैसे खेतों के किनारे, पथरीले या पहाड़ी इलाकों में. स्थानीय पशुपालकों का कहना है कि जब जानवरों को गर्रु खिलाई जाती है तो कुछ ही दिनों में दूध की मात्रा में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है. साथ ही दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होती है, जो इंसानों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है.

चारे में भी मिलाकर खिलाएं
पशुपालन करने वाले बुजुर्ग बताते हैं कि पहले के समय से ही मवेशियों को खेतों में ले जाकर हरे चारे पर छोड़ा जाता रहा है. कई लोग इस घास की कटाई करके उसे भूसे में मिलाकर खिलाते हैं. इसके मुकाबले गेहूं का आटा, भूसा, सरसों और चना की चुनी का उपयोग केवल दूध की मात्रा को बनाए रखने तक ही सीमित रहता है, जबकि गर्रु जैसी हरी घास से दूध का पोषण स्तर और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं.

बेहतरीन नुस्खा
विशेषज्ञ मानते हैं कि मवेशियों के सही खान-पान और प्राकृतिक चारे पर ध्यान देने से दूध उत्पादन में तेजी से सुधार किया जा सकता है. ऐसे में यह देसी नुस्खा न केवल किसानों और पशुपालकों के लिए लाभकारी है, बल्कि आम उपभोक्ताओं तक शुद्ध और पौष्टिक दूध पहुंचाने का भी सरल उपाय है.

Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें

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