माता को लगता मदिरा का भोग, ‘शराब के प्रसाद’ के लिए उमड़ता भक्तों का रेला

माता को लगता मदिरा का भोग, ‘शराब के प्रसाद’ के लिए उमड़ता भक्तों का रेला


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Ujjain News: पूजा का समापन होने के बाद माता के मंदिर में चढ़ाई गई शराब को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांट दिया जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यह प्रसाद लेने आते हैं.

उज्जैन. मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुई यह परंपरा जिला प्रशासन आज भी उसी तरह निभा रहा है. मान्यता है कि महामाया और देवी महाकाल मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है. इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा चढ़ाई जाती है. इस बार भी महाअष्टमी पर माता महामाया और देवी महाकाया की विधि-विधान से पूजा कर मदिरा का भोग लगाया जाएगा. यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से ही चली आ रही है.

मान्यता है कि शहर में कोई भी आपदा या बीमारी के संकट को दूर करने और सुख-समृद्धि के लिए देवी को मदिरा का भोग लगाया जाता है. इस बार कलेक्टर रोशन सिंह द्वारा यह परंपरा निभाई जाएगी. इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है. पूरी यात्रा के दौरान इसमें से शराब की धार बहती है, जो टूटती नहीं है.

हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर होगा समापन
चौबीस खंभा माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत होगी. इसके बाद शासकीय दल अनेक देवी और भैरव मंदिरों में पूजा करते हुए चलते हैं. नगर पूजा में 12 से 14 घंटे का समय लगता है. रात करीब 9 बजे गढ़कालिका क्षेत्र स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न होती है.

शराब का प्रसाद और नगर पूजा का महत्व
पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गई शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद लेने आते हैं. उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार है. नगर रक्षा के लिए यहां चौबीस खंभे लगे हुए थे, इसलिए इसे चौबीस खंबा द्वार कहते हैं. यहां महाअष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर पूजा इसलिए की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सकें और नगर को महामारी से बचाएं.
पूजन के लिए ग्वालियर स्टेट से आते रुपये
मंदिर के पुजारी के अनुसार, आज भी ग्वालियर के महाराज के यहां से सवा सौ रुपये की राशि तहसील कार्यालय आती है. बाकी का पैसा उज्जैन कलेक्टर देते हैं और उसके बाद ही पूजन का क्रम सभी व्यवस्थाएं जुटाकर शुरू किया जाता है. जब देवियों और भैरव को मदिरा का भोग लगता है, तो उस हांडी का प्रसाद भक्तों में भी बांटा जाता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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माता को लगता मदिरा का भोग, ‘शराब के प्रसाद’ के लिए उमड़ता भक्तों का रेला

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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