CISF ने बनाई पहली लेडी कमांडो यूनिट: MP में स्पेशल 28 वूमन वॉरियर्स की ट्रेनिंग; बोलीं- हम बिना हथियार लड़ने में भी सक्षम – barwaha News

CISF ने बनाई पहली लेडी कमांडो यूनिट:  MP में स्पेशल 28 वूमन वॉरियर्स की ट्रेनिंग; बोलीं- हम बिना हथियार लड़ने में भी सक्षम – barwaha News


खरगोन जिले के बड़वाह स्थित CISF (केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के RTC (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) का नजारा इन दिनों बदला हुआ है। पुरुषों की आवाज से गूंजने वाले इस सेंटर से आजकल दिनभर महिला कमांडो का शौर्य गूंज रहा है।

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दरअसल, CISF ने पहली बार महिला कमांडो यूनिट की शुरुआत की है। ये महिला कमांडोज देश के हवाई अड्डों और अन्य संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर सुरक्षा संभालेंगी। इसका उद्देश्य सुरक्षा बलों में जेंडर इक्विलिटी को बढ़ावा देना है।

इसी के तहत ट्रेनिंग सेंटर में 28 महिला कमांडो का पहला बैच स्पेशल ट्रेनिंग ले रहा है। 8 हफ्तों की ट्रेनिंग में फिजिकल फिटनेस, हथियार चलाने के अलावा वो सब सिखाया जा रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

आगे बढ़ने से पहले ट्रेनिंग की पांच तस्वीरें देखिए …

ट्रेनिंग के दौरान लेडी कमांडोज को स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज करवाई जा रही है।

लेडी कमांडोज को बाढ़ जैसे क्षेत्रों के लिए रिवर क्रॉसिंग भी सिखाई जा रही है।

लेडी कमांडोज को बाढ़ जैसे क्षेत्रों के लिए रिवर क्रॉसिंग भी सिखाई जा रही है।

कमांडोज से मुश्किल समय के लिए रोप ड्रिल करवाई जा रही है।

कमांडोज से मुश्किल समय के लिए रोप ड्रिल करवाई जा रही है।

आतंकियों से निपटने के लिए शूटिंग भी सिखाई जा रही है।

आतंकियों से निपटने के लिए शूटिंग भी सिखाई जा रही है।

कमांडोज को रैपलिंग भी सिखाई जा रही है। इसमें बिल्डिंग या पेड़ से रस्सी के सहारे उतरना होता है।

कमांडोज को रैपलिंग भी सिखाई जा रही है। इसमें बिल्डिंग या पेड़ से रस्सी के सहारे उतरना होता है।

तड़के 4 बजे होती है दिन की शुरुआत CISF के बुलावे पर दैनिक भास्कर की टीम शनिवार अलसुबह क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र पहुंची। अभी ठीक से दिन भी नहीं निकला था। ग्राउंड में महिला कैडेट्स की पीटी चल रही थी। ठीक उसी तरह जैसे पुरुषों की होती है। हमने कहा कि इतनी सुबह से।

सीआईएसएफ के अधिकारी कहते हैं कि इन कैडेट्स की फिजिकल ट्रेनिंग शुरू हुए तो दो घंटे हो चुके हैं। इनके दिन की शुरुआत तो तड़के 4 बजे ही हो जाती है। 5 बजने से पहले तो ये सब ग्राउंड में आ जाती हैं। दिन भर अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग। इसी बीच नाश्ता, लंच और डिनर के साथ शाम को कैंप फायर के बाद रात 10 बजे लाइट ऑफ यानी सोना होता है।

कमांडो बोली- कमाल की जिंदगी इसी बीच, हमारी मुलाकात ट्रोलिंग कर आईं पसीने से लथपथ कमांडो मानसी से हुई। इतने कठिन टास्क के बाद थकावट और शिकन तो जरा सी भी चेहरे पर नजर नहीं आ रही है।

हमने उनसे पूछा आपको यहां कैसा लग रहा है? मानसी कहती हैं, सच कहूं तो अब तो फिल्मों में देखकर जो एक्साइटमेंट होता था, उसे हकीकत में कर रहे हैं। वाकई कमाल की जिंदगी है ये।

हम और आप जो सैन्य ड्रिल देखते हैं, वो सभी हम यहां परफॉर्म करते हैं। घने जंगल में मुठभेड़, तेज बहाव वाली नदी को पार करना, मकान में छिपे आतंकियों को पकड़ना, ऊंचे स्थानों से नीचे रस्सी के सहारे उतरना, दो बिल्डिंगों के बीच रस्सी से झूलते हुए जाना, मूवमेंट करते हुए गन फायरिंग और वो सब जो देश की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है।

रोजाना करना होता है मुश्किल टास्क कमांडो मानसी से बात करने के बाद हमें दूसरी कमांडो आयोशी मिली। आयोशी कहती हैं कि ट्रेनिंग के लिए एक से एक मुश्किल टास्क रोज ही करना होते हैं। रोप ड्रिल, कमांडो ड्रिल, ट्रोलिंग, स्ट्रेन्थ एक्सरसाइज, स्टेप शूटिंग, रैपलिंग, रिवर क्रासिंग जैसे मुश्किल टास्क हैं।

बारिश, सर्दी हो या गर्मी कोई मायने नहीं रखती। अपना टास्क पूरा करना है, यानी करना है। हमारी ट्रेनिंग भी वैसी ही है, जैसी पुरुषों की होती है। 16 किलो की बंदूक लेकर 16 किमी हो या 8 किमी दौड़ना तो पड़ेगा ही। हमारे साथ अभी मेल कमांडों की ट्रेनिंग हो रही हैं। हम लोग उनसे बेहतर रिजल्ट दे रहे हैं।

ट्रेनिंग में ये भी सिखाया जा रहा है कि अगर हमारे पास हथियार नहीं है, तो दुश्मन का मुकाबला कैसे करें। हम बिना हथियार के भी दुश्मन से मुकाबला कर सकते हैं। हमारा पहला बैच है।

प्रतिदिन आठ घंटे की होती है सख्त ट्रेनिंग CISF के वरिष्ठ कमांडेंट एसके सारस्वत कहते हैं कि देशभर में 6 सेंटर ट्रेनिंग सेंटर हैं। वहां से पहले बैच के लिए 28 महिला जवानों को यहां आठ सप्ताह की ट्रेनिंग दी जा रही है। 11 अगस्त शुरू हुई ट्रेनिंग 4 अक्टूबर तक चलेगी। इसे स्पेशल 28 (STF) नाम दिया गया है। इसमें 25 से 30 वर्ष की महिला जवान हैं। इस वर्ष 100 महिला जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है। इसके बाद दूसरी बैच अक्टूबर व तीसरी बैच दिसंबर में आएगी।

ऐसा रहता है दिनभर का शेड्यूल कमांडेंट सारस्वत कहते हैं कि सभी को सुबह 4 बजे जागना होता है। दिन में तीन प्रशिक्षण सत्र होते है। इसमें 6 से 8,10.30 से 1.30 और शाम 3.30 बजे से 6 बजे तक ट्रेनिंग होती है। इसमें हथियार संचालन, लाइव फायर अभ्यास, रनिंग, कठिन बाधा-पार कोर्स, जंगल में सर्वाइवल, रैपलिंग और 48 घंटे की कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग एक्सरसाइज शामिल है।

इसमें कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने और टीम वर्क की परीक्षा होती है। महिला जवानों की शारीरिक ताकत के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

बड़वाह में ही ट्रेनिंग क्यों? बड़वाह में CISF-RTC दरिया महल परिसर में स्थित है। जो कभी एशिया के सबसे लंबे महल में गिना जाता था। इसकी लंबाई 750 मीटर और इसमें 198 कमरे हैं। यह केंद्र सीआरपीएफ ने 1968 में शुरू किया था। बाद में यह सीआईएसएफ के अधीन आया।

बड़वाह का यह केंद्र 1 अप्रैल 1985 में आधिकारिक रूप से स्थापित हुआ था। यहां जवानों को कड़ा प्रशिक्षण 24 से 43 सप्ताह का प्रशिक्षण देकर आरक्षक के रूप में नियुक्ति दी जाती है।

भले ही महिला जवानों को एसटीएफ ट्रेनिंग पहली बार दी जा रही हो, लेकिन पिछले वर्षों से CISF के पुरुष जवानों को STF ट्रेनिंग दी जा रही है। जिसमे 100 से अधिक बैच को प्रशिक्षण दिया चुका है। अब तक करीब 10 हजार से अधिक पुरुष प्रशिक्षार्थी केंद्र से सख्त ट्रेनिंग के बाद STF कमांडो बन चुके हैं।

महिला भर्ती का टारगेट क्या है वर्तमान में, CISF में लगभग 12,491 महिलाएं कार्यरत हैं, जो कुल बल का लगभग 8% हैं। सीआईएसएफ का लक्ष्य महिलाओं की भागीदारी को 10% तक बढ़ाना है। जिसके लिए 2026 तक 2,400 और महिलाओं की भर्ती की जाएगी। पहली ऑल-वुमेन बटालियन में 1025 महिला जवान होंगी, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं को सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कैसे होती है CISF में महिलाओं की भर्ती केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में महिलाओं की भर्ती के लिए CISF की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन एप्लिकेशन फॉर्म भरना होता है। इसके बाद एक मल्टी स्टेप प्रोसेस होती है। इसमें फिजिकल टेस्ट (पीईटी), फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट (पीएसटी), डॉक्यूमेंटेशन, एक लिखित (ओएमआर/कंप्यूटर आधारित) परीक्षा, एक ट्रेड परीक्षा और फिर लास्ट में फिजिकल टेस्ट होता है।

महिला उम्मीदवारों के लिए मुख्य पहलुओं में ऊंचाई और वजन के मानकों को पूरा करना भी शामिल है। अगर, आप भी एडमिशन लेने के बारे में सोच रही हैं, तो CISF की आधिकारिक वेबसाइट (cisfrectt.cisf.gov.in) पर जाकर अप्लाई कर सकती हैं।

CISF महिला कमांडो की सैलरी पुरुष और महिला सीआईएसएफ अधिकारियों के वेतन में कोई अंतर नहीं है। दोनों को उनके पद और 7वें वेतन आयोग के अनुसार सैलरी मिलती है। इसमें एक हेड कॉन्स्टेबल के लिए शुरुआती वेतन लगभग 25,500 से 81,100 महीना होता है। साथ ही, महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए) और परिवहन भत्ता (टीए) जैसे भत्ते भी मिलते हैं।



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