CISF महिला कमांडो का पहला बैच, कड़ी ट्रेनिंग…बिना हथियार भी कर देंगी ढेर!

CISF महिला कमांडो का पहला बैच, कड़ी ट्रेनिंग…बिना हथियार भी कर देंगी ढेर!


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Khargone News: कमांडो कैडेट आयुषी ने लोकल 18 से कहा कि ट्रेनिंग के टास्क बेहद कठिन हैं. ट्रोलिंग, रोप ड्रिल, स्टेप शूटिंग, रिवर क्रॉसिंग और 16 किलो की बंदूक लेकर 16 किमी दौड़ना रोज के रूटीन का हिस्सा है.

खरगोन. मध्य प्रदेश के बड़वाह ट्रेनिंग सेंटर में अब तक पुरुष कमांडो की आवाज गूंजती थी लेकिन अब महिला कमांडो का शौर्य सुनाई दे रहा है. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने पहली बार महिला कमांडो यूनिट की शुरुआत की है. इस यूनिट की जिम्मेदारी देश के हवाई अड्डों और अन्य संवेदनशील प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की होगी. इसके लिए महिला कमांडो का पहला बैच यहां ट्रेनिंग ले रहा है. दरअसल खरगोन जिले के बड़वाह में स्थित CISF ट्रेनिंग सेंटर में इन दिनों 28 महिला जवानों का पहला बैच विशेष कमांडो ट्रेनिंग ले रहा है. 8 हफ्तों की इस ट्रेनिंग में उन्हें फिजिकल फिटनेस से लेकर हथियार चलाने तक और घने जंगलों में मुठभेड़ से लेकर ऊंचाई से रस्सी के सहारे उतरने तक हर तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सुबह 4 बजे से इनका दिन शुरू होता है और रात 10 बजे सोने तक पूरा शेड्यूल फौजी अनुशासन में बंधा होता है. ट्रेनिंग के बीच में ही नाश्ता, लंच और डिनर मिलता है. ज्यादातर समय ग्राउंड पर कठिन ट्रेनिंग के बीच ही बीतता है. देर शाम को कैंप फायर के बाद ही इनकी दिनचर्या पूरी होती है. ट्रेनिंग में शामिल महिला कमांडो मानसी लोकल 18 को बताती हैं कि फिल्मों में जो एक्शन सीन देखकर रोमांच होता था, अब वही जिंदगी हकीकत में जी रहे हैं. जंगल में मुठभेड़ करना, तेज बहाव वाली नदी पार करना, आतंकियों को पकड़ना, ऊंचाई से रैपलिंग करना और बिल्डिंग से बिल्डिंग पर रस्सी से झूलना, ये सभी टास्क हम रोज कर रहे हैं.

पुरुषों जैसी महिला कमांडो ट्रेनिंग
कमांडो कैडेट आयुषी लोकल 18 से कहती हैं कि ट्रेनिंग के टास्क बेहद कठिन हैं. रस्सी ड्रिल, ट्रोलिंग, स्टेप शूटिंग, रिवर क्रॉसिंग और 16 किलो की बंदूक लेकर 16 किलोमीटर दौड़ना रोज के रूटीन का हिस्सा है. बारिश हो, ठंड हो या तपती गर्मी, ट्रेनिंग कभी नहीं रुकती. सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी ट्रेनिंग पुरुष कमांडो जैसी ही है और कई बार हम उनसे बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

पहले बैच में 28 महिला कमांडो
CISF के वरिष्ठ कमांडेंट एसके सारस्वत लोकल 18 को बताते हैं कि यह पहला बैच ‘स्पेशल 28 STF’ कहलाएगा. इसमें 25 से 30 साल तक की महिला जवान शामिल हैं. 11 अगस्त से शुरू हुई यह ट्रेनिंग 4 अक्टूबर तक चलेगी. इस साल कुल 100 महिला जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है. अगला बैच अक्टूबर में और तीसरा बैच दिसंबर में आएगा.

क्यों खास है बड़वाह का ट्रेनिंग सेंटर?
ट्रेनिंग सेंटर बड़वाह के दरिया महल परिसर में है, जो एशिया के सबसे लंबे महलों में गिना जाता है. इसकी लंबाई करीब 750 मीटर है और इसमें 198 कमरे हैं. 1968 में यहां CRPF का प्रशिक्षण केंद्र शुरू हुआ था. बाद में इसे CISF को सौंप दिया गया. 1 अप्रैल 1985 से यह आधिकारिक तौर पर CISF-RTC (Recruit Training Centre) के रूप में काम कर रहा है. अब तक यहां से 10 हजार से ज्यादा पुरुष कमांडो ट्रेनिंग ले चुके हैं.

100 से ज्यादा महिलाओं की होगी ट्रेनिंग
वर्तमान में CISF में करीब 12491 महिलाएं कार्यरत हैं, जो कुल बल का लगभग 8 फीसदी हिस्सा हैं. लक्ष्य है कि 2026 तक यह भागीदारी 10 फीसदी तक पहुंचाई जाए. इसके लिए 2400 और महिलाओं की भर्ती होगी. पहली ऑल वूमेन बटालियन में 1025 महिला जवान शामिल होंगी, जिन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी. इस पहल से महिलाओं को सुरक्षाबलों में बड़ी संख्या में जुड़ने का अवसर मिलेगा. इन महिला कमांडो को इस तरह ट्रेनिंग दी जा रही है कि ये बिना हथियार लड़ने में भी सक्षम होंगी.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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