भिंड में छात्रवृत्ति घोटाला में FIR: 25 लाख से ज्यादा का फर्जी भुगतान उजागर, फर्जी खातों और बार-बार ट्रांजेक्शन से उड़ाई रकम – Bhind News

भिंड में छात्रवृत्ति घोटाला में FIR:  25 लाख से ज्यादा का फर्जी भुगतान उजागर, फर्जी खातों और बार-बार ट्रांजेक्शन से उड़ाई रकम – Bhind News



भिंड जिले में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। लाखों रुपए फर्जी खातों और बार-बार किए गए भुगतानों के जरिए हड़प लिए गए। मामले में जिला शिक्षा अधिकारी आरडी मित्तल की शिकायत पर पुलिस ने शिक्षक, स्कूल संचालक और

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भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट टीम ने 2017-18 से 2020-21 तक की छात्रवृत्ति योजनाओं की जांच की। इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए-

  • अनुसूचित जाति प्री-मैट्रिक योजना में एक ही कक्षा में छात्रों को 2-3 बार छात्रवृत्ति दी गई।
  • जिन अभिभावकों की आय 2.5 लाख सालाना से ज्यादा थी, उनके बच्चों को भी लाभ मिला।
  • कई छात्रों को एक साल एससी और दूसरे साल एसटी की छात्रवृत्ति दी गई।

जांच समिति ने पकड़ी गड़बड़ी

कलेक्टर द्वारा गठित जांच समिति ने लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से मिली एक्सल फाइल की जांच की। इसमें सामने आया-

  • बिना आय प्रमाणपत्र वाले छात्रों के खातों में 12,750 रुपए भेजे गए।
  • 35 एससी छात्रों को एसटी की छात्रवृत्ति के रूप में 9,300 रुपए दिए गए।
  • करीब 715 छात्रों को बार-बार भुगतान कर कुल 25 लाख 43 हजार 500 रुपए ट्रांसफर किए गए।
  • कुछ खातों में 15 से ज्यादा बार रकम भेजी गई।

दर्ज हुआ केस

पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है

  • तत्कालीन प्राथमिक शिक्षक बबेड़ी संकुल रामकुमार शाक्य
  • कंप्यूटर सेंटर संचालक सुनील शाक्य और पंकज शर्मा
  • फ्यूचर पब्लिक स्कूल दबोह के संचालक बलवीर सिंह
  • अन्य अज्ञात आरोपी

इन पर धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी, आईटी एक्ट की धारा 66(डी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत FIR हुई है।

डीईओ बोले- जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी

जिला शिक्षा अधिकारी आरडी मित्तल ने कहा- “आडिट और कलेक्टर समिति की जांच में फर्जी खातों के जरिए लाखों रुपये का अनियमित भुगतान सामने आया है। जिम्मेदारों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करा दिया गया है।”

सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल

जांच में यह भी सामने आया कि छात्रवृत्ति का भुगतान तभी होता है जब शिक्षा पोर्टल पर प्रोफाइल अपडेट हो और संकुल स्तर पर सत्यापन के बाद प्रक्रिया पूरी हो। इसके बावजूद फर्जी खातों और दोहराए गए भुगतान होना पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।



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